SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 194
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अविवाहित अविवादित - वि० पु० व्याह न हुआ हो, ( काँरा ) | स्त्री० अविवाहिता । www.kobatirth.org (सं० ) जिसका कुमारा, कुवाँरा, विविध - वि० (सं०) विविध नहीं, एक । अधिवेक -संज्ञा, पु० (सं० ) विवेकाभाव, श्रविचार, श्रज्ञान, नासमझी नादानी, अन्याय । अविवेकता - संज्ञा, भा० स्त्री० (सं० ) अज्ञानता, मूर्खता, विवेक-हीनता, विचार शून्यता । अविवेकी - वि० ( सं० अविवेकिन् ) ज्ञानी, मूर्ख, अविचारी, मूद, अन्यायी, विवेक-हीन | अविशेष - वि० (सं० ) भेदक धर्म-रहित, तुल्य, विशेषता - रहित, समान । संज्ञा, पु० भेदक धर्माभाव, सामान्य, सांतत्व, धीरत्व और मूहस्व श्रादि विशेषताओं से रहित, सूक्ष्म-भूत ( सांप ) | वि० [प्रविशिष्ट - जो विशेषता-हीन हो साधारण, सामान्य । संज्ञा, पु० स्त्री० प्रविशेषता । विश्वास - वि० सं० ) विश्वास शून्य, ( प्रतीति, निरचय अप्रत्यय | १८३ अवैतनिक अविषम – वि० ( सं० ) जो विषम न हो, सम । विषय - वि० ( सं० ) जो मन या इंद्रिय का विषय न हो, अगोचर, अनिर्वचनीय | त्र्यविषयी - वि० (सं० ) जो विषयवासनाओं में लिप्त न हो, विषय भोगविहीन | अविषैला - वि० (सं० ) जो विषैला या विषयुक्त न हो । वि० [विषाक्त | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विश्रब्ध - वि० सं० ) बिना विश्वास के, जिसे विश्वास या प्रतीति न हो । अविश्रान्त - वि० (सं० ) जो न रुके, जो न थके, शिथिल, क्लान्त | प्रविश्राम - वि० सं० ) विश्राम -रहित, अविराम, श्राराम का न होना, बेचैन । ) विधि-विरुद्ध, प्रविहड़ - वि० दे० (सं० अ + विघट ) जो खंडित न हो, अखंड, अनश्वर, बीहड़, ऊँचा नीचा । अविहित- वि० (सं० अनुचित न कहा हुआ । अधीरा - वि० स्त्री० (सं० ) पुत्र और पतिरहित स्त्री, स्वच्छंद या स्वतंत्र ( स्त्री ) । प्रवेक्षण- -संज्ञा, पु० (सं० ) अवलोकन, देखना, जाँच-पड़ताल करना, देख-भाल | प्रवेक्षणीय- वि० ( सं० ) अवलोकनीय, देखने लायक | वि० अवेक्षित - अवलोकित । वेग - संज्ञा. पु० (सं० ) वेग रहित, मंदगति, मंथर गति, बिना तेज़ी के । संज्ञा, पु० ( ० एवज ) बदला, प्रवेज प्रतीकार । संज्ञा, पु० विश्वासाभाव, प्रतीति-विहीनता । वि० अविश्वस्त - न विश्वसनीय विश्वास करने के अयोग्य, अविश्वसनीय । अविश्वसनीय - वि० ( सं० ) जिस पर | प्रवेपथु वि० (सं० ) अकंपित, कंपनविश्वास न किया जा सके । विश्वासी - वि० ( सं० श्रविश्वासिन् ) जो | किसी पर विश्वास न करे, जिस पर विश्वास न किया जाय । रहित । प्रवेर - क्रि० वि० (सं० ) विलम्ब, अबेर देरी (वेर) देरी नहीं, शीघ्र । प्रवेश – संज्ञा, पु० (सं० प्रवेश ) जोश, चैतन्यता, भूत लगना, तैश, अवेस, यावेस (दे० ) | अवेष्टित - वि० ( सं० ) लपेटा हुआ, ( श्रावेष्टित ) न लपेटा हुआ ( अ + वेष्टित ) । प्रवैतनिक- वि० (सं० अ + वेतन ) बिना For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy