SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 191
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अविगत १८० अविधमान स्त्री० प्रविकृता। अनैपुण्य, अप्रवीणता, अबोधता, अपटुता, अधिगत-वि० (सं० ) जो जाना न जाय, अनभिज्ञता, अज्ञता, अज्ञान । अज्ञात, अज्ञय अनिर्वचनीय, अकथनीय, प्रविज्ञान-संज्ञा, पु० (सं० ) जो विज्ञान नाश-रहित, अविनाशी, नित्य, शाश्वत, न हो, विज्ञानाभाव, कला, कौशल । जो विगत न हो, जो कभी समाप्त या गत वि० प्रविज्ञानी। न हो, ब्रह्म, ईश्वर । अधिशेय-वि० पु. (सं० ) जो जाना अविचर-वि० (सं० ) जो न विचरे, न न जा सके, न जानने के योग्य । चले, स्थिर, अचल, अटल । स्त्री० अविज्ञेया। " जुग जुग अविचर जोरी"--सूबे०। अवितर्क-संज्ञा, पु. (सं० ) वितर्क का चिरस्थायी, चिरंजीवी, चिरजीवी। अभाव, जो वितर्क न हो, निश्चित। अविचरता-संज्ञा, स्त्री० (सं० ) स्थिरता, अवितर्कित--वि० ( सं० ) जो वितर्क-युक्त अचलता, चिरस्थायित्व, विचरण-शीलता न हो, निस्संदेह, निश्चित । रहित। अवितत-वि० (सं० ) विरुद्ध, उलटा, अविचरित-वि० ( सं० ) बिना विचरण | विलोम। किया हुआ। अवित्त--संज्ञा, पु० (सं० ) वित्त या धन अविचल-वि० (सं० ) जो विचलित न । का अभाव, धन-रहित, संपति-विहीन । हो, अचल, स्थिर, अटल, न विचलने वाला, | वि० धनहीन, निर्धनी। स्थावर, निष्कम्प, निर्भीक, निडर, दृढ़, धीर । अवितथ–संज्ञा, पु० (सं० ) सत्य, यथार्थ । अविचलता-संज्ञा, स्त्री. भा. (सं०) वि० सत्यवान, यथार्थ, विशिष्ट । अचलता, स्थिरता, दृढ़ता, धीरता, निर्भयता। अषितरण-संज्ञा, पु० (सं० ) वितरणाअविचलित-वि० (सं० ) स्थिर, अचल, | भाव, न बाँटना, न फैलाना। धीर, दृढ़, निश्चित, जो विचलित न हो। अवितरित-वि० (सं० ) न बाँटा हुआ, स्त्री. अविचलिता। वितरण न किया हुआ। अविच्छिन्न-वि० (सं० ) अटूट, लगातार, वि० अवितरणीय---न बाँटने योग्य । अभंग, बराबर चलाने वाला, अविरत । अधिथा-वि० दे० (सं० अव्यथा ) बिना अबिछीन (दे० )। व्यथा या पीड़ा के, व्यथा हीन । अविच्छेद-वि० ( सं ) जिसका विच्छेद न अविदग्ध-वि० ( सं० ) अ+वि+दह+ हो, अटूट, लगातार, अभंग । क्त ) अपंडित, अचतुर, अनभिज्ञ, अविज्ञ, अविजन-वि०(सं०) जन-शून्य जो न हो, __ अपटु । जन-पूर्ण। अविदग्धता-संज्ञा, स्त्री. भा० (सं.) संज्ञा, पु० बस्ती, जो जंगल न हो। अपांडित्य, अचातुर्य, अनभिज्ञता, अविज्ञता। (दे० ) बिजन या पंखे का अभाव।। अविदित-वि. ( सं० ) जो विदित या अविज्ञात-वि० (सं० ) अनजाना, अज्ञात | ज्ञात न हो, अज्ञात, न जाना हुआ, अनवगत । जो ज्ञात या विदित न हो, बेसमझा, अर्थ- अविद्य-वि० ( सं० ) मूर्ख, अनभिज्ञ, निश्चय-शून्य, न जाना हुआ। विद्या-विहीन । अविज्ञ-वि० (सं० ) जो विज्ञ, या भिज्ञ अविद्यमान-वि० (सं० ) जो विद्यमान न हो, अप्रवीण, अपटु, अज्ञ, अनभिज्ञ । न हो, अनुपस्थित, असत्, मिथ्या, असत्य, अविज्ञता-संज्ञा, भा० स्त्री. ( सं० ) अवर्तमान, अभाव, असत्ता। For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy