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सरस्वती-पजा
सराय-मरॉय वाणी या विद्या की देवी, गिरा, वाग्देवी, पितरों का पूजन । लो० ..." संत मेंत के भारती, विद्या, कविता ब्राह्मीबूटी। "शृणु । चाउर, मौसिया की सराध " । यौ०तदा जयदेव-सरस्वतीम् " ... गी० गो०।। सराध-साख । सोमलता, हक छंद । " मत्वा सरस्वती सराना-स० क्रि० ( हि० सारना ) देवीम् "--ल. कौ० ।।
संपादित या पूर्ण कराना, काम पूरा कराना, सरस्वती-पूजा -- संज्ञा, स्त्री यौ० (सं०) सरावना (दे०), सड़ाना । सरस्वती-उत्सव, जो कहीं आश्विन मास में सराप-संज्ञा, पु० दे० (सं० शाप ) शाप,
और कहीं बसंतपंचमी को होता है। श्राप, बददुआ, बुरा मानना, धिक्कारना, सरह-सरभ-संज्ञा, पु० दे० (सं० शलभ ). फटकारना, कोसना। पतंग, पतिमा, टिड्डी।
। सरापना*-स० क्रि० दे० (सं० शाप + सरहज --- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं.) श्यालजाया)
ना -- हिं. प्रत्य० ) शाप या श्राप देना, साले की स्त्री, पत्नी के भाई की स्त्री सल
सापना कोसना। हज । लो०-"निपसे की जोय सब की
| सरापा- क्रि० वि० ( फ़ा०) सिर से पैर सरहज"।
तक, पूर्णतया । संज्ञा, पु० (दे०) सराप, सरहटी--संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० साक्षी)।
श्राप, शाप । नकुलकंद, साक्षी नाम का पौधा ।
सराफ़---संज्ञा, पु. ( अ० सर्राफ ) चाँदी
और सोने का व्यापारी, रुपये-पैसे का बदला सरहद-सरहद--संज्ञा, स्त्री० (फा० सर ।
करने वाला, दूकानदार । हद -- सीमा ) सीमा, मर्यादा, किसी स्थान
सराफल - संज्ञा, स्त्री० दे० ( फ़ा० शराफ़त ) की चौहद्दी निश्चित करने की रेखा, सीव ।
भलमंसी, शिष्टता। सरहद-सरहदी--- वि० ( फा० सरहद + ई
सराफा -- संज्ञा, पु. दे० (अ. सर्राफ: ) प्रत्य० ) सीमा या मर्यादा-सम्बन्धी.
सराफों का बाजार, सराफी का काम, सरहद का।
चाँदी-सोने या रुपये-पैसे के लेन-देन का साहरी-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० शर ) सर
काम, बंक, कोठी (दे०)। पत या मूंज की जाति का एक पौधा ।
सराफी - संज्ञा, स्त्री० दे० (अ० सर्राफ़+ई सरा-संज्ञा, स्त्री० दे० (सं०ार ) चिता ।
...-प्रत्य. ) सोने-चांदी का व्यापार, सराफ़ संज्ञा, स्त्री० दे० ( फा० सराय । यात्री-भवन,
का काम या पेशा, रूपये-पैसे के बदले का मुसाफ़िर ख़ाना । वि० (दे०) बाड़ा (हि.)।
काम, महाजनी लिपि, मुडा, मुड़िया। सराइध-संज्ञा, स्त्री० (दे०) सडाइँध, सड़ने सराव -संज्ञा, स्त्री० दे० ( फ़ा० शराघ) की बास या दुगंधि।
शराब, मदिरा, मद्य, वारुणी. सुरा, मधु । सराई। --- संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० शलाका ) संज्ञा, पृ० ( अ ) उजाड या निर्जन मैदान.
सलाई (दे०), शलाका, सुरना या अंजन रेतीला मैंदान । लगाने की सलाई । संज्ञा, स्त्रो० दे० (सं० सराबोर-शराबोर - वि० दे० (सं० स्राव शराव ) सकारा, दिया, परई ।
+ घोर हि० ) तरबतर, बिलकुल भीगा, काराग-सराणा - संज्ञा, पु. दे. ( सं० श्राप्लावित, याद, गीला। शलाका ) छड़, सीख़, सीवचा, लोहे की राय-सराय-- संज्ञा, स्त्री० ( फा०) यात्रियों शलाख।
या पथिकों के टिकने का स्थान, ठहरने का सराध - संज्ञा, पु० दे० (सं० श्राद्ध) श्राद्ध, मकान या घर, यात्री-भवन, मुसाफ़िर
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