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शिलापट-शिलापट्ट
शिवालय या मंदिर आदि की नींव रखी जाने का। दस्तकार, शिल्पकार, राज, मेमार, थवई समारोह या उत्सव, तैयारी, आयोजन । (प्रान्ती० )। शिलापट-शिलापट्ट --संज्ञा, पु. ( सं० शिव-संज्ञा, ९० (सं०) क्षेम, कुशल, कल्याण, शिलापट्ट ) पत्थर की चान, सिलवट (दे०) मंगल, पारा, जल, मोन, देव, वेद, रुद्र, स्त्रो०-शिलापटी-मित्त पटी (दे०)। त्रिदेव में से सृष्टि के संहारकर्ता एक देवता शिलारस-- संज्ञा, पु. यौ० (सं.) लोबान (पुरा०), महादेव, वसु काल, लिंग ११ जैसा एक सुगंधित गोंद।
मात्राओं का एक मात्रिक छंद (पिं०) शिलालेख-संज्ञा, पु० चौ० (सं०) पत्थर पर परमेश्वर, शंकर जी, सिव, सिउ (दे०) ।
खुदा या लिखा कोई प्राचीन लेख । " शिव संकल्प कीन्ह मन माहीं "शिलावृष्टि-- संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) ओलों रामा० । की वर्षा, श्रोले गिरना।
| शिवता-संज्ञा, स्रो० (सं०) शिव का धर्म शिलाहरि--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) शालिग्राम। या भाव, मुक्ति, मोक्ष । शिलीमुख- संज्ञा, पु० (सं०) भ्रमर, भोरा, शिवनंदन-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) गणेश बाण, तीर ! ' अलि-बाणौ शिलीमुखौ" जी, स्वामिकार्तिक । --अमर० । “निपीय मानस्तवका शिली- शिवनिर्माल्य--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) शिव मुखैरशोक यष्टिश्चल बालपल्लवा - को अर्पित पदार्थ, ( इसके लेने का निषेध किराता।
है ) परमत्याज्य वस्तु । शिलोच्चय -- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पहाड़, शिवपुराण - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) १८ पर्वत, पत्थरों की राशि : " शिलोच्चय' चारु पुराणों में से एक शिवोक्त पुराण जिसमें शिलोच्चयं तमेव क्षणान्ने यति गुह्मकस्त्वाम्" शिव जी का माहात्म्य है।
-किरातः । “न पादयोन्मूलन शक्ति रंहः । शिवपुरी-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) काशी। शिलोच्चय मूर्ति मारुतस्य"-रघु०। शिवरात्रि--संक्षा, स्त्री० (सं०) फाल्गुन कृष्ण शिल्प-संज्ञा, पु. (सं०) हाथ से कोई वस्तु चतुर्दशी, शिव चतुर्दशी, सिवरात (दे०) । बना कर प्रस्तुत करना, कारीगरी, दस्तकारी, शिवरानी-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० शिव-+कला-संबन्धी व्यवसाय या धंधा। रानी-हि०) पार्वती जी । (सं०) शिवराज्ञी। शिल्पकला--संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) कारी- शिवलिंगन -संज्ञा, पु० यौ० (सं०) महादेव गरी, दस्तकारो, हाथ से चीजें बनाने की जी का लिंग जिसकी पूजा होती है। कला।
शिवलिंगी-सज्ञा, स्त्री० दे० (सं० शिवशिल्पकार-संज्ञा, पु० (पं०) शिल्पी, कारी- लिंगिनी ) एक लता ( औष० )।
गर, दस्तकार, राज, बढई, मेमार। शिवलोक - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कैलास । शिल्पजीवी-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कारीगर, शिव-वाहन-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) नादिया,
दस्तकार, शिल्पी, राज, मेमार (प्रान्ती०)। बैल ।। शिल्प विद्या-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) शिल्प-शिववृषभ--संक्षा, पु. यौ० (सं०) महादेव कला, इनजिनियरी।
जी की सवारी का बैल, नाँदिया, नंदी। शिल्पशास्त्र संज्ञा, पु० यौ० (सं.) शिल्प- शिवा-संज्ञा, श्री. (सं०) दुर्गा. पार्वती, कार्य का शास्त्र, कारीगरी की विद्या का गिरजा, मोन, मुक्ति, सियारिन, शृगाली। ग्रंथ. गृह-निर्माण शास्त्र ।
शिवालय--संज्ञा, पु० यौ० सं०) कोई देवशिल्पी - संज्ञा, पु० (सं० शिल्पिन् ) कारीगर, मंदिर, देवालय, शिव जी का मंदिर।
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