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समुह, सामु
संज्ञा, पु० दे० (सं० संवल ) पाथेय, मार्ग भोजन, संबल, रास्ते का खाना | साँहे, सामु हैं। - अध्य दि० (सं० सम्मुख ) समक्ष, सम्मुख, सामने | संज्ञा, पु० दे० ( श्यामक ) साँवाँ नामक अनाज | साँव-संज्ञा, पु० दे० (सं० सामंत) सामंत, वीर । " कोउ कोउ साँवत हैं घोड़न पै को उ को हाथिन पर सवार बाल्हा० । साँवर, सांवरो - वि० दे० ( ० श्यामला ) साँवला । " साँवर कँवर सखी सुठि लोना" - रामा० | संज्ञा, स्त्री० (दे०) साँवरिताई । साँवरा - वि० दे० (सं० श्यामला) साँवला. श्यामल | "मघपंचक लै गयो सांवरो तातें जिव घबरात " -- सूर० । स्त्री० साँवरी । साँवल, सांवला --- वि० दे० (सं० श्यामला ) श्यामला, श्यामवर्ण का | खो० साँवली । संज्ञा, पु० (दे०) श्री कृष्ण जी, प्रेमी या पति आदि का सूचक शब्द ( गीतों में ) । सज्ञा, स्त्री० । संज्ञा, पु० - साँवलता, सांवलापन ! सांवलताई | संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० श्यामलता
श्यामलता, श्याम होने का भाव, साँवरताई "ससि महँ देखिये साँवलताई" रामा० । साँवलापन -संज्ञा, पु० दे० (हि० सॉगला + पन - प्रत्य० ) श्यामलता, श्यामता, साँवलताई ।
साँवलिया संज्ञा, पु० (दे०) श्यामल, श्री
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कृष्ण |
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साँवाँ-- संज्ञा, पु० दे० (सं० श्यामक) एक अन्न विशेष जो कंगुनी या चेना की जाति का है "साँवाँ-जवा जुस्तो भरि पेट" -नरो० । साँस - खज्ञा, स्त्री० दे० (सं० वाँस) श्वास, दम, जीवधारी के फेफड़े तक नाक या मुँह से वायु के भीतर ले जाने और फिर बाहर निका लने की क्रिया " साँस सॉस पर राम कहु, वृथा साँस जनि खोय" - तु० । मुहा०साँस (दम) उखड़ना - दम या सांस टूटना, कष्ट से शीघ्र गति से साँस चलना, ( मृत्यु के समय ) । साँस ऊपरर-नीचे
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साँसत घर
होना - साँस रुकना, भलीभाँति ठीक ठीक साँस का भीतर-बाहर या ऊपर-नीचे न चलना । साँस चढ़ना - श्रत्रिक परिश्रम के कारण वेग और शीघ्रता से साँस का चलना । साँस चढ़ाना - प्राणायाम करना, साँस खींच कर भीतर रोक रखना सॉस टूटना
- साँस या दम उखड़ना । साँस तक न लेना - नितांत मौन या चुपचाप रहना, कुछ न बोलना | साँसों का तार स्वास-क्रम | साँस (दम) फूलना-वेग से बार बार साँस चलना, साँस चढ़ना । साँस बढ़ना - साँस फूलना, शीघ्रता और वेग से साँस थाना | साँस रहते - जीते-जागते । उलटी सांस लेना - गहरी साँस लेना, मरते समय रोगी का कष्ट से रुक रुक कर प्रतिम साँस लेना। साँस पूरी करनारोगी शादि का देर तक मरणासन्न रहना । गहरी, ठंढी या लम्बी साँस लेनाऋत्यंत शोकादि की दशा में साँस को देर तक भीतर खींचना और देर तक भीतर रोक कर बाहर छोड़ना । फुरस्त, अवकाश । साँस न होना - (मिलना ) -- )- श्रवकाश या फुरसत न होना ( मिलना ) मुहा० - साँस (दम) लेना -- विश्राम करना, दस लेना, सुस्ताना, ठहरना, दम, गुंजाइश, दरार या संधि जिससे वायु श्रा जा सके, किसी रिक्त वस्तु के भीतर भरी वायु, । मुहा० - साँस भरना- किसी वस्तु के भीतर वायु समाना या भरना । दम फूलने का रोग, दमा या श्वास रोग | साँसत-साँसति-संज्ञा स्त्री० दे० (हि० साँस + त, ति - प्रत्य०) साँस रुकने या दम घुटने का साकष्ट, अति पीड़ा या कष्ट, संकट, जंजाल, बखेड़ा, झगड़ा, दिक्कत, कठिनाई, डांट-फटकार । साँसति सहत हौं" -विन० । साँसत घर - संज्ञा, ५० द० यौ० (हि०) अपराधियों को विशेष कष्टप्रद दंड देने की अँधेरी और तंग कोठरी (जेल) काल कोठरी, कठिन कारावास |
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