________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अवैदिक
१८४
अव्यवस्थित वेतन या तनख्वाह के काम करने वाला, ईषत् लोहित, हलका लाल रंग, गौर, आनररी (अ.)।
श्वेत । अवैदिक-वि० (सं० ) वेद विरुद्ध, वेद के अव्यक्तराशि-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) विपरीत।
अनिश्चित नाम वाली राशि (बीजगणित)। अवैदिक-धर्म-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) अव्यक्कलिंग-संज्ञा, पु. (सं० ) महत्त. वेद-विरुद्ध धर्म ।
स्वादि ( सांख्य ) सन्यासी, साधु, न अवैध-वि० (सं० ) बुरा वैद्य, वैद्याभाव । पहिचाना जाने वाला रोग। अवैध-वि० (सं० अ+विधि ) विधि के | अव्यग्र--वि० ( सं० ) घबराहट रहित, प्रतिकूल, अनियमित, बेकायदा।
धीर, अनाकुल। अवैयक्तिक-वि० (सं० ) जो व्यक्ति गत अव्यग्रता-( संज्ञा, स्त्री० ) धीरता, या व्यक्ति सम्बन्धी न हो, व्यापक, सर्व- अनाकुलता। साधारण ।
अव्यय- वि० ( स० ) जो विकार को न अवैराग्य-संज्ञा, पु० (सं० ) वैराग्य का | प्राप्त हो, सर्वदा एक सा या एक रस रहने
अभाव, विराग-विहीनता, अविराग। वाला, अक्षय, निर्विकार, नित्य, आद्यंत अवैलक्षणय-संज्ञा, पु० (सं० ) अविलक्ष- हीन, अनश्वर, कृपण ।
णता, अविचित्रता, साधारणता, संज्ञा, पु० (सं० ) वे शब्द जिनके रूप विशेषताभाव।
लिंग, वचन और कारकों के प्रभाव से नहीं अवैवाहिक-वि० (सं० ) जो वैवाहिक बदलते और जो सदैव एक ही या समान या विवाह-सम्बन्धी न हो, विवाह-विषयक रूप से प्रयुक्त होते हैं जैसे-और, अथवा, नहीं।
किन्तु, फिर, श्रादि, विष्णु, परमेश्वर, ब्रह्म, अवैज्ञानिक-वि० (सं० ) जो वैज्ञानिक शिव।
या विज्ञान सम्बन्धी न हो, अशास्त्रीय । । वि० (सं० + व्यय ) व्यय रहित । अव्यक्त-वि० (सं०) अप्रत्यक्ष, अप्रगट, अव्ययीभाष-संज्ञा, पु. यौ० (सं० ) एक अगोचर, जो ज़ाहिर न हो, अज्ञात, अदृष्ट, अव्यय पद के साथ शब्द संयोजन का अनिर्वचनीय, अकथनीय, जिसमें रूप-गुण । विधान, समास का एक भेद, जैसे प्रतिरूप, न हो, अस्फुट, अस्पष्ट, अप्रकाशित । । अतिकाल । संज्ञा, पु० (सं० ) विष्णु, कामदेव, शिव, | अव्यर्थ-वि० (सं.) जो व्यर्थ न हो, प्रधान, प्रकृति ( सांख्य ) पास्मा, परमात्मा, सफल, सार्थक, अमोघ, न चूकने वाला, क्रिया-रहित ब्रह्म, जीव सूक्ष्म-शरीर, सुषुप्ति अचूक । अवस्था, वह राशि जिसका नाम अनिश्चित अव्यवस्था- संज्ञा, स्त्री० (सं० ) विधि या हो (बीज गणित )।
विधान का न होना, बेकायदगी, अनिय" अव्यक्त राशि ततो मूलम् संकलेत्मूलमान- मितता, अविधि, स्थिति या मर्यादा का न येत् "-लीला।
होना, शास्त्रादि के विरुद्ध व्यवस्था, बद. " अव्यक्त मूलमनादि तरुत्वच्चारु निगमा इंतज़ामी, गड़बड़ी। गम भने "-रामा० ।।
अव्यवस्थित-वि० (सं० ) शास्त्रादि विधि अव्यक्तगणित- संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० ) के अनुकूल जो न हो, मर्यादा रहित, बीज गणित ।
बेठिकाने का, चंचल, अस्थिर, सिद्धान्तअव्यकराग-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) रहित, असंगठित ।
For Private and Personal Use Only