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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir न हो। अविप्लव १८२ अधिवादी तारित धोखा न खाया हुआ, न ठगा हुआ। अविरल-वि० (सं० ) मिला हुआ, अपृथक, अविप्लव - संज्ञा, पु० (सं० ) अनुपद्रव, अभिन्न, घना, सघन, निविड, निरंतर, विप्लव शून्य । वि० अविप्लवी। लगातार। अधिपुल-वि० ( सं० ) अविस्तृत, अप्रचुर, संज्ञा, स्त्री० अविरलता। संज्ञा, स्त्रो० (सं० ) अविपुलता। " अबिरल भगति मांगि वर"..-रामा० । अविफल-वि० (सं० ) जो विफल या अविगग-संज्ञा, पु० (सं० ) विराग-विहीन, निष्फल न हो। अनुराग। संज्ञा, स्त्री. अविफलता। वि० अधिरागी-जो विरागी न हो। अविभक्त-वि० (सं० ) मिला हुआ, अधिगम-वि० (सं० ) बिना विश्राम के, अपृथक, अखंड, अभंग, अभिन्न, एक, बिना ठहराव के, लगातार, निरंतर। शामिलाती, जो बाँटा न गया हो, जिसका प्रारुद्ध-वि० ( प्रशिरुद्ध-वि० (सं० ) जो विरुद्ध या विभाग न किया गया हो। खिलाफ न हो। अविभाज्य-वि० (सं० ) जो विभाग के प्रावगध- संज्ञा, पु. ( सं० ) समानता, योग्य न हो -अविभाग वि० भाग रहित । . साम्प, सादृश्य, मैत्री, विरोधाभाव, अनुअधिभाजनीय वि० (सं० )। कूलता, मेल, संगति, एकता प्रीति । अविभु-वि० (सं० ) जो सर्वत्र व्यापक : अविरोधो-वि० (सं० अविरोधिन् ) जो विरोधी या शत्रु न हो. मित्र, अनुकूल, अधिभूषित-वि० पु० (सं० ) अनलंकृत, शान्त । . न सजा हुआ। स्त्री० अविरोधिनी। अधिमुक्त-संज्ञा, पु. ( सं० ) जो मुक्त अविलम्ब - संज्ञा, पु० ( सं० ) शीघ्र, न हो, न छोड़ा हुया, बद्ध, अव्यक्त, मुमुक्षु ।। तुरन्त, बिना देर के। संज्ञा, पु० (सं० ) कनपटी। अघिलोल-वि० (सं० ) जो विलोल या अविमुक्त क्षेत्र--संज्ञा, पु. ( सं० यौ०) चंचल न हो, अचंचल । काशी, बनारस। | अविलोकन-संज्ञा, पु० (सं० ) अवलोकन अविरक्त-वि० (सं० ) जो विरक्त या का अभाव. न देखना। अलग न हो, अनुरक्त । अविलोकनीय-वि० (सं० ) न देखने अविरत-वि० (सं० ) विराम-विहीन, लायक । निरंतर, लगा हुआ, बिना ठहराव के, लीन अविलोकित- वि० ( सं० ) न देखा हुआ. अनुरत । न पढ़ा हुआ। क्रि० वि० ( सं ) निरन्तर, लगातार, नित्य, अविलोचन-वि० ( सं० ) नेत्र-हीन, सर्वदा, हमेशा, बराबर, विराम-शून्य । अंधा, मूर्ख, अज्ञानी। अधिरति-संज्ञा, स्त्री. (सं० ) निवृत्ति अनिलोम-वि० ( सं० ) अविरुद्ध का अभाव, लीनता, अनुरति, विषयासक्ति, अविपरीत, उलटा जो न हो। अशांति। अविवाद-वि० ( सं० ) विवाद-विहीन, अविरथा-कि० वि० दे० व्यर्थ, वृथा। निर्विवाद । अविरद-संज्ञा, पु० ( सं० ) अयश, असं- अविधादी-वि० ( सं० ) विवाद न करने कल्प, अकीर्त। वाला, शान्त, धीर, गंभीर, जो झगड़ालू वि. विरद-रहित, प्रण-हीन। । न हो, मेली। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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