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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org CUSTOM SADA ,' १७८२ सुगना -- रामा० । एक भूति सुगति प्रिय जाही ७ मात्राओं और दीर्घ वर्णान्त एक मात्रिक छंद (पिं० ) | सुगना | संज्ञा, पु० दे० (सं० शुक्र ) शुक्र, तोता, सुग्गा ( ग्रा० ) सुवा सुया । सुगम - वि० (सं०) जिसमें या जहाँ जाने में कठिनता या कष्ट न हो, सहज, सरल, थालान । “अगम सुगम होइ जात है सत्संगतिबल पाय" -- मन्ना० । संज्ञा, खो०सुगमता ! सुगमता - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) सरलता, श्रसानी, सहजपन | सुगम्य - वि० (सं० ) जिसमें था जहाँ सहज ही में प्रवेश हो सके जा सकें । 19 सुगल- संज्ञा, पु० दे० (सं० सु + गल या गला - हि०) सुग्रीव । “कुम्भकरण की नासिका कागल तुरंत 1 सुगाध - वि० (सं०) शासानी से पार करने या सुख पूर्वक नहाने के योग्य । सुगाना* - अ० क्रि० दे० ( हि० या सं० शोक ) नाराज या दुखित होना, बिगड़ना । संज्ञा, पु० (दे०) सुन्दर गान । सुगीविका - संज्ञा, त्रो० (सं० ) एक मात्रिक छंद जिसके प्रत्येक चरण में पचीस मात्रायें यादि में लघु और अंत में गुरुतथा लघु वर्गा होते हैं (पं) । सुगुरा- संज्ञा, पु० दे० ( पं० सुगुरू ) यह पुरुष जिसका गुरु श्रेष्ठ धौर विज्ञ हो, सद्गुरुदीक्षित | विलो०- निगुरा । सुगैया - संज्ञा, त्रो० दे० ( हि० सुग्गा ) चोली, अँगिया, चोलिया, सुन्दर गाय | " मोहिं लखि सोवत बिधोरि गौ सुत्रेनी बनी, तोरि गौ हिये को हरा छोरि गौ सुगैया को " - पद्भा० । सुग्गा - संज्ञा, पु० दे० (सं० शुक्र ) शुक, तोता, सुश्रा या सुवा, सुगना । सुग्रीव - संज्ञा, पु० (सं०) वानरेश बालि का भाई और श्रीराम का मित्र । कह सुग्रीव 16 सुचा 35 नयन भरि बारी - रामा० । शंख, इंद्र | वि० - जिसकी गर्दन अच्छी हो, सुकंठ । सुघट - वि० (सं०) सुन्दर, मनोहर, सुडौल, जो आसानी से बन सके । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir "" सुघटित - वि० (सं० सुघट ) भली भाँति बनाया गढ़ा हुआ, सर्वथा चरितार्थ । सुघड़ सुघर - वि० दे० (सं० सुघट) सुन्दर, सुडौल, मनोरम, चतुर, कुशल, प्रवीण, निपुण | 'सुघर सुप्रासिनि गावहिं गीता" -- रामा० । संज्ञा, पु० - (हि०) सुन्दर घर । सुबड़ई- सुबरई -संज्ञा स्त्री० दे० (सं० सुघट --- हि०. सुघड़, सुघर ) सुंदरता, सुडौलपन, चतुरता, सुघराई | " जा तिरिया की सुरई लखि मोहैं प्रज्ञान - पद्म० । सुघड़ना सुघरता - संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० सुघड़, सुघर) सुंदरता, सुडौलपन, दक्षता । सुघड़पन सुधरपन - संज्ञा, पु० दे० ( हि० सुघड़, सुघर ) सुंदरता, निपुणता, चतुरता । सुघड़ाई गई -संज्ञा, स्त्रो० दे० ( हि० सुघड़, सुघर ) सौंदर्य, सुन्दरता, चतुरता । सुघड़ाया सुबराया - संज्ञा, पु० दे० ( हि० सुघड़, सुघर) सुंदरता, खूबसूरती सुघराई । सुघरी - संज्ञा, स्रो० दे० (सं० सुघटी) भली सायन, अच्छी घडी या समय, शुभमुहूर्त्त, व्याह, विदा वि० स्रो० ( हि० सुचर ) सुडौल, सुंदर, खूबसूरत । सुच- सुचि - वि० दे० (सं० शुचि) पवित्र । "सुच सेवक सब लिये हँकारी -रामा० । सुचना - स० क्रि० दे० ( सं० संचन ) संचय या इकट्ठा करना, एकत्र या जमा करना । सुचरित - सुचरित्र - संज्ञा, पु० (सं०) सच्चरित्र, उत्तम या श्रेष्ठ द्याचरण वाला, सुचाली, नेक चलन, सुन्दर चरित या चरित्र, सुन्दर जीवनवृत्त या कथा | खी० – सुचरित्रा | सुचा - वि० दे० (सं० शुचि ) पवित्र । संज्ञा, खो० दे० (सं० सूचना ) ज्ञान, बुद्धि, चेतना, समझ, शान्ति, सावधानी । For Private and Personal Use Only "
SR No.020126
Book TitleBhasha Shabda Kosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamshankar Shukla
PublisherRamnarayan Lal
Publication Year1937
Total Pages1921
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size51 MB
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