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साख्या
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देना लेना ।
परन लागी भाँवरी " - रामा० । साख्या - संज्ञा, पु० (सं०) साक्षात्कार |
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दोउ बस साखोचार करि कै । साजना
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साग - संज्ञा, पु० दे० भाजी, तरकारी, खाने पत्तियों की भाजी | सागपात स्वीकार कीजिये प्रेम सों" रसाल । यौ० १० सागपाल-रूखा सूखा भोजन । सागर – संज्ञा, पु० (०) सिंधु, समुद्र, बड़ी झील या तालाब, पानी भरने का बहुत बड़ा पात्र, संन्यासियों का एक भेद । " जो लाँधै सत योजन सागर - रामा० । वि० सागरीय, सागरी (दे०) । सागू - संज्ञा, पु० दे० ( ० सैगो ) ताड़ की जाति का एक वृक्ष, सागूदाना । के सागूदाना - संज्ञा, पु० यौ० ( हि०) सागू पेड़ का गूदा जो दानों के रूप में बना कर सुवा लिया जाता है, साबूदाना (दे० ) । सागौन - संज्ञा, ५० दे० (सं० शाल ) साख
, '
की जाति का एक पेड़, शालवृक्ष । साग्निक - संज्ञा, पु० (सं० ) निरंतर अग्निहोत्रादि करने वाला, अग्निहोत्री याज्ञिक | साथ - वि० (सं०) समग्र, समस्त, सम्पूर्ण,
सब, कुल, सारा, सब का सब अग्रांशयुक्त । साज-संज्ञा, पु० (का०मि० सं० सज्जा ) ठाट-बाट, सजावट का सामान या काम,
समग्री, उपकरण, जैसे- घोड़े का साज़, बाजा, वाद्य, युद्ध के अनादि, मेलजोल । वि० मरम्मत या तैयार करने वाला, बनाने वाला ( यौ० के अंत में !, जैसे -घड़ीसाज़ | यौ० - जपाना-साज़ - समयानुकूल कार्य
|
करने वाला ।
(सं० शाक ) शाक, योग्य पौधों और
साजन-संज्ञा, पु० दे० (सं० सज्जन ) पति, स्वामी, बल्लभ, प्रेमी, परमेश्वर, सज्जन, भला मानुष, सुजन (दे० ) ! " कहु सखि साजन नहि सखि रेल' कं० वि० । संज्ञा, पु० ( हि० साजना ) सजावट का सामान !
साटना
- स० क्रि० (हि० सजाना) सजना, सजाना, श्रलंकृत या श्रभूषित करना, सुसज्जित करना संज्ञा, पु० दे० (हि०साजन), साजन, पुजन, स्वामी, पति, सज्जन, भला आदमी, प्रेमी ।
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साजवाज - संज्ञा, पु० यौ० (हि० साज + बाज - अनु० ) सामान, माल असबाब, सामग्री, तैयारी, मेल-जोल, उपकरण, ठाठ-बाट । यौ० साज-सामान ।
साज सामान-संज्ञा, पु० यौ० ( फ़ा० ) उपकरण, सामग्री, माल असबाब, ठाठ-बाट । साजा - संश, पु० ( वि० सजाना) अच्छा, साफ़ । सुन्दर ये सुत कौन के सोभहि साजें - रामा० ।
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साजिदा - संज्ञा, पु० दे० ( फ़ा० साजिदः ) बाजा बजाने वाला, सरदाई, समाजी । साजिश - संज्ञा स्त्री० ( फ़ा० ) मेलजोल, किसी के विरुद्ध कोई काम करने वालों का सहायक होना या साथ देना, षड्यंत्र, उत्तजना, सहयोग |
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साजी - संज्ञ, त्रो० (दे०) सज्जी, सज्जीखार | साजन्य - संज्ञा, पु० दे० ( सं० सायुज्य ) किसी में पूर्ण रूप से मिल जाना, मुक्ति के चार भेदों में से एक जब जीव परमात्मा में लीन हो कर एक ही हो जाता है । प्राप्त होय साजुज्य कौ, ज्योतिहि ज्योति मिलाय " - नंद० ।
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साझा - संज्ञा, पु० दे० (सं० सहार्घ्य) हिस्सेदारी, शराकत, भाग, हिस्पा, बाँट । साझी-संज्ञा, पु० दे० (हि० साझा) साझेदार, हिस्सेदार, शरीक
साझेदार - संज्ञा, पु० ( हि० साझा + दार[फा० ) साझी, हिस्सेदार, शरीक । साटक - संज्ञा, पु० (दे०) छिलका, भूसी, तुच्छ और बेकार वस्तु, एक छंद (पिं० ) । साटन - संज्ञा पु० द० ( श्रं० सैटिन ) एक afदिया रेशमी वस्त्र |
साटना - स० क्रि० दे० ( हि० सदाना )
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