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सरारत
सरीक खाना, पथिकालय । “ दुनिया दुरंगी श्लाघनीय, प्रशंसा के योग्य, स्तुत्य या मकारा सराय"।
धड़ाई के लायक, श्रेष्ठ, अच्छा, बदिया। सरारत- संज्ञा, स्त्री० (दे०) शरारत (फा०) सरि* ---संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० सरित) सरिता.
दुष्टता, बदमाशी। वि० ---सरारती (दे०)। नदी। संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० सदृश ) समता, सराव सरावक---संज्ञा, पु० दे० (सं० समानता, बराबरी। वि० समान, सदृश, शराव ) मद्य-पात्र, शराब पीने का प्याला, . बराबर । " उतरे जाय देव-सरि तीरा" कटोरा, सकोरा, दिया।
-रामा० । अव्य. (दे०) तक, पर्यन्त । सरावग-सरावगा -- संज्ञा, पु० दे० (सं० "आऊ सरि राजा तह रहा "-पद्म ।
श्रावक ) जैनी, जैन-धर्मावलंबी, जैन । " सुर-परि रावरी न सुर सरि पावै फरि" सरावन-मरावना-संज्ञा, पु० (दे०) मिट्टी -रसाल बराबर करने का हंगा, मोटी लकड़ी। सरित-सरिता -- संज्ञा, खो० (सं.) नदी सज्ञा, पु० (दे०) सड़ावन. सड़ाव (हि.)
दरिया। सरावना--स० क्रि० (दे०) सड़ाना, सड़ने सरित्पांत-संज्ञा, पु. यौ० (सं० ) सिंधु, देना।
समुद्र, सागर, नदीश । सराम · संज्ञा, पु. (दे०) भूपी। " कहो सरिया--संज्ञा, स्त्री० (दे०) लोहे श्रादि धातु कौन पै कदो जाय कन, बहुत सराल पछोरी" की छोटी मोटी छड़ी। -सूबे० ।
सरियाना--स० कि० (दे०) क्रम या सरासन: - संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० शरासन)
तरतीब से इकट्ठा करना. सिलसिले से धनुप. शरासन । ' देखि कुटार-सरामन
लगाना, लगाना, मारना (बाज़ारु) । बाना''... रामा० ! यौ० (दे०) सड़ा हुआ
| सरिवन-ज्ञा, पु० दे० (सं० शाल पर्णी )
शालपर्ण नामक औषधि त्रिपर्णी । सरासर ---अध्य० ( फा० ) एक सिरे से
| सरिवर-रिवरि*--संज्ञा, स्त्री० (दे०) दूसरे मिरे तक, पूर्ण रूप से, पूर्णतया,
समता, तुल्यता, बराबरी । “ हम हिं तुमहिं सारा, प्रत्यन, साक्षात । " सरावर वसीला है अब वह ज़फ़र का'' हाली।
सरिवरि कसा नाथा ".--रामा० । सरासरी-संज्ञा, स्त्री. ( फा० ) शीघ्रता, सरिश्ता-ज्ञा, पु० दे० (फा० सरिश्तः ) जल्दी, श्रासानी, फुरती, स्थूलानुमान,
कार्यालय का विभाग, कचहरी, अदालत, मोटा अंदाज़ । क्रि० वि० जल्दी या शीघ्रता
महकमा, दातर । से, सड़बड़ी में, स्थूल रूप से ।
सरिश्तेदार - संज्ञा, पु० दे० ( फा० सरिश्तःसराह-सराहन* --रज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० दार ) किसी महकमें या विभाग का प्रधान श्लाघा ) तारीफ़, प्रशंसा, बड़ाई, स्तुति,
कर्मचारी, मुकदमों की देशी भाषा की सराहन (व.)।
मिसलें रखने वाला अदालत का कर्मचारी। सराहना-- स० क्रि० दे० ( सं० श्लाघन) सरिस* -- वि० दे० (सं० सदृश ) सदृश, प्रशंसा या तारीफ करना, बड़ाई या स्तुति तुल्य, समान, बराबर । " पर हित सरिस करना संज्ञा, स्त्री. ... प्रशंसा, बड़ाई, स्तवन। धर्म नहिं भाई” रामा० ! " जाकी ह्याँ सराहना है ताकी हाँ सराहना सरिहन--कि० वि० (दे०) समन, प्रत्यक्ष,
सामने। सराहनीय--वि० (हे. सराहना ) श्लाध्य, सरीक- वि० दे० ( अ० शरीक ) साझी ।
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