________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
TODAE
-
सुलकी १८०१
सुलेखक सुलंकी-संज्ञा, पु० दे० ( हि० सोलंकी) सुलतानी-संज्ञा, स्त्री० (अ० सुलतान) राज्य, एक प्रकार के क्षत्रिय, सोलंकी।
बादशाही, बादशाहत, एक रेशमी कपड़ा। सुनक्खन-संज्ञा, पु.. (ग्रा०) सुलन्छन वि० (दे०) लाल रंग का। (दे०) सुलनण।
सुलप, सलु-वि० दे० ( स० स्वल्प ) सुलक्षण- वि० (सं०) अच्छे चिन्हों वाला, स्वल्प, थोड़ा, किंचित्, रंच । संज्ञा, पु० दे० भाग्यवान, गुगां, सलच्छन (दे०)। "लखें (सं० सु + पालाप) सुंदर पालाप । सुलक्षण लोग"--रफु० । संज्ञा, पु०- सला - वि० दे० (सं० सु+लपना हि०) शुभ लक्षण, शुभ चिन्ह । सातमात्राओं पर
मात्रात्रा पर लचने वाला, कोमल, लचीला. लफनेवाला। गुरु और लघु के साथ तब विराम वाला
सुलफ़ा---संज्ञा, पु० दे० (फा० सुल्फः) बिना १४ मात्राओं का एक मात्रिक छंद पिं०)। तवा की चितम में भरकर पीने की तंबाकू सुलक्षणा-वि० स्त्री० (सं०) अच्छे चिन्हों
या चरप । मुहा०-सुलका झंकना। या लक्षणों वाली स्त्री।
सुलके बाज-- वि० दे० (हि० सुलफ़ा+बाज़सुलक्षणी-वि० स्त्री० ( सं० सुलक्षणा )
फा०) चरस या गाँजा पीने वाला। संज्ञा, सुलक्षणा, सुतच्छनी (दे०) ।
स्त्री० --सुल के बाजी। सुलग-- अध्य० दे० ( हि० सुलगना ) पास,
.. सुलभ-वि० (स.) सहज, सुगम, सरलता निकट, समीप ।
से प्राप्त होने वाला, पासान, साधारण । मुलगना---ग्र० कि० दे० (सं० सु-+ लगना) संज्ञा, स्त्री०-मुलभता, सुलभत्व । 'स्वारथ दहकना, जलना. बहुत संताप होना। परमारथ, सकल सलभ एक ही भोर"--- स० रूप-सुलगना, प्रे० रूप-मुलगवाना। तुल। सुलच्छन-वि० द० ( सं० सुलक्षण ) सतम्य --- वि० सं०) सहज में मिलने वाला, सुलक्षण, मुलाखन 'ग्रा०)।
सुगम, सुलभ. मामूली। विलो०-अलभ्य । सुलधनी - वि० (दे०) सुलतगा (सं०)। सलह - सज्ञा, स्त्री० (अ०) मेल-मिलाप, लड़ाई सुलक-वि० दे० ( सं० सुलक्ष ) सुन्दर। के पीछे किय गया मेल, मिलाप । सुलझन --संज्ञा, स्त्री० ६० हि• सुलझना) सलहनामा- संज्ञा, पु० दे० यौ० ( अ० सुलह सुलझाव, सुलझना क्रिया का भाव, सुर- -नामः-फा०) संधि-पत्र, मेल होने का लेखभनि (दे०) : विलो . .--उलझन । पत्र, परस्पर युद्ध करने वाले राजाओं के द्वारा सलझना -अ० क्रि० द० (हि० उलझना) : सुलह या मेल की शर्तो का कागज़, दो उलझे हुये पदार्थ की उलझन दूर होना, लड़ने वाले व्यक्तियों या दलों के समझौते मिटना या खुलना, जटिलतानों का नष्ट की शर्ती का लेख । होना, सुरझना (दे०)। स० रूप --सुल- सुलगना--प्र० क्रि० दे० हि० सुलगना) भाना, प्रे० रूप-सुलझवाना।
सुलगना, प्रज्वलित होना, सुलगाना। सुलटा-वि० दे० (हि. उलटा) सीधा : स्त्री० मुलाना-स० कि० (हि. सोना ) शयन सुलटी। विलो०-उत्तटा।
कराना, किसी को सोने में लगाना, डाल सुलतान- संज्ञा, पु० (प्र०) बादशाह । देना, लिटाना, सोवाना (दे०)। सुलताना चंपा-संज्ञा, पु. यो. (अ० सुल- सुलेखक-संज्ञा, पु. (सं०) उत्तम लेख या ताना-- चंपा) एक प्रकार के चंपा का पेड़, प्रबंध लिखने वाला, लेखक, सुलेख या पुत्रताग।
सुन्दर लिखने वाला। भा० श० को.----२२६
For Private and Personal Use Only