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सपर्स
सपर्म — संज्ञा, पु० दे० (सं० स्पर्श ) छूना स्पर्श करना ।
वि० [सपर्सित हुधा हुआ, भेंटा हुआ । प्रसवर्ग - संज्ञा, पु० ( फा० ) खुरासान देश की एक लम्बी घास जिसके फूलों से रेशम रँगा जाता है ।
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असबाब - संज्ञा, पु० ( ० ) सामान, सामग्री, चीज़, वस्तु, प्रयोजनीय पदार्थ प्रसभई संज्ञा स्त्री० (दे० ) ( सं० असभ्यता ) अशिष्टता, असभ्यता, बेहूदगी । असभ्य–वि० ( सं० ) अशिष्ट, अनार्य, गँवार, बेहूदा । असभ्यता – संज्ञा, स्त्री० ( सं० ) अशिष्टता, गँवारपन, बेहूदगी ।
अड़चन,
प्रसमञ्जस - संज्ञा स्त्री० (सं० ) द्विविधा, दुविधा |
कठिनाई,
(दे० ) श्रागा-पीछा, असङ्गत, अनुपयुक्त ।
66 दूसर बर असमंजस माँगा " - रामा० । असमंत - संज्ञा, पु० दे० ( सं० प्रश्मंत )
चूल्हा |
असम - वि० (सं० ) जो सम या समान न हो, जो तुल्य या सदृश न हो, जो बराबर न हो, नाबराबर, असदृश, अतुल्य, विषम, ताक़, ऊँचा नीचा, ऊबड़-खाबड़ | संज्ञा पु० (सं० ) एक प्रकार का अलंकार जिसमें उपमान का मिलना असम्भव कहा जाय ( काव्य० ) । असमता - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) असाम्य, समता का अभाव, विषमता, नाबराबरी, असादृश्य, भेद-भाव, ऊँचाई - निचाई । समझ - संज्ञा, स्त्री० (दे० ) समझ का अभाव, नासमझी, मूर्खता, अबोधता । वि० नासमझ न समझने वाला, मूर्ख,
बालक ।
वि० समझवार — न समझने वाला, मूर्ख ।
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श्रसमझवार
सराहिबो,
असमन - संज्ञा, पु० दे० (सं० प्र + शमन ) शमनाभाव, शमन या दमन
न करना ।
समय - संज्ञा पु० (सं०) बुरा समय, कुसमय, समय के पूर्व, विपत्ति-काल, अकाल, कुबेला ।
की मौंन "
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श्रसमक्ष
समझवार
क्रि० वि० कुअवसर, बेमौका | असमर्थ - वि० (सं० ) सामर्थ्य हीन, दुर्बल, अशक्त, प्रयोग्य, अक्षम, क्षीण । संज्ञा, स्त्री० भा० (सं० ) असमर्थता । श्रसमर्थन – संज्ञा, पु० (सं० ) समर्थन या पुष्ट न करना, श्रननुमोदन, प्रसम्मति । वि० असमर्थनीय - जो अनुमोदनीय न हो ।
समात - वि० सं० ) जो समर्थित न किया गया हो, जिसका समर्थन या अनुमोदन न किया गया हो, अननुमोदित, प्रमाणित, पुष्ट ।
प्रसमर्थक - वि० ( सं० ) जो समर्थन करने वाला न हो, विरोधी, विरोधक, प्रतिवादक ।
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श्रसमवायिकारण-- संज्ञा, पु० यौ० (सं० )
व्यकारण, गुण या कर्म रूप का कारण ( न्याय ० ) वह कारण जिसका कर्म से नित्य सम्बन्ध न हो, वरन् श्राकस्मिक सम्बन्ध हो ( वैशेषिक ) ।
श्रममशर - संज्ञा, पु० (सं० ) कामदेव, कंदर्प, मन्मथ |
समसर (दे० ) मदन, मनोज I असम साहस - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) दुस्साहस, अतुल्य साहस, सामर्थ्य से बाहर उत्साह, असमान साहस । वि० [समसाहसी ।
श्रसमक्ष - वि० (सं० ) परोक्ष, अगोचर, सामने नहीं, असन्मुख ।