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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रसेव २०२ अस्तमन बुरा, भद्दा असेव-वि० दे० (सं० प्रसेव्य ) असेव्य, शोभा या छटा का प्रभाव, असुन्दरता, न सेवने योग्य । असौंदर्य। वि० असेवनीय। असोभित--वि० दे० (सं० ) अशोभित, वि० असेवित। शोभा न देने वाला, असुन्दर, अरुचिर, असेस-वि० दे० ( सं० अशेष ) अशेष, । शेष-रहित । असास- वि० दे० (सं० प्र+शोष ) जो असेसर-संज्ञा, पु० ( ० ) वह व्यक्ति जो न सूखे, न सूखने वाला। जज के फौजदारी के मुकदमें में राय देने के | _ " गोपिन के असुवनि भरी, सदा असोस लिये चुना जाता है। अपार "-- वि०। प्रसैन्य-वि० (सं० ) सैन्य या सेना का प्रसौगंध-संज्ञा, पु० (सं०) सुगंधाभाव, अभाव, बिना सेना के-(दे०) असेन । दुगंध । असैन । वि० सुगंध-रहित । असैला*-वि० दे० (सं० प्र+शैली) दे० संज्ञा, पु० शपथ-रहित । रीति-नीति के विरुद्ध कर्म करने वाली, असोच संज्ञा, पु० दे० (सं० अशौच ) अपकुमार्गी, शैली के विपरीत, अनुचित, वित्रता, अशुद्धता, मलीनता। कुमार्गगामी। असौजन्य-संज्ञा, पु० (सं० ) असुजनता, स्त्री. असैली। (दे०) असज्जनता। असैसव-संज्ञा, पु० दे० (सं० अशैशव) असौंध-संज्ञा, पु० दे० (सं० म+सुगंध शैशव या शिशुता का अभाव, शिशुता- -सौंध ) दुर्गधि, बदबू, कुबास । रहित । वि० दे० (हि० अ+सोंधा ) जो सोंधा असौज-संज्ञा, पु० दे० (सं० अश्वयुज) न हो। पाश्विन, कारमास-कुवार (दे०)। असौम्य-वि० ( सं० ) जो सौम्य या असोक-वि० दे० (सं० अशोक ) शोक- सुन्दर न हो। रहित, दुःखहीन । अस्तंगत-वि० (सं० ) अस्त को प्राप्त, संज्ञा पु० दे० (सं० अशोक ) एक प्रकार का अस्त हो गया हुआ, विनष्ट, अवनत, वृक्ष जिसकी पत्तियाँ लहरदार होती हैं। अन्तर्हित, तिरोहित । वि० असोकित (अशोकित), असोकी। अस्त--वि० ( सं० ) छिपा हुआ, तिरोहित, असोकबाटिका-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० अंतर्हित, जो न दिखाई पड़े, अरष्ट, अशोक वाटिका ) रावण का उपवन, अशोक डूबा हुआ, ( सूर्य, चन्द्र श्रादि ) नष्ट, वन । ध्वस्त, निक्षिप्त, त्यक्त, अवसान, प्रेरित, असोच-वि० दे० (सं० अशोच ) शोच- क्षिप्त, मृत। रहित, निश्चिन्त, चिंता-हीन, अपवित्र, संज्ञा, पु० (सं०) लोप, अदर्शन, अवसान, पापी। यौ० सूर्यास्त, चंद्रास्त, शुक्रास्त आदि । वि० असोचित, बिना बिचारा हुना, | अस्तन-संज्ञा पु० दे० (सं० स्तन ) स्तन, शोचरहित । चूचिका, थन, चूंची। वि० असेोची-न सोचने वाला, शोच- | अस्तबल-संज्ञा, पु० दे० (म० स्टेबुल ) रहित, निर्माही, प्रमादी, सुस्थिर । घुड़साल, तबेला। असाभा-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० अशोभा ) अस्तमन-संज्ञा, पु० (सं०) अस्त होना, For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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