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श्रीचक्र
श्रुतपूर्व श्रीवक्र-- संज्ञा, पु. यौ० (सं०) देवी की पूजा । (जैसे आपके श्रीमुख से उपदेश सुनना है) का चक्र (वाम तंत्र)।
सुन्दर मुँह, सूर्य, वेद। श्रीदाम --- संज्ञा, पु० (सं० श्रोदामन ) सुदामा, श्रीयुक्त वि० सं०) शोभावान, कांतिमान, कृष्ण के एक बाल सखा ।
धनवान, बड़ों के लिये आदर-सूचक, श्रीधर संज्ञा, पु. (सं०) विष्णु, रमेश,
विशेषण, श्रीमान् । संस्कृत के एक प्रसिद्ध श्राचार्य
श्रीयुत-वि० सं०) शोभावान, सुन्दर, श्रीनाथ--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) विष्ण।
धनवान, बड़ों के लिये श्रादरार्थ विशेषण । श्रीधाम. श्रीनिकेत-संज्ञा, पु. यौ० (सं०)
स०) श्रीरंग. श्रीरमण-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) श्री-निकेतन, नमी-धाम. बैकठ, लाल
विष्णु। कमल, पद्म, सोना. स्वर्ण, वि.।।
श्रीवंत-- वि० (सं०) धनी, शोभावान, श्रीनाथ - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) लचमीपति, | सुन्दर, श्रीमान् । विष्णु ।
श्रीवत्स- संज्ञा, पु० (सं०) विष्णु, विष्णा की श्रीनिवास,श्रीनिलय-संज्ञा, पु० यौ० (सं०), छाती पर एक चिह्न जिसे भृगु-चरण-चिह्न विष्णु, बैकुठ, कमल श्री-सदन, श्री-सद्म ।। मानते हैं। " श्रीवर पल धमम् गल-शोभि श्रीपंचमी-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) बसंत. कौस्तुभम् "-भा. द. । यौ०पंचमी।
श्रीवत्सलांछन विष्णु । श्रीपति- संज्ञा, पु. यौ० (सं०) विष्णु । श्रीवास. श्रीवासक-संज्ञा, पु. (सं०)
“धेयं श्रीपति-रूपमजखम्'---च० प० । गंधाविरोजा, चंदन, देवदारु वृक्ष, कमल, श्रीपाद-संज्ञा, पु. (सं०) श्रेष्ठ, पूज्य । पंकज, शिव, विष्णु । श्रीफल - संज्ञा, पु० (सं०) नारियल, बेल, श्रीवास्तव --संज्ञा, पु. (हि०) कायस्थों की श्रावला, खिरनी, धन. संपत्ति । " कोमल एक ऊँची जाति । कमल उर जानिये न कैसे ऐसे श्रीफल से श्रीहन-वि० (सं०) शोभारहित, निष्प्रभ, कठिन उरोज उपजाये हैं"
निस्तेज प्रभा या कांति से विहीन । श्रीमंत-वि० (सं०) धनवान, श्रीमान , “श्रीहत भये हारि हिय राजा"--रामा० । रुपये वाला, धनी। संज्ञा, पु. ( सं० श्रीमंत ) श्रीहर्ष-ज्ञा, पु० सं०) संस्कृत के प्रसिद्ध एक शिरोभूपण, रिज्यों के सिर की माँग । नैषधकाव्य के बनाने वाले एक विद्वान श्रीमत्-वि० (सं०) धनी, धनवान, अमीर, महाकवि, कान्यकुब्ज देश के प्रसिद्ध सम्राट
शोभा या श्री वाला, फाँतिवान, सुन्दर। हर्षवर्द्धन जिन्होंने नागानंद, प्रियदर्शिका श्रीमती- संज्ञा, स्त्री० (सं०) लघमी, श्री या और रत्नावली रचे थे। शोभायुक्त स्त्री, श्रीमान् का स्त्रीलिंग श्रत-वि० (सं०) सुना गया, जिसे परम्परा राधिका, लघमी।
या सदा से सुनते चले आते हों, विख्यात, श्रीमान-मज्ञा, पु० (सं० श्रीमन् ) नामादि प्रसिद्ध । के आदि में लगाने का एक प्रादर-सूचक श्रतकीर्ति--- संज्ञा, स्त्री० (सं०) राजा जनक शब्द, श्रीयुत्, धनिक, अमीर, पूज्य या बड़ों के भाई कुशध्वज की कन्या जो रामचंद्र के के लिये आदर-सूचक सम्बोधन ।
कनिष्ट भाई शत्रुघ्न की पत्नी थी। जेहि श्रीमाल --संज्ञा, स्त्री यौ० (सं० श्री+-माला) नाम श्रुति की रति सुलोचनि सुमुखि सब गले का एक भूपण या हार, कंठश्री। गुन अागरी"-राम । श्रीमुख- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) शोभायुक्त श्रुतपूर्व- वि० यौ० (सं०) पहले का सुना पूज्य जनों के मुख के लिये श्रादरार्थ शब्द, या जाना हुआ। भा० श० को.--२०८
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