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शाम
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शाम - पंज्ञा, स्त्री० (फ़ा० ) संध्या, साँझ "झुटपुटा सा हो गया है शाम का "-- म० इ० । * - वि०, संज्ञा, पु० -- श्याम | संज्ञा, स्त्री० (सं० ) - शामी। संज्ञा, पु० – एक प्राचीन देश जो अरब के उत्तर थोर है, सिरिया ।
शाम करण, शाम· कर्ण-संज्ञा, पु० दे० यौ० ( सं० श्यामकर्ण ) वह श्वेत घोड़ा जिसके केवल कान काले हों, स्यामकरन (दे०) । शामकरण अगनित हय होते '
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शामूक- संज्ञा, पु० (सं०) घोंघा, सीप । शायक - संज्ञा, पु० (सं०) तीर, वाण, शर, तलवार, खड्ग, सायक (दे० ) । शायक मारा मैं बाली -रामा० ।
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शायक - वि० ( ० ) इच्छुक, शौकीन । शायद - अव्य० (फा० ) संभवतः कदाचित्, चाहे !
शायी - वि० सं० शायिन् ) मोने वाला । शारंग - संज्ञा, पु० दे० (सं० सारंग ) सारंग, रात, वस्त्र, दीपक, साँप, मोर, मेघादि, इस के ५६ अर्थ हैं | संज्ञा, पु० दे० (सं० शार्ङ्ग ) विष्णु का धनुष धनुष ।
- रामा० ।
शामत -- संज्ञा, स्त्री० (अ०) दुर्गति, आपत्ति,
विपत्ति, दुर्भाग्य, दुर्दशा | मुहा० - किसी | शारंग-पाणि-संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं०
शार्ङ्गपाणि) विष्णु रामचंद्र, कृष्ण । (सं०) शरद कालका,
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शारद - वि० सरस्वती ।
की ) शामत आना दुरवस्था श्राना | शामत का घेरा या मारा- जिसकी भाग्यता या दुर्दशा का समय आगया हो, दुर्भाग्य का मारा । शामत सवार होना या सिर पर खेलना- दुर्दशा का समय थाना, शामत चढ़ना । शामा संज्ञा, स्रो० दे० (सं० श्यामा ) राधिका, राधा जी, एक छोटा पत्ती, सोलह वर्ष की स्त्री, काली गाय, एक तरह की तुलसी, कोयल, यमुना, रात, स्त्री, धौरत । शामियाना संज्ञा, पु० ( फा० शाम ) एक प्रकार का बड़ा चंदोवा, वितान, तंबू
- मंडप, सभ्याना (द०) ।
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शामिल - वि० ( फु० ) युक्त, मिश्रित, मिलित, संमिलित, जो साथ में हो । व० व० शामिलात । संक्षा, स्त्रो०- शामिलाती - साझे का ।
शामी - संज्ञा, स्त्रो० (दे०) धातु का वह छल्ला जिसे छड़ी आदि के सिरे पर उसकी रक्षार्थ लगाते हैं । वि० - ( शाम देश ) - शाम देश का ।
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शायर संज्ञा, पु० ( प्र०) कवि । स्त्री०शायरी ।
शायरी - संज्ञा, स्रो० (०) कविता, काव्य, पद्यमयी रचना
शारदा - संज्ञा, स्त्री० (सं०) सरस्वती, दुर्गा, पुराने समय की एक लिपि, सारदा (दे० ) ।
शेष, शारदा, व्यास मुनि, कहत न पावैं पार - नीति० ।
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शारदी- वि० दे० (सं० शारदीय ) शरद ऋतु संबंधी, शरद कालका, सारदी (दे० ) । कहुँ कहुँ वृष्टि शारदी थोरी " रामा० । शारदीय - वि० (सं०) शरद ऋतु का, शरद ऋतु संबंधी ।
शारदीय महापूजा -- संज्ञा, स्रो० यौ० (सं०) कार में होने वाली नवरात्रि की दुर्गा
पूजा ।
शारदोत्सव-संज्ञा, पु० (सं०) कुधार की पूर्ण मासी का उत्सव, शरद पूनो का
उत्सव |
शारिका - संज्ञा, स्रो० (सं०) मैना पक्षी, सारिका (दे० ) । " शुक-शारिका पदावहिं वालक "-- रामा० ।
शारिवा - संज्ञा, स्त्री० (सं० ) अनंतमूल, सालसा, धमासा, नवापा । "मदा, शारिवा, लोधन: चौद युक्त: "- लो० रा० । शारी -- संज्ञा स्त्री० (सं०) मैना, पाँसे के खेल
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