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सिरा
सिरजना सिरजना*-स० कि० दे० (सं० सृजन) | सिर कंट-सिरकंटा-संज्ञा, पु. (हि.) बनाना, उत्पन्न करना, रचना, सृष्टि करना। साफा, मिरबंद । स० कि० दे० (सं० संचय) इकट्ठा या संचय सिरफोडोवल ---संज्ञा, स्त्री० यौ० (दे०) करना, जोड़ना।
__ झगड़ा, लड़ाई, मार-पीट । सिरजित*-वि० दे० (सं० सर्जित) रचित, सिरबंद-- संज्ञा, पु० दे० यौ० (फा० सरबंद) बनाया हुआ, निर्मित ।।
साना, सिरफेंटा, सिरफेंट । सिरताज-संज्ञा, पु० दे० यौ० (फा० सरताज)
सिरबंदो- संझा, स्त्री० दे० ( फा० सरबंदी )
मस्तक पर पहनने का एक गहना। मुकुट, शिरोमणि, सरदार । "ौ रस मिले
सिरमान:--सज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० औ सिरताज कछू पूनहिं तौ'-रला।
शिरोमणि , शिराभूषण, सिरमौरि, सिरमौर, सिरतापा-कि० वि० दे० (फ़ा० सर+
शिरोमणि। वि० यो० (हि०) सर्वोत्तम, श्रेष्ठ । ता तक+पा पैर) सिर से लेकर पाँव तक,
सिरमौर-सिरमोरि- सज्ञा, पु० यौ० (हि०) सींग, पाद्योपान्त, श्रादि से अंत तक,
लिरमुकुट, शिरोमणि, सिरताज।। सरापा।
सिररुह - ज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० शिरोरुह) सिरत्राण-संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० शिर
सिर के बाज । स्वाण) टोपी, पगड़ी, साफ़ा।
सिरस-सिरिस--- संज्ञा, पु० दे० (सं० सिरदार*-संज्ञा, पु० दे० (फा० सरदार) शिरीष ) शोशम जैसा अति मृदु पुष्प वाला अफ़सर, अमीर । संज्ञा, स्त्री० (दे०) सिर- एक पेड़। सिरस कुसुम मड़रात अलि, झूमि दारी।
झपट लपटात '.----वि० । सिरिस कुसुम मिरनामा--संज्ञा, पु० दे० यौ० (फा० सर- सम बाल के, कुम्हिलाने सब गात " नामः) लिफाफे पर लिखा जाने वाला पता.. -मति० । " सरिस सुमन किमि बेधिय किसी लेखादि का विषय-सूचक वाक्य, हीरा" -- रामा० । सुर्वी, शीर्षक।
सिरगा --वि० दे० यो० (सं० शिरगिन्) सिरनेत्र-सज्ञा, पु० यौ० (हि० सिर +नेत्री __ झगड़ालू बखेडिया, लँडाका, फ्रसादी। सं०) टोपी, पगड़ी, साना, चोग (प्रान्ती०) सिरहना, सिरहाना---सज्ञा, पु० द० (सं. क्षत्रियों की एक जानि ।
शिरसावान । पलंग, खाट या चारपाई में सिर-पाँव-सिर-पाव--संज्ञा, पु० दे० यौ० सिर की अर का खंड, लेटते समय सिर के (हि.सिरोपाव, सिर से पाँव तक के पहनने नीचे रखने का तकिया या वन, उसीस के वस्त्र प्रादि जो फिसी राज-दरबार से | (ग्रा.)। " मिट्टी श्रादन मिट्टी डासन मिट्टी सम्मानार्थ किसी को दिये जाने हैं। का सिरहामा - कबी०। खिलअत ।
सरा-सज्ञा, पु. द० (हि. सिर ) प्रारंभ मिरच-सिरपेच-संज्ञा, पु० यौ० दे० का भाग, ऊपरी या आगे का भाग, छोर, (फा० सिर --- पंच या पेंच-हि.) पगड़ी, अतिम भाग, अनो, नोक, किनारा, लम्बाई पगड़ी पर बाँधने का एक गहना। का अंत । मुहा०-सिरे का-सर्व प्रथम, सिरपोग-सज्ञा, पु० दे० ( फ़ा० एरपोश) अव्वल दर्जे का । (परले या पल्ले) सिर
टोपी, टोपा, कुलाह, सिर का ढकने वाला। का-सबसे अधिक, अव्वल दर्जे का । संज्ञा. सिरफूल-संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० स्त्री० दे० (सा० शिरा) रक्तवाही नाड़ी, सिंचाई शिरपुष्प ) एक शिराभूषण, सिर का गहना, । की नाली, नस, रग । " हस, कबूतर चाल शीशफूल, सीस-फूल ।
की, कफ़ी सिरा ले जान"-कुं० वि० ।
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