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श्वासोच्छ्वास
२६६०
षटचक्र
"जब तक श्वासा तब तक
"
श्रासा 1
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प्राण. दम, प्राण वायु, स्वाँसा स्वास श्वेतद्वीप - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) विष्णु के (दे०) । लो०रहने का एक उज्वल द्वीप (पुरा० ) । श्वेत प्रदर - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) स्त्रियों का एक प्रदर रोग जिसमें मूत्र के साथ सफेद धातु गिरती है श्वेतवाराह - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) बाराह भगवान की एक मूर्ति, ब्रह्मा के माय का प्रथम दिन या एक कल्प, एक शिवावतार | श्वेवर-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) जैनियों का एक श्वेत वस्त्रधारी प्रधान सप्रदाय, (द्वितीय - दिगंबर) । दि० श्वेत वस्त्र | श्वेतांश - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) चन्द्रमा | श्वेता - संज्ञा, स्त्री० (सं०) श्रग्नि की सात जिह्वाथों में से एक जिह्वा, कौड़ी, शंख या श्वेत नामक हस्ती की माता, शंखिनी, चीनी, शकर, सफ़ेद दूब |
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श्वित्र
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श्वासोच्छ्वास-पंज्ञा, पु० थौं० [सं० ) वेग के साथ साँस खींचना और छोड़ना । यौ० - स्वाँस, उसाँस ।
-संज्ञा, पु० (सं०) श्वेत कुष्ट | 'श्वित्रं विनश्यात् " - भा० प्र० । श्वेत - वि० (स० ) धवल, उजला स्वच्छ. सफेद, निर्दोष, निष्कलंक, गोरा, सेत (दे० ) | संज्ञा, स्त्री० - श्वेतता | संज्ञा, पु० सफेद रंग, रजत, चाँदी. एक द्वीप (पुरा०) श्वेत बाराह, एक शिवावतार । ततः श्वेतैर्हयैर्युक्त महत्स्यन्देस्थितो " - भ० गी० । श्वेत- कृष्ण - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) धवल, श्याम, सफेद काला एक पत्र और दूसरा पक्ष, श्वेत-श्याम, एक बात तथा उसके विरुद्ध दूसरी बात ।
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श्वेतकेतु - संज्ञा, पु० (सं० ) उद्दालक मुनि के पुत्र, केतु ग्रह !
श्वेत गज - संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) ऐरावत हाथी, सुरेन्द्र-गजेन्द्र |
श्वेतता - संज्ञा, स्त्री० (सं०) धवलता, सफ़ेदी ।
- संस्कृत और हिन्दी भाषा के वर्णमाला के ऊष्मातरों में से दूसरा वर्ण, या पूर्ण वर्णमाला का ३१ वाँ व्यंजन, इपका उच्चारण-स्थान मूर्द्धा है वर्ण है, यह दो प्रकार से १ -- श के समान २ ख के समान ।
अतः यह मूर्धन्य बोला जाता है
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ऋटुरषानां मूर्धा "" रलयौः डल यौश्चैवशष यौः वबयौर्तथा " |
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पट - वि० (सं०) छः गिनती में छः । संज्ञा, पु० - छ: की संख्या, ६ ।
पट्क - संज्ञा, पु० (सं०) ६ की संख्या, छः पदार्थों का समूह ।
पट्कर्म -संज्ञा, पु० यौ० ( सं० पट्कर्म्मन् ) ब्राह्मणों के ६ कर्म:-यजन, याजन, अध्ययन, अध्यापन, दान देना, दान लेना । खटकरम (दे०), कार्य- जालिका, बहुत सा कर्म-कांड का खेड़ा, व्यर्थ के कार्य । वि० षट्कर्मी - विप्र । षट्कोण - वि० यौ० (सं०) छः कोना, ६ कोने वाला, छः पहला, ६ कोनों का एक क्षेत्र, षड्भुज क्षेत्र । पट्चक्र - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) शरीर के
पंड – संज्ञा, पु० (सं०) क्लीव, नपुंसक, हिजड़ा, नामर्द, शिव का एक नाम पंडत्व – संज्ञा, पु० (सं०) क्लीवस्व, नपुंसकता, नामर्दी, हिजड़ापन, क्लीवता । स्त्री० - पंडता । पंडामर्क - संज्ञा, पु० (सं० ) शुक्राचार्य के पुत्र और प्रह्लाद के गुरु का नाम ।
श्वेताश्वतर - संज्ञा, स्त्रो० (सं०) कृष्ण यजुर्वेद की एक शाखा, उपनिषद् |
उसका
एक
श्वेतिक – संज्ञा, पु० (सं०) एक ऋषि जो उद्दालक मुनि के पुत्र थे । श्वेतिका - संज्ञा, खी० (सं०) सौंफ (श्रौषधि) ।
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