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साकार
१७३८
साखाचार-साखोचारन ख्याति, शाका, संवत्, इच्छा, अभिलाषा, देखने वाला, जिसने कोई घटना अपनी शौक । “श्राजु प्राय पूरी वह साका'- आँखों से देखी हो, चश्मदीद गवाह, पद । यश-स्मारक, कीर्ति, यश, रोबदाब, गवाही देने वाला। संज्ञा, स्त्री. (सं०) धाक, अवसर, मौका, समय । “ तस फल ! गवाही, शहादत, कोई बात कह कर उसे उन्है देउँ करि साका"--रामा० । मुहा० प्रमाणित करना । स्रो० साक्षिणी ।
-साका चलाना-संवत् चलना, धाक साक्ष्य-संज्ञा, पु० (२०) गवाही, शहादत जमाना । साका बाँधना-संवत्या साका ( फ़ा० )। चलाना, रोब जमाना । ऐसा कार्य जिससे साख-संज्ञा, पु० दे० ( सं० साक्षी) साक्षी, करने वाले का यश फैले ।
गवाह, गवाही, शहादत, प्रमाण । संज्ञा, साकार-वि० (सं०) साक्षात्, श्राकार या पु० दे० (सं० शाका ) धाक, रोबदाब, स्वरूपवान् , मूर्तिमान् , स्थूल रूप, दृश्य । मर्यादा, देने-लेने में प्रमाणिकता या रूप । संज्ञा, पु० (सं०) परमेश्वर का आकार- विश्वास । संज्ञा, स्रो० (दे०) शाखा (सं०) सहित स्वरूप । “निराकार साकार रूप तेरे शाख (फ़ा०)। मुहा०-साख होना--- हैं गाये''-मन्ना। संज्ञा स्त्री० (सं०) ( लेन-देन में ) एतबार या विश्वास होना, साकारता।
साख उठना (न रहना)--विश्वास या साकारोपासना--संज्ञा, स्त्री. (सं०) परमे- एतबार न रहना ( लेनदेन में )। श्वर की मूर्ति स्थापित कर उसकी अर्चनोपा- साखना*- --स० क्रि० दे० (सं० साक्षि ) सना करना।
गवाही या साक्षी देना, शहादत देना । साकिन-वि० (प्र०) निवास', रहने वाला,
साखर -वि० ० ( साक्षर ) साक्षर, वाशिंदा।
पढ़ा-लिखा, विद्वान, पडित । " सोन होय साक़ी-संज्ञा, पु० (अ०) शराब पिलाने वाला,
लोहा यथा, साखर मूरख होय"-स्फु० । माशूक । “पिला साक़ी मुहब्बत की शराब
साखा*---संज्ञा, स्त्री० द० ( सं० शाखा ) आहिस्ता आहिस्ता”।
शाखा, डाली, शारख, साख (दे०)। साकृत-वि० (सं०) प्राकृत-युक, सानुमान ।
साखी-संज्ञा, पु० दे० (सं० साक्षिन् )
साक्षी, गवाह । संज्ञा, स्त्री० (दे०) साक्षी, साकेत, साकेतन-संज्ञा, पु० (सं०) अयोध्या
गवाही । " सत्य कहौं करि शङ्कर साखी" पुरी। “साकेत-निवासिना"--रघु० ।
-रामा० । मुहा०-साखी पुकारना साक्षर-वि० (सं०) शिक्षित, पढ़ा-लिखा,
(देना)-गवाही देना : साखी होनापंडित, विद्वान् । संज्ञा, स्त्री०--साक्षरता।
गवाह होना। ज्ञान सम्बन्धी पद या "साक्षराः विपरीतश्चेत् राक्षसारेव केवलम्"।
कविता । " रमैनी सब्दी साखी"-- साक्षात्-अव्य. (सं०) प्रत्यक्ष, सन्मुख, भक्तमा० । संज्ञा, पु० द० (सं० शाखिन् ) सामने, आँखों के आगे। वि० मूर्तिमान, पेड़, वृक्ष, साखौ (दे०)। साकार । संज्ञा, पु० (सं०) मुलाकात, भेंट, साखू-संज्ञा, पु. द. (सं० शाखा ) शाल देखा-देखी।
- वृत्त । साक्षात्कार--संज्ञा, पु. (सं० ) दर्शन, साखोचार-साखोचारन*---- संज्ञा, पु. मुलाकात, भेंट, इन्द्रियों से होने वाला दे० यौ० (सं० शाखोच्चारण ) गोत्रोच्चार, पदार्थ ज्ञान ।
विवाह के समय वर-कन्या के वंशों के साक्षी-संज्ञा, पु० (सं० सान ) दर्शक, ! पूर्व पुरुषों के नाम तथा गोत्रादि का परिचय
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