________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
शिष्या
शिवाला शिवाला-संज्ञा, पु० दे० (सं० शिवालय ) शिशुमार-चक्र ---- संज्ञा, पु. यौ० (सं० ) महादेव जी का मंदिर, शिव मंदिर, देवालय समस्त ग्रहों के सहित सूख्य सौर-संसार, या देव मंदिर।
(ज्यो०)। शिवि--संज्ञा, पु. (सं०) एक प्रसिद्ध दानी शिश्न-संज्ञा, पु. (सं.) पुरुष का लिंग।
राजा जो राजा ययाति के दौहित्र और शिष*-संज्ञा, पु० दे० (स. शिष्य) शिष्य, राजा उशीनर के पुत्र थे पि०)।
चेला, सिष, सिध्य, मिक्ख (दे०) । शिविका---संज्ञा, स्त्री० (सं०) डोली, पालकी, "शिष-गुरु अंध-अधिर कर लेखा"-रामा०। सिविका (दे०)। "शिविका सुभग सुखासन संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० शिक्षा) शिक्षा, उपदेश, जाना ''...रामा० ।
सीख, सिख (३०)। "दीन्ह मोहि शिष शिविर --संज्ञा, पु० (सं०) तंबू, डेरा, खेमा, नीक गोसाँई" - रामा० । संज्ञा, स्त्री० दे०
पडाव, निवेश, सेना की छावनी, कोट, (सं० शिखा) शिखा, चोटी। किला । " शिविर द्वारे जाय पहुंचे तीन हूँ शिपरी-वि० दे० (सं० शिखर ) शिखर मति सान''काशी नरे।
वाला, शिखरी। शिशिर --- संज्ञा, पु० (सं०) लाड़ा, माध-फागुन । शिषा* ---संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० शिखा ) में हो वाली एक जाड़े की मृतु शीतकाल, शिखा, चोटी, चोटया, पर्वत शृंग। हिम, सिसिर (दे०)। “शिशिर मासम-शिषि*-संज्ञा, पु० दे० (सं० शिष्य) शिष्य, पास्य गुणोऽस्य न: "-- माघ ।
चेला। शिशिरंगु-- संज्ञा, पु० (सं०) चन्द्रमा। शिषी--संज्ञा, पु० दे० ( सं० शिखी । शिखी, शिशिरमयूख--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) शीत
मोर, मयूर, मुगा, शिखाधारी।। रश्मि, शिशिर-रश्मि, चन्द्रमा ! शिष्ट-वि० पु० (सं०) धर्मात्मा, सदाचारी, शिशिरांत-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) वसंत धर्मशील, भंभीर, धीर, शांत, सुशील,
ऋतु, शिशिर ऋतु का अंतिम समय । सभ्य, सज्जन, आर्य, भलामानुस, श्रेष्ठ पुरुष, शिशिगंशु-संज्ञा, पु. यौ.. (सं०) चन्द्रमा, अच्छे स्वभाव या पाचरण वाला, बुद्धिमान । हिमांशु, शीतांशु।
शिष्टई-संज्ञा, सी० दे० ( सं० शिष्टता ) शिशु--संज्ञा, पु. (सं०) सिसु (दे०), छोटा शिष्टता, श्रेष्ठता।
लड़का, छोटा बच्चा । संज्ञा, पु० (सं०) शैशव। शिष्टता----संज्ञा, स्त्री. (सं०) सौजन्य, मजनता, शिशुतः-संज्ञा, स्त्री० (सं०) बचपन,शिशुत्व। सभ्यता, श्रेष्ठता, सुशीलता, भलमंसी शिशुताई*-संज्ञा, स्त्री० द० ( सं० शिशुता) उत्तमता, शिष्ट का भाव या धर्म ।
शिशुता, शिशुत्व, बचपन, सिसुताई (दे०)। शिष्टाचार-संज्ञा, पु. यौ० (सं० ) सभ्य शिशुन ग-संज्ञा, पु. ( सं० ) शैशुनाग, पुरुषों का आचरण, आर्य-जनों के योग्य मगध के प्राचीन राजा।
धाचरण, साधु व्यवहार, आदर-सम्मान, शिशुप* --- संज्ञा पु० द. ( सं० शिशुला) विनय, सभ्य व्यवहार, दिखावटी भाव-भगति,
शिशुला, शिशुता, लड़कपन, बचपन ।। नम्रता। शिशुपाल-संज्ञा, पु. (०) प्रसिद्ध चेदि शिष्य--संज्ञा, पु. ( सं० ) उपदेश या शिक्षा देशाधिपति जो श्री कृष्ण से मारा गया | पाने योग्य, चेला, शागिर्द (फ़ा०), अंतेथा। “तिरोहितात्मा शिशुपाल संज्ञया । वासी, विद्यार्थी, चेला, मुरीद । स्त्रीप्रतीया संप्रति सोऽप्यसः परैः "-माघ । शिष्या। संज्ञा, स्त्री-शिष्यता, शिष्यत्व । शिशुमार--संज्ञा, पु० (सं०) सूस नाम का शिष्या-संज्ञा, वी० (सं० ) ७ गुरु वणों एक जल-जंतु, कृष्ण, नक्षन्न-मंडल।
का एक वर्णिक छंद, शीर्षरूपक (पिं०) ।
For Private and Personal Use Only