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अविद्यमानता
अविप्रलब्ध प्रविद्यमानता-संज्ञा, भा० स्रो० (सं०) विधेय-विहीन, अकर्तव्य, विधान न करने अनुपस्थिति, अवर्तमानता, अभावता।। अविद्या-संज्ञा, स्त्री० (सं०) विपरीत ज्ञान, अधिनय संज्ञा, पु. (सं० ) विनयाभाव, मिथ्या ज्ञान, अज्ञान, मोह, माया का एक पृष्टता, ढिठाई। रूप या भेद ( दर्शन० ) मूर्खता, कर्म-कांड, प्रबिनै ( दे० ) नम्रता-रहित, अविनम्र प्रकृति ( शास्त्रानुसार ) जड़, अचेतन । उदंडता। अविद्युत्-वि० (सं०) विद्यत् विहीन, बिना अधिनश्वर--वि० (सं० ) जिसका बिनाश बिजली की शक्ति के, विद्युत्-शक्ति-विहीन । न हो, अविनाशी, अनाशवान, चिरस्थायी, अविद्वता-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) अपांडित्य, जो न बिगड़े, नाश-रहित, नष्ट न होने अनभिज्ञता, विद्वता का अभाव ।
वाला। अविद्वान-वि० (सं०) जो विद्वान या संज्ञा, पु. ब्रह्म, ईश्वर । . पंडित न हो, मूर्ख, अपंडित, मूढ़। अविनाभाष- संज्ञा, पु० (सं० ) सम्बन्ध, · अषिदुषी–वि० स्त्री० ( सं० ) अपंडिता, | व्याप्य-व्यापक भाव, या सम्बन्ध, जैसे अग्नि मूर्खा, अशिक्षिता, विद्या-विहीना।
और धूम में (न्याय० )। अविदूषण–वि. पु. ( सं० ) दूषणभाव, | अविनाश- संज्ञा, पु० (सं० ) विनाश का निर्दोष, दूषण रहित, अदोष ।
अभाव, नाश न होना, अक्षय, नाश-रहित । प्रषिदूषित-वि. पु. ( सं० ) जो दूषित अविनाशी-वि० पु. (सं० अविनाशिन् ) या दोष-युक्त न हो, दोष-विहीन । जिसका नाश न हो, अनाशवान्, अविनश्वर, स्त्री० प्रविषिता।
अक्षय, अक्षर, नित्य, शाश्वत, संततस्थायी, अविदेह-वि० ( सं० ) जिपके विशेष देह चिरजीवी, जिसका कभी विनाश न हो, सदा न हो, विदेह जो न हो।
रहने वाला, परमात्मा, ब्रह्म, जीव, प्रकृति । अविद्रोह- संज्ञा, पु० (सं० ) विद्रोह का अबिनासी (दे० )। उलटा, विद्रोहाभाव, द्रोह-रहित । । अविनीत- वि० (सं० ) जो विनीत या अविद्रोही-वि० (सं० ) जो विद्रोही न । विनम्र न हो, उद्धत, अदांत, उदंड, दुदात, हो, जो विरोधी न हो, भिन्न, विद्रोह न दुष्ट, सरकश, ढीठ, उच्छृखल । करने वाला, बैर-भाव न रखने वाला, जो | स्त्री० अधिनीता। झगड़ालू न हो।
अविपक्ष-संज्ञा, पु० (सं० ) जो विरोधी अविधान-संज्ञा, पु० (सं० ) विधान का | पक्ष न हो। अभाव, विधि का उलटा, विधान के विप. वि. अविपक्षी-मित्र, अपने पक्ष का । रीत, रीति, कुरीति ।
अविपरीत-वि० (सं० ) जो विपरीत, या प्रविधि-वि० (सं० ) विधि विरुद्ध, अनि- | उलटा न हो। यमित, जो नियमानुकूल न हो, नियम के अधिपाक-वि० ( सं० ) विपाक या फलविपरीत।
रहित, निष्फल, परिणाम-शून्य, फल-विहीन, प्रविधानता-संज्ञा, भा० स्त्री. (सं०) अफल । बेतरतीबी, बेकायदगी कुरीति । अविप्र-वि० सं० ) जो विप्र या ब्रह्मण न अविधु-वि० (सं० ) विधु या चन्द्रमा हो, अब्राह्मण । रहित, चंद्र-विहीन ।
संज्ञा, भा० सी० श्रषिप्रता। अविधेय-वि० ( सं० ) विधेय-रहित, | अविप्रलब्ध-वि० (सं० ) अवंचित, अप्र
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