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सिलवट १७६१
सिल्ली सिलपोहना ) व्याह की एक रीति जब स्त्रियाँ सिलाजीत - संज्ञा, पु० दे० (सं० शिला सिल पर उरद की दाल पोलती हैं। जतु ) शिलाजतु, एक पौष्टिक औषधि । सिलवर--संज्ञा, श्री० दे० ( सं० शिलापट्ट) सिलाना--स० कि. ( हि० सीना का द्वि०,
सिकुड़न, शिकन, सिलापट, मिल, सिलौटी। प्रे० रूप) सीने का कार्य दूसरे से कराना । मिलचट्टा ---संज्ञा, पु. यौ० (दे०) सिल और सिलावना --स० क्रि० दे० (हि. सिराना) लोढ़ा।
सिलाना । अ० क्रि० ( हि० सील ) गीला सिलवाई ----संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. सिलवाना) होना, नम होना, सीलन माना। सिलाने की मजदूरी, सिनाई।
सिलारस--सज्ञा, पु० दे० (सं० शिलारस) सिनचाना-स० क्रि० दे० ( हि० सिलाना ) सिल्हक वृक्ष, उसका गोंद, सिलाजीत ।
सीने का कार्य दूसरे से कराना, सिलाना, सिलावट-- सज्ञा, पु० दे० (सं० शिलापट्ट) सिवाना (ग्रा०)।
संग-तराश, पत्थर गाढ़ने वाला। सिलसिला-संज्ञा, पु. (अ०) क्रम, श्रेणी, लिलाह-संज्ञा, पु. (अ.) कवच, अस्त्र, शस्त्र, पंक्ति, परंपरा. बँधा हुआ तार, लड़ी, हथियार, जिरह-बकतर। जंजीर, शृंबला. तरकोव, व्यवस्था । वि• सिलाहवंद --- वि० (अ.+फा०) हथियारदे० (सं० सिक्त ) चिकना, गाला, भीगा बंद, सशस्त्र शस्त्रास्त्र-सुपज्जित । और चिकना जिस पर पैर फिसल जावे। सिलाइर -- संज्ञा, पु० दे० ( हि सिलहार ) अ० कि० (दे०) सिलसिरदाना ।
सिलहार, खीला बीनने वाला। सिलसिलेवार - वि० दे० ( अ---फा० )
०) सिलाही-शा, पु० दे० (अ. सिलाह ) तरतीबवार, क्रमानुसार, यथाक्रम ।
| सिपाही, सैनिक, हथियार वाला। सिलह-संज्ञा, पु० द० ( अ० सिलाह )
सिलिपां* --संज्ञा, पु० दे० ( सं० शिल्प) हथियार, अस्त्र।
शिल्प, कारीगरी, दस्तकारी। सिलहखाना- संज्ञा, पु० यौ० (अ० सिलाह
सिली- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० शिला) + खानः-फा०) शस्त्रागार, हथियार रखने
शिला, पथरी, सान। का स्थान। सिलहारा-संज्ञा, पु० दे० (सं० शिल कार )
मिनीख--संज्ञा, पु० दे० (सं० शिलीमुख) सीला या खेत में गिरा हुअा अा बीनने
शिलीमुख, वाण, तीर, शर, भ्रमर, भौंरा । वाला।
"न डिगै न भगै मृग देखि सिलीमुख" सिलहिला--वि० द० (हि. पीड़ । होला ~कविः ।
-- कीचड़ ) कीचड़ के कारण ऐसा चिकना सिलोच-सिलोच्चय-संज्ञा, पु० दे० (सं० कि पैर फिसले । स्त्री० --सिलाइन्ती । शिल'च, सिलाच्चय ) एक पहाड़ । सिला- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० शिला) सिलौट-सिलौटा-संज्ञा, पु० दे० (सं० पत्थर की शिला या चट्टान । संज्ञा, पु० दे० (शिला --बट्टा -- हि०) सिल, मसाला ( सं० शिल) कटे खेत में से बिना हश्रा पीसने की सिल तथा बट्टा । स्त्री० अन्न, कटे खेत में गिरे दाने बीनना, सिलौटी। शीलवृत्ति । संज्ञा, पु० दे० (अ. सिलहः ) सिल्ला -संज्ञ, पु० दे० (सं० शिल ) खेत बदला, एवज ।
| का अनाज काट लेने पर जो दाने खेत में सिलाई-सज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० सीना पाई पड़े रहते हैं, सोला ( ग्रा० )। -~~~-प्रत्य० ) सीने का काम या ढंग, सीने | सिल्ली--संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० शिला )
की मजदूरी, सीवन, टाँका, सियाई (ग्रा०)। सान, हथियारों की धार पैनी करने का भा० श. को.-२२२
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