________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सूदन
१८१० सूदन-वि० (सं०) नाश करने वाला। संज्ञा, सूप-संज्ञा, पु० (सं०) पकी दाल या उसका पु. (सं०) हनन, बधन, मारने या वध करने । रसा, रसेदार तरकारी, व्यंजन, रसोइया, का कार्य फेंकना, अंगीकरण “ लखन, बाण, पाचक । " भोजनं देहि राजेन्द्र घृतशत्रु-सुदन एक रूपा"-रामा ।
सूप-समन्वितम्"---भो० प्र० । सज्ञा, पु० सूदना--स० कि० दे० (सं० सुदन ) नाश दे० ( सं० सूय ) अन्न फटकने या पछोरने करना, मार डालना या वध, हनना। का सींक, सरई या बाँस का छाज, सूपा । सूदी-वि० (फ़ा०) व्याज पर उठा धन,
लो०-"लाला परे सूप के कोन'-कहा। व्याजू ।
सूपक-संज्ञा, पु० (सं०) सुवार, रसोइया, सूद्र-संज्ञा, पु० दे० ( सं० शूद्र ) शूद, नीच
रसोई बनाने वाला, रोटकरा (ग्रा०)। जाति ।
सूपकार--संज्ञा, पु० (सं०) सुवार, पाचक,
रसोइया। सूध, सूधा-वि० दे० ( हि० सीधा ) अजु,
सूपच*-संज्ञा, पु० दे० (सं० श्वपच ) सीधा, सरल । “सूध दूध मुख करिय न
श्वपच, डोमार, डोम, सुपच (दे०)। कोहू"-रामा० । “बॉवी सूधो साँप"
सूपनखा-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० शूर्पणखा ) -नोति । स्रो० सूधी।
शूर्पणखा। सूधना*-अ० क्रि० दे० ( सं० शुद्ध ) सिद्ध |
सूपशास्त्र-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सूप-विद्या, होना, सत्य या ठीक होना । स० रूप
पाक-शास्त्र, पाक-विद्या या कला। सुधाना-साधा करना, सुधियाना। सूपा-संज्ञा, पु० दे० ( सं० शूर्प) अन्न पछोसूधे-क्रि० वि० दे० (हि. सीधा ) सीधे, रने का सूप । सीधे से । “भय वश सूधे परे न पाऊँ , सूफ़-- संज्ञा, पु० (अ०) ऊन, पश्म, देशी -रामा० वि० (दे०) सूधा का वहुववन ।
___ काली स्याही को दावात में डालने का
। लत्ता। सून-संज्ञा, पु. (सं०) जनन, प्रसव, पुत्र, | सूफी - संज्ञा, पु० (अ.) उदार मुसलमानों कलिका, फूल, फल । *संज्ञा, पु० वि० | का एक धार्मिक संप्रदाय । दे० ( सं० शून्य ) शून्य, सूना, ख़ाली।
सूबा-संज्ञा, पु० (फा०) किसी देश का एक "सून भवन दसकधर देखा "--रामा० । भाग, प्रदेश, प्रांत । 'वे (दे०) सूबेदार । सूना-वि० दे० (सं० शून्य ) शून्य, खाली, सूबेदार-संज्ञा, पु० (फा०) प्रांत या प्रदेश निर्जन, सुनसान । स्त्री०–सूनी । संज्ञा, ___ का शासक, सूबे का हाकिम, सेना में एक पु०-एकांत, निर्जन स्थान । संज्ञा, स्त्री० छोटा श्रोहदा, गवर्नन (अ०)। (सं०) कन्या, बेटी, पुत्री, कसाई-खाना, सूबदारी--दा, स्त्री० (फा०) सूबेदार का हत्या-स्थान, गृहस्थ घर में जीव-हिंसा की श्रोहदा, प्रांताधीश का पद या कार्य। सम्भावना के स्थान, चूल्हा-चक्की आदि, घात, सूभर*-वि० दे० ( सं० शुभ्र ) सुंदर, मनो. हत्या । " सोना लादन पिय गये, सूना रम, दिव्य, धवल, सफ़ेद, श्वेत, उज्ज्वल । करिगे देस"-गिर।
सूम --- वि० दे० ( अ. शूम ) कंजूम, कृपण, सूनापन-संज्ञा, ५० दे० (हि० सूना -- पन- पूँजी । “खाय न खरचै सम धन"-वृ० । प्रत्य०) सन्नाटा, सूना होने का भाव । संज्ञा, स्त्री०-समता, सूमताई, सूमई । सूनु-संज्ञा, पु० (सं०) पुत्र, लड़का, बेटा, सूर --- संज्ञा, पु० (सं०) अर्क, सर्दी, मदार, संतान, अनुज, छोटा भाई, दौहित्र, नाती, आचार्य, पंडित (दे०) सूरदास, अंधा, १६ सूर्य, भानु ।
गुरु और १२० लघु वाला छप्पय छंद का
For Private and Personal Use Only