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संतरक
मंदिग्धत्व संतापित । "ह संतप्त देखि हिमकर को नेक! तोष, सब, शान्ति, तृप्ति, इतमीनान, चैन ना पावे"-मन्ना।
प्रपन्नता, यानंद, सुख । “मन संतोख संतरक-वि० (सं०) भली भाँति तैरने वाला। सुनत कपि-वानी "--रामा० । संतरण --संज्ञा, पु० (सं०) भली भाँति संतोय ... संज्ञा, पु० (सं०) तोष, संतुष्टि, तरना या पार होना, तारने वाला । वि०- तृप्ति, सब दशा और काल में प्रसन्नता, संतरणीय, संतरित।
शान्ति, अानन्द. सुख, इतमीनान । " नहि संतरा-संज्ञा, पु. दे० (पुत संगतरा) संतोष तो पुनि कछु कहऊ'"-रामा० । एक बड़ी और मीठी नारंगी, एक बड़ा संतोषना*-स० क्रि० दे० (सं० संतोष ) मीठा नींबू ।
संतोष दिलाना या देना, संतुष्ट या प्रसन्न संतरी-संज्ञा, पु० दे० (अ० पेटीनल, संटरी) करना । अ० कि० (दे०) प्रसन्न होना, संतुष्ट
पहरेदार, पहरा देने वाला, द्वार पाल । होना, सनोखना (दे०)। संतान - संज्ञा, पु० (सं०) संतति, धौलाद, सतोषि----वि० (सं०) संतोष-युक्त, प्रसन्न बाल बच्चे, कल्पवृक्ष । " संतान कामाय या संतुष्ट किया हुआ, तुष्ट किया हुआ । तथोति कामं"- रघु०।
संतोयी--संज्ञा, पु. ( सं० संतोषिन् ) सदा संताए-संज्ञा, पु० (सं०) दाह, जलन, सन्तोष या सब करने या रखने वाला। वेदना, आँच, कष्ट, दुःख, मानसिक कष्ट, लो० -.." संतोषी परम सुखी'...स्फु० । ताप । “हिमकर कर भी हैं शोक-संताप
संथा -- संज्ञा, पु० (सं० संहिता ) सबक, पाठ कारी' सास।
एक बार का पढ़ा हुश्रा । " शनैः संथा संतापक-वि० (सं०) जलाने या संताप
शनैः पंथा, शनैः पर्वतलंघनम्'। देने वाला, दाहक ।
संदा----संज्ञा, पु० (दे०) दबाव, दरार, संधि संतापन-- संज्ञा, पु० (सं०) जलाना, संताप
सदि, सँधि (ग्रा.)। देना, अति कष्ट या दुख देना, काम के ५ वाणों में से एक । वि०.-संतापनीय ।
संदर्भ-संज्ञा, पु. (सं०) बनावट, रचना, संतापित, संतप्त, खंतापत्र
" प्रबंध, लेख, निबंध, कोई छोटा ग्रंथ, अध्याय । संतापना*-स० कि० दे० ( सं० संताप) संदल --- संज्ञा, पु. (फ़ा०) चंदन, श्रीखंड, जलाना. संताप या दुःख देना. कष्ट या
" बार सदल से श्रर क पाया जवीने यारपर" पीड़ा पहँचाना। संतापित-वि० (सं०) दग्ध तप्त, जलाया संदली ... वि० (फा० ) चंदन का, चंदन हुआ, तपाया हुआ, दुखी. संतप्त, दग्ध ।।
सम्बन्धी, चन्दन के रंग का, हलका पीला, संतापी-संज्ञा, पु. ( सं० संतापिन ) ताप
चंदन से बसा : संज्ञा, पु०--एक हलका पीला या संताप देने वाला, दुखदायी।
रंग, एक हाथी, घोड़े की एक जाति । संतारक --- वि० (सं०) तारने वाला है। संदि--संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० संधि) संधि, मेलसंती-अव्य० दे० ( सं० सति ) बदले में, मिलाप, जोड़. संयोग, दरार, बीच, सँदि, स्थान में, द्वारा से । संज्ञा, पु. (ग्रा.) पोते
संधि (दे०)। का पुत्र।
संदिग्ध वि० (०) संशय, संदेह-पूर्ण, संतुष्ट-- वि० (सं०) जो मान गया हो, तृप्त, __ संशयात्मक, भ्रमयुक्त, जिसमें या जिस पर प्रसन, तोष-युक्त, जिसको संतोष हो गया संदेह हो । संज्ञा, खो०---संदिग्धता। हो । संज्ञा, स्त्री०.-संतुष्टता, संतुष्टि। संदिग्धत्व--संज्ञा, पु. (सं०) संदिग्ध का संतोख-संज्ञा, पु० दे० (सं० संतोष) संतुष्टि धर्म या भाव, संदिग्धता । भ्रमात्मिकता,
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