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स्त्री-समागम १८३६
स्थापत्य एक नारी-व्रत, अपनी स्त्री को छोड़ किसी स्थविर-संज्ञा, पु. ( सं० ) ब्रह्मा, बूढ़ा, दूसरी स्त्री की इच्छा न करना।
बुड्दा, वृद्ध, पूज्य, वृद्ध बौद्ध भिक्षु । स्त्री-समागम-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) स्थाई-वि० दे० (सं० स्थायी ) स्थायी,
प्रसंग, मैथुन, सम्भोग, रति, स्त्री-सहास। थाई (दे०)। स्त्रैण-वि० (सं०) स्त्री-सम्बन्धी, स्त्रियों का, | स्थाणु-संज्ञा, पु. (सं०) स्तंभ, खंभा, थूनी, स्त्री-रत, स्त्रियों के अधीन या वश में रहने | हूँठा पेड़, शिव जी। वि० - स्थिर, अटल, वाला।
अचल । स्थ-प्रत्य० ( सं० ) यह शब्दों के अंत में | स्थान-संज्ञा, पु० (सं०) जगह, ठाँव, ठौर, लग कर स्थिति ( सत्ता), उपस्थिति ठाम, टिकाव, स्थल, ठहराव, घर, डेरा, (वर्तमान ), निवासी (रहने वाला), लीन | आवास, स्थिति, मैदान, भू-भाग, कार्यालय, (रत) आदि का द्योतक है।।
ओहदा, पद, देवालय, मंदिर, मौका, अवसर, स्थकित-वि० (हि. थक्ति) श्रान्त, असथान (दे०)। क्लान्त, थका हुआ।
स्थानच्युत--वि० यौ० (सं०) जो अपनी स्थगित-वि० (सं०) आच्छादित, अवरुद्ध, .
जगह या स्थान से हट या गिर गया हो। रोका हुआ, मुलतबी, जो कुछ समय के स्थानभ्रष्ट- वि० यौ० (सं०) स्थानच्युत, लिये रोक दिया गया हो।
जो अपने स्थान से हट या गिर गया हो । स्थपति-संज्ञा, पु. (सं०) बढ़ई, शिल्पी। स्थानांतर-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) दूसरी स्थल-संज्ञा, पु. ( सं० ) लल-रहित जगह, दूसरा घर, प्रस्तुत या प्रकृत स्थान भू-भाग, जल-रहित या सूखी भूमि, खुश्की, से भिन्न । मरुभूमि, जगह, स्थान, मौका, अवसर, कर । स्रो०-स्थली।
स्थानांतरित-वि• यौ० (सं०) जो एक स्थलकमल-संज्ञा, पु० यौ० ( सं० ) सूखी
स्थान को छोड़ दूसरे पर गया हो।। भूमि में होने वाला कमल, गुलाब ।
स्थानापन्न-वि. ( सं० ) एवज़, कायमस्थलचर, स्थलचारी-वि० (सं०) सूखी
मुकाम, प्रतिनिधि, दूसरे के स्थान पर भूमि पर रहने या चलने वाला।
अस्थायी रूप से कार्य करने वाला। स्थलज-वि० ( सं० ) सूखी भूमि में उत्पन्न
स्थानिक--वि० (सं०) स्थान या ठौर वाला, होने वाला।
स्थानीय, उस जगह का जिसका उल्लेख स्थलपद्म-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) स्थल
हो। कमल, गुलाब।
स्थानीय-वि० (सं०) स्थानिक, उसी स्थान स्थलयुद्ध -- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) स्पन-रण,
का जिसके विषय में कोई उल्लेख हो । सूखी भूमि पर होने वाला संग्राम, युद्ध | स्थापक-वि० (सं०) सूत्रधार का सहयोगी या लड़ाई । विलो०-जल-युद्ध।
(नाट्य०), स्थापना करने वाला, कायम करने स्थली-संज्ञा, स्त्री० (सं०) सूखी भूमि,
या रखने वाला, मूर्ति स्थापित करने या स्थान, जगह, थली (दे०)। " दसकंठ की। बनाने वाला, संस्थापक, स्थापनकर्ता, कोई देखि यों केल-स्थली"-राम ।
संस्था खड़ी करने या खोलने वाला। स्थलीय--वि० (सं०) सूखी भूमि-संबंधी, स्थापत्य-संज्ञा, पु० (सं०) राजगीरी, मेमारी, स्थल का, सूखी भूमि पर का, किसी स्थान | भवन-निर्माण, भवन निर्माण के सिद्धान्तादि का, स्थानीय।
के विवेचन की विद्या।
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