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असनि
असकति
१९५ असकति-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० अशक्ति) असत्ता-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) सत्ता का शक्ति का अभाव, निर्बलता, कमज़ोरी, अभाव, अस्थिति, अविद्यमानता, अनुअसमर्थता।
पस्थितता, अस्तित्व-हीनता। वि० असकती-शिथिल, आलसी। असत्य-संज्ञा, पु० (सं०) मिथ्या, झूठ, असकताना-प्र० कि० दे० (हिं. अस- अनृत, अयथार्थता। कत ) पालस्य में पड़ना, आलसी होना, वि० झूठ, मिथ्या, अवास्तविक, अयाथार्थ । अलसाना (दे०)।
संज्ञा, स्त्री. असत्यता, झुठाई। असक्त-वि० दे० ( सं० आसक्त, अशक्त) असत्यवादी-वि० ( स०) झूठ बोलने लीन, आसक्त, संलग्न ।
वाला, झूठा, मिथ्यावादी। " विषय-असक्त रहत निसि-बासर "- | संज्ञा, पु० (सं०) असत्यवादन-झूठ सूर०।
बोलना। वि० (दे०) अशक्त, असमर्थ, अक्षम। संज्ञा, स्त्री असत्यवादिता। प्रसकन्ना-संज्ञा, पु० दे० (सं० असि + अमती-वि० (सं.) जो सती न हो, करण ) लोहे का एक औज़ार जिससे | कुलटा, पुंश्चली। तलवार की म्यान के भीतर की लकड़ी | असत्व--संज्ञा, पु० (सं०) सत्व-विहीन, साफ की जाती है।
सत्वाभाव। असकृत-अव्य० (सं० ) पुनः पुनः, असद्गति-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) बुरी बारंबार।
गति, दुर्दशा, दुर्गति। असगंध-संज्ञा, पु० दे० ( सं० अश्वगंधा ) | असदव्यवहार--संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) एक प्रकार का झाड़ीदार पौधा, जिसकी जड़ बुरा व्यवहार, जो साधु व्यवहार न हो, पौष्टिक होती है और दवा के काम में असाधु-व्यवहार, असज्जनता। आती है, अश्वगंधा।
असव्यापार- संज्ञा, पु० यौ० (सं.) प्रसगुन-संज्ञा, पु० दे० (सं० अशकुन ) झूठा व्यापार या काम, दिखावा । अपशकुन, अशकुन ।
| असदवृत्ति-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) बुरी वि० प्रसगुनी-अशकुन-सम्बन्धी, मनहूस । । वृत्ति, दुष्ट प्रवृत्ति, बुरी रोजी। " असगुन होहि विविध मग जाता"- अमबुद्धि-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) बुरी रामा० ।
बुद्धि, असाधु या दुष्ट बुद्धि । प्रसज्जन-वि० ( सं० ) खल, दुष्ट, | अमद्बोध- संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) बुरा, असाधु, अभद्र।
मिथ्याज्ञान, अयथार्थज्ञान । संज्ञा, स्रो० भा० असज्जनता-असाधुता,
असन-संज्ञा, पु० दे० (सं० अशन) दुष्टता।
भोजन, खाना। असज्जित-वि० (सं० ) न सजाया हुआ,
"मुदित सुश्रसन पाइ निमि भूखा"
रामा०। भनलंकृत, अनाभूषित।
" असन कंद-फल-मूल "रामा० । बी० असज्जिता।
असनान-संज्ञा, पु० दे० (सं० स्नान ) प्रसत्-संज्ञा, पु० (सं०) असत्य, झूठ, नहाना, स्नान । मिथ्या, जड़, प्रकृति।
| असनि-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० प्रशनि ) वि० मिथ्या, असाधु, अन्यायी, अधर्मी, वन, विद्युत् । सत्ता-हीन।
| "लूक न असनि केतु नहिं राहू"-रामा ।
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