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सुराहीदार
सुराहीदार - वि० ( अ० सुराही + दार ) सुराही के आकार का लंबा और गोलाकार । सुरिज - संज्ञा, पु० दे० (सं० सूर्य ) सूरज । सुरी - संज्ञा, स्त्री० (सं०) देवांगना | "कहो इन्द्र को ज्ञान को सिखावे । “
सुरी
१८००
छोड़ि के मानुषी लेन धावे " - मन्ना० ।
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सुरीला - वि० ( हि० सुर + इला - प्रत्य० ) सुस्वर पुरुष, मधुर गला और स्वर वाला, सुस्वर कंठ, मधुर स्वर वाला । स्त्री० - सुरोली सुख - वि० दे० (सं० सु + रुख - फा० ) प्रसन्न, अनुकूल, सदय | संज्ञा, पु० (३०) सुर्ख ( फा० ) सुरख | संज्ञा, स्त्री० (दे०) सुरुखी । सुरूखरू - वि० दे० (फा० सुरू ) यशस्वी प्रतिष्ठित, सम्मानित, जिसे किसी कार्य में यश मिला हो ।
सुरूचि - संज्ञा, स्त्री० (सं०) राजा उत्तानपाद की रानी और उत्तम कुमार की माता तथा ध्रुव की विमाता, अच्छीरुचि । वि० - जिसको उत्तम या श्रेष्ठ रुचि हो । सुरूज | संज्ञा, पु० दे० ( सूर्य, सुरज (दे० ) । सुरूज मुखी | संज्ञा, पु० दे० ( सं० सूटमुखी) सूर्यमुखी, गेंदा का फूल, सूरजमुखी ।
० सूर्य्य )
सुवा - संज्ञा, पु० दे० ( फा० शाखा ) तरकारी का मसालेदार पानी, शोखा । सुरूप - वि० (सं०) रूपवान, सुन्दर व्यक्ति, खूबसूरत । स्त्री० - सुरूपा | संज्ञा, स्त्री० (सं०) सुरूपता | संज्ञा, पु० - कुछ देव व्यक्ति, कामदेव, अश्विनी कुमार, पुरुरवा, नकुल, सांब, नलकूवर । * संज्ञा, पु० दे० (सं०स्वरूप ) स्वरूप ।
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सुरूपता - संज्ञा स्त्री० (सं०) सुन्दरता, खूब सूरती ।
सुरूपा -- संज्ञा, स्त्री० (सं०) सुन्दरी । सुरूर - संज्ञा, पु० (दे०) सरूर ( फ़ा० ) । सुरेंद्र - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) इन्द्र, राजा, देवेन्द्र, सुरेश ।
सुतंक
सुरेंद्र चाप - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) इन्द्र
धनुष ।
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सुरेंद्र वज्रा - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) त, व, ज, (गण) और दो गुरु वर्णों वाला एक वर्णिक छंद या वृत्त, इन्द्रवज्रा । "स्यादिन्द्रवज्रा यदि तौ जगौगः " (पिं० ) ।
G
सुरेध - संज्ञा, पु० (१) शिशुमार, सँस । सुरेश, सुरेश्वर-संज्ञा, पु० दे० (सं०) इन्द्र, विष्णु, शिव, लोकपाल, कृष्ण,
सुरसुर
(दे०) । सुरेश्वर - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) रुद्र, इंद्र, ब्रह्मा, विष्णु ।
सुरेश्वरी - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) लघमी, सरस्वती, दुर्गा जी, स्वर्ग गंगा | सुरेस - संज्ञा, पु० दे० ( सं० सुरेश ) सुरेश | सुरत, सुरैतिन -संज्ञा स्त्री० दे० (सं०सुरति) उपपत्ती, बैठाली स्त्री, रखनी रखेली। सुरोचि - वि० दे० (सं० सुरुचि ) सु दर, कांतिमान |
सुरोचिप - संज्ञा, पु० (०) चन्द्रमा, कांति
मान |
सुख - वि० ( फा० ) लाल | संज्ञा, पु० - गहरा लाल रंग, सुरख, सुरुख (दे० ) | संज्ञा, स्त्री० – सुख ।
सखरू - वि० ( फा० ) जिसके मुख की कांति (लाली) किसी कार्य में सफलता न होने से रह गई हो, प्रतिष्ठित, कांतिमान, प्रतापी, तेजस्वी | संज्ञा, स्त्री० - सुरूई । सुख - संज्ञा, स्त्री० (फा० ) श्ररुणिमा, लाली, लालिमा, लेख- प्रबन्धादि का शीर्षक, रक्त, लोहू, खून, ईंट का चूर्ण, सुरखी (दे०) । सुर्ता- वि० दे० ( हि० सुरति स्मृति ) स्मरण, याद, चतुर, समझदार, धीमान | सुर्ती - संज्ञा, स्त्री० (दे०) सुरती, तम्बाकू | सुर्मा - संज्ञा, पु० ( फ़ा० ) सुरमा, (नेत्रों में लगाने का ) ।
सुलंक- संज्ञा, पु० दे० ( हि० सोलंक ) क्षत्रियों की एक पदवी, सोलंक | संज्ञा, स्त्री० (सं०) सुन्दर लंका सुन्दर कटि ।
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