________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
साँसना
साँसना स० क्रि० दे० (सं० शासन) शासन करना, दंड देना, डाँटना, उपटना, ताड़ना कष्ट या दुख देना, फटकारना । साँसा -संज्ञा, पु० दे० (सं० श्वांस) स्वासा (दे०) श्वास, सॉस, दम, जीवन, प्राण, जिंदगी | संज्ञा, पु० दे० (सं० संशय) संशय शक. संदेह, शंका भय, डर. दहशत | सांसारिक वि० (सं०) भौतिक लौकिक, ऐहिक, संसार का संसार-संबंधी | संज्ञा, खो०- सांसारिकता । सांहारिक - वि० (सं० संहार | इक प्रत्य० ) संहार-सम्बन्धी ।
१७३७
ZAPANJE ME KAS GAS TEEN MALKOŠANAS
सा- श्रव्य० दे० (सं० सदृश) सदृश, समान, तुल्य, सम, बराबर, मान सूचक एक शब्द | जैसे - जरासा । 'तुझसा रूखा कोई दुनिया में न देखा न सुना" - हाली० । साइक & सज्ञा, पु० दे० (सं० शायक) शायक, तीर, सायक (दे० ) । "रामनाम धनुसाइक पानी" --रामा० ।
-----
वाण,
२१८
साइत - संज्ञा, स्रो० दे० (प्र० साधत ) एक घंटे या ढाई घड़ी का समय, मुहूर्त्त, शुभलग्न, पल, लम्हा ( फा ) । अव्य० दे० (फ़ा० ) शायद, कदाचित, सायत | मुहा० (दे०) साइत आय-कदाचित, शायद ऐसा ही मौका हो ।
साइयाँ -संज्ञा, पु० दे० (सं० स्वामी ) साँई (दे०), स्वामी, मालिक, पति, नाथ, सइयाँ ( ग्रा० ), परमेश्वर । " जाको राखे साइयाँ मारिन सकि है कोय" - कबी० । साइरी -- संज्ञा, पु० दे० (सं० सागर ) सागर । समुद्र, ऊपरी भाग, शायर, कवि, सायर (दे० ) ! सज्ञा, पु० (अ०) माफ़ी ज़मीन, स्फुट, फुटकर | "मन साइर मनसा लगी, बूड़े बहे अनेक” -कबी० !
साई -- संज्ञा, पु० दे० (सं० स्वामी) स्वामी, मालिक, पति, परमेश्वर । "साई तुम न बिसारियो" कवी० । कपति बाज्यौ
"
साँई " - गिर० । भा० श० को ०
साका
117
साई - राज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० साइत ) पेशे वालों को किसी अवस्था पर नियुक्ति पक्की करने के लिये जो वस्तु या अल्प धन प्रथम दिया जाता है, बयाना, पेशगी | संज्ञा, स्त्रो० दे० (हि० सड़ना) घाव में मक्खी की बीट पड़ने से जो सफ़ेदी छा जाती है और फिर कीड़े पड़ जाते हैं ।
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
साईस - संज्ञा, पु० दे० ( हि० रईस का अनु० ) वह नौकर जो घोड़े के मलने-दलने, शरीर के खुजलानें, दाना- घास आदि देने और ख़बरदारी के हेतु रखा जाता है, सहीस, सईस (दे० ) ।
साईसी - - संज्ञा, त्रो० दे० (हि० साईस - प्रत्य०) सईस का काम, पद तथा भाव या पेशा, सईसी, सहीसी (ग्रा० ) ।
साउ, साहु-संज्ञा, पु० दे० ( फ़ा० शाह ) महाजन शाह, सेठ, साहूकार | "साउ करै भावु तौ चबा कर चाकर' - लो० । साउज - संज्ञा, पु० (दे०) वनजीव, ग्राखेट के लिये वन-जंतु । " कीन्हेसि साउज श्रारनि रहैं" -- पद्मा० । संज्ञा, पु० (दे०) सायुज्य मुक्ति (सं०) ।
साकंभरी -संज्ञा, पु० दे० (सं० शाकंभरी) साँभर झील और उसके चारों ओर वा प्रांत पज्ञा, खो० दे० (सं० शाकंभरी) एक देवी ।
साक-संज्ञा, पु० दे० (सं० शाक) शाक, भाजी, तरकारी, सब्जी, साग (दे० ) | यौ० - साक-भाजी । साकचेगिरी- संज्ञा, स्त्रो० (दे० ) मेंहदी । साकट, साकत -- संज्ञा, पु० दे० (सं० शाक्त) शाक्त मतावलंबी, जिसने गुरु दीक्षा न ली हो, निगुरा, दुष्ट, बदमाश, पाजी । साकम् - अव्य० (सं०) सह, साथ, सहित | साकर, भाकल - वि० दे० (सं० श्रृंखला ) साँकर, जंजीर |
साका - संज्ञा, पु० दे० (सं० शाका) प्रसिद्धि,
For Private and Personal Use Only
11