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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सुरमुखी मनि १८१२ सूर्य-मंडल | सुरमुखी मनि| संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० सूर्यकांत मणि ) सूर्यकांत मणि, श्रातशी शीशा । सूर्म्य – संज्ञा, पु० (सं०) सूरज (दे०), मार्तंड, अर्क भास्कर भानु रवि, श्रादित्य, दिवाकर, दिनकर, प्रभाकर, श्राकाश में ग्रहों के बीच सब से बड़ा एक ज्वलंत पिंड जिसकी परिक्रमा सब ग्रह करते तथा जिससे गर्मी सूरवाँ ---संज्ञा, पु० दे० ( हि० सूरमा ) सूरमा वीर, शूर सूर सावंत, सूर-सामंत - संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० शूर + सामंत ) सेनापति, मंत्री, सरदार, नायक | युद्ध सुर-सुत – संज्ञा, पु० दे० यौ० ( सं० सूर्य + सुत) शनि, यम, सुग्रीव, कर्ण । सूर- सुता -- संज्ञा, स्रो० (सं०) रविजा, यमुना जी. भानुजा । सूर- सुवन, सूर-सुमन - संज्ञा, पु० दे० (सूर्य) सूर्य पुत्र | ● सूरसेन - संज्ञा, पु० दे० (सं० यूरसेन ) बसुदेव जी के पिता । सूरसेनपुर —– संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० शूरसेन पुर) मथुरा नगरी । 6. सुरा - संज्ञा, पु० दे० ( सं० सूर ) अंधा, शूर, वीर, एक कीड़ा । सूरा गति है तुमहीं लौं मानौ सत्य मुरारी सूर. | "सूरा मेंोहा करो "" मिसंक " - स्फु० । सूरदास, की सुराख - संज्ञा, पु० ( फा० ) बिल, छेद, छिद्र । सूरि - संज्ञा, पु० (सं०) ऋत्विज, यज्ञ क वाला, विद्वान्, आचार्य्य, पंडित, सूर्य, कृष्ण । " अथवा कृत्-वाग-द्वारे वंशेऽस्मिन् पूर्व सूरिभिः - रघु० ० । " सूरी – संज्ञा, पु० ( सं० सूरिन् ) पंडित, विद्वान | संज्ञा, स्रो० (सं०) पंडिता. विदुषी, कुंती, सूर्य्य पत्नी । * – संज्ञा, स्त्री० (दे०) सूली, शूली (सं०) । * t – संज्ञा, पु० दे० ( सं० शूल ) भाला, बरछी । सूरुज*† – संज्ञा, पु० दे० (सं० सूर्य) सूर्य | सूरुवाँ (* --- संज्ञा, पु० (दे०) सूरमा ( हि०), शूर-वीर योद्धा । सूर्पणखा सूर्पनखा – संज्ञा, स्री० ३० (सं० शूर्पणखा ) सूर्पणखा, सूपनखा रावण की बहिन | Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir I र प्रकाश पाते हैं, श्राक, मदार, बारह की संख्या, सूरज, सुरिज, सूरज (दे० ) । स्त्री० - सूर्या, सूर्याणी | सूर्य्यकांत - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सूरजमुखी शीशा, श्रातशी शीशा, एक तरह का बिल्लौर या स्फटिक । यौ० - सूर्य काँतमणि । सूर्यकन्या. सूर्यकन्यका - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) यमुना । सूर्यग्रहण - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सूर्य का ग्रहण जब सूर्य चंद्रमा की छाया में श्राता है, सूरज गहन (दे०) । सूर्य तनय -संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सूर्य नंदन, सूर्यपुत्र कर्णादि । --- सूर्य-तनया – संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) यमुना, रवि-तनया । सूर्य-तापिनी - संज्ञा, ख े० ( सं० ) एक उपनिषद् | सूर्यनंदन - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सूर्य - सुत । स्त्री० - सूर्य नंदिनी - यमुना । सूर्य- पत्नी - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) सूर्य - प्रिया । सूर्य्य-पुत्र - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सूर्य - तनय, शनि, यम, वरुण, सुग्रीव, कर्ण, सूर्य-सुत, सूरज - पूत (दे० ) । सूय्य - पुत्री - संज्ञा, स्त्री० (सं०) सूर्य-कन्या, यमुना, बिजली (०) । सूर्य्यप्रभ - वि० (सं०) सूर्य के सदृश कांति मानू या प्रकाशवान । सूर्यप्रभा, सूर्य-प्रतिभा - संज्ञा, स्त्रो० यौ० (सं०) सूर्याभा, सूर्य की कांति या रोशनी, सूर्य का प्रकाश, धूप, घाम, सूर्यप्रिया, सूर्य- पत्नी, दीप्ति । सूर्य प्रिय - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कमल, माणिक | सूर्य मंडल - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) रवि-मंडल | For Private and Personal Use Only
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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