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सुरमुखी
सूरकांत
१८११ ५श्वाँ भेद (पि०) । स्त्री० -सूरी। 'सूर | सूरत, सूरति-संज्ञा, स्त्री० (फा०) शक्ल. सूर तुलपी ससी, उड़गण केसवदाम" ---- श्राकृति, रूप । मुहा०-सूरत बिगड़नास्फु० । *---संज्ञा, पु० दे० ( सं० शूर) मुँह क" रंग फीका पड़ना । सूरत बनाना बहादुर, वीर । " सूर समर करनी करहिं" ---रूप बनाना, भेस बदलना, नाक-भौं --रामा० । --संज्ञा, पु० दे० (सं० सिकोड़ना, मुँह बनाना । सूरत दिखानाशूकर ) सुअर, भुरे रंग का घोड़ा। संज्ञा, सम्मुख पाना। सुंदरता, सौंदर्य, छबि, छटा. पु० दे० (सं० शूल) बरछी, भाला. पेट का शोभा, युक्ति, उपाय, ढंग, दशा, अवस्था । दर्द। संज्ञा, पु० (दे०) पठानों की एक जाति। संज्ञा, सी० दे० (सं० स्मृति ) स्मरण, सुधि । सूरकांत- संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० सूर्यकांत) वि० दे. (सं० सुरत ) अनुकूल, कृपालु । मातंड-मणि, सूरजमुखी या भातशी शीशा, संज्ञा, पु० (दे०) एक नगर (बम्बई)। संज्ञा, एक तरह का बिल्लौर या स्फटिक ।
स्त्री० (१० सूरः ) कुरान का अध्याय । सूर-कुमार-संज्ञ', पु० दे० यो० सं० शूरसेन | सूरता सुरताई-संज्ञा, स्त्रो० दे० सं० शूरता)
+-कुमार ) शूरसेन के पुत्र, वसुदेव जी। शूरता, वीरता, बहादुरी। " सोइ सूरता सूरज--संज्ञा, पु० दे० ( सं० सूर्य ) सूर्य । बिक पाई"-रामाः । मुहा०-सूरज पर थूकना या धूल सरति--संज्ञा, खी० दे० (फ़ा० सूरत ) सूरत, कना-किसी निदेष या साधु को दोष
शक्ल, प्राकृति। संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० लगाना । सूरज को दीपक दिखाना
दखाना- सुरति ) सुरति (दे०), स्मरण, सुधि । बड़े भारी गुणी को सिखाना, सुविख्यात
सूरदास-संज्ञा, पु. (सं०) एक प्रसिद्ध सिद्ध व्यक्ति का परिचय देना। संज्ञा, पु. (सं०)
कृष्ण भक्त तथा हिन्दी के सर्वोच्च महाकवि शनि, यम, सुग्रीव, कर्ण राना, सूरदास । जो अंधे थे। “सूरदास बलिहारी।" संज्ञा, पु० दे० (सं० शूरज ) वीर-पुत्र, शूर
सूर्य नंदन--संज्ञा, पु० यौ० दे० (सं० सूर्यपुत्र ! " डारि डरि हथियार सरज प्राण लै
नंदन) सूर्य सुत । स्त्री०-सूरनंदिनी। लै भजहीं"-राम।
सूरन-संज्ञा, पु० दे० (सं० सूरण ) जमीकंद, सूर-तनया, सूर-मनुजा-पंज्ञा, स्त्री० यौ०
एक कंद विशेष, अोल (प्रान्तो०)। " रन(दे०) सूर्य तनया. सूर्य सुता, सूर्य तनुजा,
सूरन को लगत प्रिय, सूरन केर प्रचार"सूर्य-तनूजा यमुना
मना। सूरजतनी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० सूर्यतनया ) सूर्य्यतनया, यमुना जी।
सूरपना --संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० शूर्पणखा) सूरज-मुखी-संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० सूर्य
सूर्पणखा, शूर्पणखा, रावण की बहन । मुखी ) दिन में सूर्य की ओर मुख रखने सूर-पुत्र, सूर-पूत (दे०) -- संज्ञा, पु. (सं०)
और सर्यास्त या संध्या में नीचे भान यम, शनि, सुग्रीव, कर्ण, सूर-नंदन । वाले पीले फूल का एक पौधा, एक प्रकार |
सूर-वीर--संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० शूरवीर ) की आतिशबाज़ी, एक तरह का पंखा या!
__बहादुर पुरुष । छत्र, पातशी शीशा।
सूरमा --संज्ञा, पु० दे० (सं० शूरमानी) योद्धा, सूरज-सुत संज्ञा. पु. यौ० (सं० सूर्यसुत) वीर, बहादुर।। सूर्यात्मज, सुग्रीव. कर्ण, शनि, यम । सूरमापन-संज्ञा, पु० दे० (हि०) शूरमा, सूरज-सुता -संज्ञ', स्त्री० दे० यौ० (सं० वीरता, बहादुरी, वीरत्व । सूर्यसुता) सूर्यसुता, यमुना जी, तरनि- सूरमुखी-संज्ञा, स्रो० दे० यौ० (२०) सूर्यतनूजा, भानुना, रविजा ।
। मुखी, सूरजमुख ।
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