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सूचना-पत्र
१८०८
(वैद्य०)।
चितावनी, भोटिस, (अं०)। *अ० कि० दे० प्रादि के कारण शरीर के किसी अवयव का (सं० सूचना) बतलाना, छेदना, वेधना। फूल उठना, फूलना, शोथ होना, उसुवाना सूचना-पत्र-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) विज्ञप्ति, (ग्रा० )। इश्तहार (फा०),विज्ञापन, नोटिस(अं०)। सृजनी--संज्ञा, स्त्री० दे० ( फा० सोज़नी ) सूचा-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० सूचना) सूचना,
विशेष कौशल से सिला हुश्रा एक बिछौना, विज्ञप्ति, विज्ञापन | -संज्ञा, स्त्री० दे० सुजनो (दे०)। (हि. सुचित्त) सावधान, सचेत, सुचित्त। सूजा-मज्ञा, पु. द० (सं• सूची) बड़ी और सूचिका--संज्ञा, स्त्री० (सं०) सुई. हस्ति-शुंड. ! मोटी सुई, सूत्रा। हाथी की सँड़, तालिका, सूची, (सं. अल्प सूजाक -- सज्ञा, पु. (फ़ा०) मूत्रकृच्छ रोग, सूची।
दाह और पीडायुक्त एक मून्द्रिय-रोग, सूचिकामरगा -संज्ञा, पु० (सं०) सन्निपात श्रौपसगिक प्रमेह, सूजाक (द०)। प्रादि मारक रोगों की अंतिम महौषधि सूजाख- ज्ञा, पु. द० (फा० सूजाक )
- सूजाक रोग, मूत्र-कृच्छ । सूचिन-वि० (सं०) ज्ञापित, प्रकाशित, सूजी-संज्ञा, स्त्री० दे० सं० शुचि) गेहूँ का जताया या प्रगट किया हुआ, जिसे या मोटा श्राटा! संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० सूची) जिपकी सचना दी गई हो. सूचना-प्रात।सुई। संज्ञा, पु. द. (पं० सूची) दरजी, सूची- संज्ञा, पु० (सं० सूचिन्: भेदिया, चर, सूचिक। गुप्तदूत, चुकुलखोर, दुष्ट, खल | संज्ञा, स्त्री.
सूझ-संज्ञा, स्त्री० द० (हि. मूझना) दृष्टि, (सं०) दृष्टि, कपड़ा सीने का सुई. सेना का
निगाह, नज़र, सूझने का भाव । यो०एक व्यूह, तालिका, सूचीपत्र, मात्रिक छंद
सूझ बूझ-समझ, बुद्धि, ज्ञान, अक्ल, भेदों में श्राद्यत लघु या गुरु की संखा जानने
अनोबी कल्पना. उपज, उद्भावना: “मुनिहि की एक रीति या विधि (पि.)।
हरिअरे सूझ-रामा० । सूचीकर्म-संज्ञा, पु० यौ० (सं० म्चीकर्मन्)
सझना -- अ० कि० दे० (सं० संज्ञान) देख दरजी का सिलाई का काम, सुई का काम,
पड़ना, दिवलाई देना, दृष्टि या समझ में सुईकारी
अाना, छुट्टी पाना, ध्यान या ख्याल में सूचोपत्र-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) वह छोटी श्राना, ज्ञात होना । " जैसे काग जहाज पुस्तक आदि जिसमें एक ही भांति के अनेक | को सूझ और न ठौर' - नीति । सं० रूप. पदार्थी या उनके अंगादि की कम पे नामा. मुझाना, प्र० रूप-सुझावना,सुझवाना। बली हो, सूची, तालिका, फेहरिस सूटा-संज्ञा, पु० (अनु०) गाँजे या तम्बाकू सूच्छम-सूनिकम - वि० दे० (सं० मूक्ष्म)
आदि के धुवों को वेग से खींचना । सूक्ष्म, बारीक, महीन, पतला, सुच्छिम, सूत, सता--संज्ञा, पु० द० (सं० सूत्र) रुई, सुच्छम, सूप (दे०)
रेशम या ऊन का महीन तार, तागा, डोरा, सूच्यार्थ-ज्ञा, पु. यौ० (सं०) जो अर्थ धागा, सूत्र, ततु, डोरी, नापने का एक मान,
शब्दों की व्यंजना-शक्ति से ज्ञात हो। लकड़ी, पत्थर आदि पर चिह्न करने की डोर, सूहम-सूछिम -वि० दे० ( सं० सूक्ष्म ) (बदई, राज, संगतराश) । लो०-" सूत न सूचम, बारीक, महीन, पतला।
कपास कोरियों में लहम ल?" । मुहा० सूज-सूजन-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० सूजन) -सून धरना-चिन्ह' बनाना । संज्ञा, शोथ, फुलाव, सूजने का भाव।। पु. (दे०) निशान, खोज, पता । सूजना-अ० क्रि० दे० (फ़ा० सोजित) चोट मुहा०-सूत मिलना-पता या चिह्न
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