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संदीपन
संध्या
-men
एक अलंकारिक दोष, (काव्य०) किसी बात संदोह ज्ञा, पु० (सं०) वृद, समूह, राशि, का ठीक ठीक अर्थ प्रकट न होना।
झंड। " कृपा-सिंधु-संदोह"-रामा० । संदीपन-संज्ञा, पु० (सं०) उद्दीपन, उद्दी संघ---संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० संधि ) मेल, या उत्तेजित करने का कार्य, कामदेव के | संयोग, मिलाप, संधि, सुलह, मित्रता, पांच वाणों में से एक, श्रीकृष्ण जी के गुरु । प्रतिज्ञा । “सत्य-संध प्रभु बध करि एही" वि० ---संदीपक, संदीपनीय, संदीपित,
---रामा०। संदीय वि०-उत्तेजन या उद्दीपन करने वाला संधना-अ० कि० दे० (सं० संधि) मिलना, संदीप्त-वि० सं०) अति दीप्तमान, सयुक्त होना । प्रकाशमान, उद्दीप्त, उत्तेजित :
संधान --- संज्ञा, पु. (सं०) लक्ष्य या निशाना संदक-सज्ञा, पु० अ०) लोहे या लकड़ी लगाना, योजन, वाणादि फेंकना, मिलाना, श्रादि से बना बन्द पिटारा, पेटी, बक्स
___ खोज, अन्वेषण, काँजी. संधि, काठियावाड़ (अ०)। अल्पा.-संदनाचा । स्त्री०-सदकत्रो का नाम । " तब प्रभु कठिन वान संधाना"
-रामा० । संदूकड़ा-सज्ञा, स्त्री. द. ( अ. संदूक ) ।
संधानना-- स० क्रि० दे० (सं० सधान ) छोटा बक्स, या संदूक, छोटी पेटी।
निशाना लगाना, वाण फेंकना । " संधाने संदर-सज्ञा, पु० द० (सं० सिदूर ) सिन्दूर, तब विशिख कराला"-रामा० । संदुर।
संधाना--संज्ञा, पु० दे० (सं० संधानिका ) संदेश- संज्ञा, पु. (स.) हाल, समाचार,
अचार, एक खटाई, संधान (प्रान्ती॰) । ख़बर, एक बँगला मिठाई, मदम. सदसा,
संधि-संज्ञा, स्त्री. (सं०) संयोग, मेल, सनेस (दे०)। यो०-संदेश वाहक
जोड़, मिलने का स्थान, नरेशां की वह सदेश ले जाने वाला, संदसिया (द०)। ।
प्रतिज्ञा जिसके अनुसार लड़ाई बंद हो संदेस-सज्ञा, पु. द. (सं० संदेश )
जाती और मित्रता तथा व्यापार संबंध समाचार, हाल, संदेश, सँदेसा । “प्रभु
स्थापित होता है, मित्रता, सुलह, मैत्री, संदेस सुनत वैदेही''--रामा ।
गाँठ, देह का कोई जोड़, समीपागत दो संदेमा--संज्ञा, पु. ६० (सं० संदेश ) । वर्णो के मेल से होने वाला विकार मुखागर, जवानी कहाई हुई खबर या बात, (व्याक०) चोरी आदि के लिये दीवार में हाल, समाचार । “स्थाम को सँदेमो एक किया हुआ भारी छेद, संध (दे०), एक पातो लिखि पाई है" -- सूर० । लोक अवस्था का अंत और दूसरो के श्रादि के महा.---सँदेसन खेती (करना)। । जैसे ----वयः संधि, अवकाश, मध्य का संदेमी----संज्ञा, पु. ० ( सं० संदेशिन् )
समय, मध्यवर्ती रिक्त स्थान, मुख्य प्रयोजन संदेश ले जाने वाला, दत, बमीठ । "उधो के साधक कथांशों का किसी मध्यवर्ती जी सँदेवी बनितान नोधि बोधैं हैं"- स्फुट। प्रयोजन के साथ होने वाला सम्बन्ध संदेह-- संज्ञा, पु० (सं.) संदह (दे०), (नाटक)। संशय, भ्रम, शंका, शक, शुबहा, किसी संध्या-संज्ञा, नो० (सं०) दिन और रात विषय या बात पर निश्चय न होने वाला के मिलने का समय, संधि-समय, प्रभात, विश्वास, एक अर्थालंकार जहाँ किसी वस्तु शाम, सायंकाल, सझा, दिन-रुपा का संयोगको देखकर उपमें अन्य वस्तु का सदेह बना। काल । "दिनक्षपामध्यगतेव संध्या"--रघु० । रहे (श्र० पी०) ।" अम्म संदेह करहु जनि एक प्रकार की ध्यानोपासना जो तीनों भोरे" - रामा० । वि० (हि.) संदही। संध्याओं यानी, प्रातः, मध्याह्न और संध्या
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