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सुखदाई
सुखवन सुखदायिनी । “सुखदाइन तेहि सम कोउ सुखधाम--संज्ञा, पु० यौ० (सं० सुख + धाम) नाहीं".-रामा०।
सुव-भवन, सुखसहन, सुग्वसभ, सुख का सुखदाई-वि० दे० (सं० सुखदायी) सुख घर, सुखालय, बैकुंड, स्वर्ग सुग्वद । “ सब देने वाला, सुखद।
सुख-धाम राम प्रिय, सकल लोक-प्राधार" सुखदाता-वि० यौ० (सं० मुखदातृ) सुखद, -रामा०। सुखदायी। “कोउ न काहु कर सुख-दुख-सुखना * ---अ० कि० दे० ( हि० सूखना ) दाता"-रामा ।
सूखना. खुश्क या शुष्क होना। सुखदान-वि• यौ० (सं० सुखदातृ) सुख. सुख निदिया-संज्ञा, स्त्री० यौ० दे० (सं० दाता। संज्ञा, पु. यौ० (सं.) सुख का सुखनिंदा) मुख की नींद. सुग्व-नींद। दान।
सुखपाल-संज्ञा, पु. (सं०) एक प्रकार की सुखदानि-सुखदानी-वि० स्त्री० (हि. पालकी । “ हग सुम्वपाल लिये खड़े, हाज़िर सुखदान ) श्रानंद या सुख देने वाली। | लगन कहार'-- रतन । "सब प्रकार रघुबर-कथा, सब काहुहिं सुख- सुखपूर्वक -- क्रि० वि० यौ० (सं०) सुख या दानि'-कु० वि० । संज्ञा, स्त्री. (सं०) प्रसन्नता या हर्ष से, श्रानंद के साथ। ८ सगण और एक गुरु वर्ग वाला, एक सुखप्रद -वि. (सं०) सुखद, सुख देने वर्णिक छंद या वृत्त, (पिं०) सुंदरी छंद, वाला । स्त्री०-सुखप्रदा। "मित सुखप्रद चंद्रकला, मल्ली छंद।
सुनु राज-कुमारी"--रामा० । सुखदायक-वि० यौ० (सं०) सुख-प्रद, सुख सुखमन -संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० सषुम्ना) देने वाला । "श्री रघुनायक जन-सुख-दायक, सुपुम्ना नाड़ी, सुखुमना (दे०)। करुणा-सिंधु, खरारी"-रामा । स्रो०- सुखमा-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० सुषमा) छवि, सुखदायिका।
शोभा, संदरता, वामा छंद या वृत्त (पिं०)। सुखदायी-वि० (सं० सुखदा यन् ) सुखद, ! "जनक भवन की सुखमा जैसो"-रामा० ।
सुख देने वाला । स्त्री०-सुखदागिनी। सुख-रास, सुख-रानि, सुख-रामीसुखदायो * -- वि० दे० (सं० सुखदायी)
वि० दे० यौ० (सं० सुखराशि ) सुखरूप, सुखदायी, सुखद।
सुबमय, सुख की राशि । “जो सच्चिदानंद सुखदास-संज्ञा, पु० (दे०) एक प्रकार का सुख-रासी"-रामा० । बढ़िया चावल या अगहनी धान ! यौ०- सुखलाना-२० क्रि० दे० (हि. सुखाना ) सुख का ( के लिये ) दाप।
सुग्वाना, शुष्क करना, सुखावना, सुखसुखदेनी-वि० दे० (सं० सुखदायिनी) लावना (दे०)। सुखदायी । “राम-कथा सब कहँ सुख सुखवंत-वि० (सं० सुखवत्) सुखी, खुश, देनी"-क० वि०।
प्रसन्न, सुखद, सुखवान। सुखदैन - वि० दे० (सं० सम्वदायी) सुखद, सुखवन-संज्ञा, पु० दे० (हि. सखना ) सुखदायी। "बीति चली रस रैन ह, आये वह कमी जो किसी पदार्थ के सूखने से हो, नहिं सुख-दैन"-शि० गो।
वह पदार्थ जो सूख्ने को धूप में रखा सुखदैनी-वि० दे० (सं० सुखदायिनी ) | जाता है । संज्ञा, पु० (हि० सूखना) स्याही सुख देने वाली। "प्रभु-कीरति-की रति, सुखाने वालो बालू या कागज, ब्लाटिंग भगति, सुभ-गति सुख-दैनी सदा"- पेपर ! “खाय गयी राम चिरैया मेरो सुखसाल।
वन"-- कवी।
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