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सुखबाद १७८१
सुगति सुखवाद-संज्ञा, पु० सं०) सुख को ही "सुखिया ससुरे सुख पावति नाही"जीवन का प्रधान लच्य मानने का सिद्धांत । स्फु० ।। वि० सखवादी।
| सुखित-वि० (सं०) सुखी, प्रसन्न, हर्षित, सुखवार-वि० दे० (सं० सुख) सुखी, खुश, खुश, उल्लमित प्रमुदित । वि० दे० (हि.
प्रसन्न, सुख के दिन । स्त्री०-रखवारी। सूचना ) सूपा हुआ। सुखमाध्य-वि० यौ० (सं०) सरल, सहज, सुखिता-हज्ञा, स्त्री० (सं०) सुखी, प्रसन्न । श्रापान सुकर । "रोगी को सुखमाध्य लवि सुखिर-- संज्ञा, पु० (दे०) साँप का बिल । तब करिये उपचार"---कु० वि०। सुखी - वि० ( सं० सुखिन् ) जिसे सब प्रकार सुखमार-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मोन, का सुख हो, श्रानंदित, हर्षित, खुश, प्रसन्न । मुक्ति, सुख का तत्व या मूल, परम सुख । “सुखी मीन जहाँ नीर अगाधा"-रामा। "सुकिया परकीया कहो पुनि गणिका सुख. सुखेन-संज्ञः, पु० दे० ( सं० सुत्रेण ) एक सार"-पद्मा।
बानर जो सुग्रीव का राज्यवैद्य था।" कोउ साल-सीकर-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) सुवाश्रु, कह लंका वैद्य सुखेना'--रामा० । संज्ञा, श्रानंदाश्रु, सुख-सलिला।
पु. ( सं० सुव का करण = रूप) सुख से । सुखांत --संज्ञा, पु० यौ० (सं०) वह वस्तु या "कही सुखेन यथा रुचि जेही "-रामा । काव्य जिसका अंत सुवमय हो । वह नाटक सुखेतक-- हाज्ञा, पु० (सं०) न, ज, भ, ज, र, जिसके अंत में सुखभरी घटना हो, संयो- (गण ) युत्ता । एक वर्णिक वृत्त या छंद,
गान्त नाटक । विलो. दुखान्त । प्रभद्रक, प्रभद्रिका (दे०)। मुबाना-२० क्रि० (हि० सूचना ) झा- सुखैना-वि० दे० (सं० सुख ) सुग्वद,
घाना, किसी गीली वस्तु को धूप में यों सुवप्रद, सुखदेने वाला । संज्ञा, पु० (दे०) रखना कि उपका गोलापन मिट जावे, गीला- सुपेण । पन या नमी मिटाने की कोई क्रिया करना, मुख्याति-ज्ञा, स्त्री० (सं०) प्रसिद्धि, यश, सुखवाना, सुखावना । अ० क्रि०-सूखना। __ कीर्ति, शोहरत, बड़ाई । " जाकी जग सुखारा-सुखारी - वि० दे० ( हि० सुख । सुख्याति है, सो जीवत जग माँहि "
+पारा-~-प्रत्य० ) सुखद, सुखी, प्रसन्न, मन्ना. विख्यात-विख्यात। पाराम से । वि० दे० (हि० खारा ) खूब सुगंध-सुगंधि--संज्ञा, स्त्रो० (सं०) सुरभि, खारा । “ममबिनि अब तुम रहहु सुवारी"
अच्छी, सन्दर और प्रिय महक, खुशबू, -राम० । “राम-लखन सुनि भये सुग्वारे" | सुवास सौरभ, वह वस्तु जिससे अच्छी -रामा०।
महक निकलती हो, जैसे चंदन, केसर, सुखाला-वि० दे० (सं० सुखालय ) सुखद, कस्तूरी, श्रीखंड श्राम, परमात्मा । वि०सुखदायक, सहज । स्त्री०-सुग्वाली। सुगंधित-ौरभीला, खुशबूदार । सुखावह - वि० (सं०) सुखद, सुखदायी। सुगधवाला - संज्ञा, स्त्रो० दे० ( सं० सुगंध सुखासन-संज्ञा, पु० यो० (सं०) शिविका, +हि० वाला ) एक सुगधित बनौषधि । सुखद श्रासन, डोली, पालकी। "लिविका दुगंधित-वि० ( सं० सुगंधि ) सुगंधयुक्त, सुभग सुखापन जाना''-रामा०। खुशबूदार, अच्छी महक वाला। सुखिश्रा-सुखिया-क्रि० दे० (सं० सुत्री) सुगत-संज्ञा, पु० (सं०) बुद्ध जी, बौद्ध । सुखी, सुखयुक्त, सुखवाला | “ सुखिया सुगति-संज्ञा, स्त्री० (सं०) मरणोपरान्त सब संसार खाय सुख से हैं बैठे" - कबी०। उत्तमगति, सद्गति, मुक्ति, मोक्ष । "कीरति
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