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शारीर
की गोट | "शारी चरंतीं सखि मारयेताम् " - नैष०
० ।
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शारीर - वि० (सं०) शरीर-संबंधी । “शारीरे सुश्रुतः प्रोक्तः ". - स्फु० ।
शारीरक - संज्ञा, पु० (सं०) शरीर की सब दशाओं का विवेचन |
यौ०
(सं०) श्री
शारीरकभाग्य - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) शांकर वेदांतभाष्य या ब्रह्मसूत्र की व्याख्या । शारीरकसूत्र - संज्ञा, पु० व्यास- कृत वेदांत-सूत्र । शारीरविज्ञान -- संज्ञा, पु० यौ० शास्त्र जिसमें जीवों के उत्पन्न शरीरों के बढ़ने आदि की विवेचना हो । शरीर शास्त्र ( यौ० ) । शारीरिक - वि० (सं०) शरीर-संबंधी । शार्ङ्ग - संज्ञा, पु० (सं०) विष्णु का धनुष,
(सं० ) वह होने उनके
सींग का धनुष । शार्ङ्गधर, शार्ङ्गभृत् – संज्ञा, पु० (सं० ) विष्णु
भगवान ।
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शार्ङ्गपाणि - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) विष्णु । शार्दूल - संज्ञा, पु० (सं०) बाघ, चीता, शेर, राक्षस, शरभजंतु, एक पक्षी, सिंह, दोहे का एक भेद (पिं०), सारदूल (दे० ) । वि० - सर्वोत्तम, सर्व श्रेष्ठ ! शार्दूल ललित-संज्ञा, पु० (सं०) वर्गों का एक वर्णिक छंद (पिं० ) । शार्दूलविक्रीडित - संज्ञा, पु० (सं०) वर्गों का वर्णिक छंद (पिं० ) । शाल - संज्ञा, पु० (सं०) साबू, एक विशाल पेड़, एक मछली | संज्ञा, स्त्री० ( फा० ) दुशाला, ऊनी चादर | शालकि, शालकी - संज्ञा, पु० (सं०) पाणिनिमुनि !
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शालग्राम - संज्ञा, पु० (सं० ) विष्णु की एक पत्थर की मूर्ति, सालिगराम (दे० ) । शालपर्णी - संज्ञा, स्त्री० (सं०) सरिवन
( श्रौष ० )
शाला - संज्ञा, स्त्री० (सं०) श्रालय, गृह,
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शाश्वत
मकान, घर, स्थान । जैसे- चित्रशाल । इन्द्रवज्रा और उपेंद्रवज्रा के योग से बना एक छंद, उपजाति (पिं० ) । शालातुरीय- पंज्ञा, यौ० पु० (सं०) पाणिनि मुनि ।
शालि - संज्ञा, पु० (सं०) एक प्रकार का धान, जड़हन, बासमती चावल, पौंड़ा, गन्ना । शालिधान - संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० शालिधान् ) बासमती चावल |
शालिनी - संज्ञा, स्त्रो० (सं०) ११ वर्गों का एक वर्णिक छंद या वृत्त (पिं० ) । शालिवाहन - संज्ञा, पु० (सं०) एक शक राजा जिसने शकाब्द नामक शाका या संवत्
चलाया था ।
शालिहोत्र - संज्ञा, पु० (सं०) श्राश्व वैद्य, अश्व चिकित्सा या अश्व-विज्ञान का ग्रंथ, घोड़ा, अश्व । शालिहोत्री - संज्ञा, पु० (सं० शालहोत्रि + ईप्रत्य०) श्रश्व-वैद्य, अश्व-विज्ञानी, घोड़े आदि पशुथों का चिकित्सक । शालीन - वि० (सं०) विनम्र, विनति, लज्जावान, सदृश, तुल्य, सुन्दर, आचार-विचार वाला, चतुर, दक्ष, पटु, शिष्ट, सभ्य, धनी, अमीर | संज्ञा, स्त्री० - शालीनता । शाल्मलि - संज्ञा, पु० (सं०) सालमली (दे०), सेमल या सेमर का पेड़, एक द्वीप, एक नरक ( पुरा० ) ।
शाल्व - संज्ञा, पु० (सं०) सौभराज्य के एक राजा जो कृष्ण द्वारा मारे गये थे । एक देश ( प्राचीन ) ।
शावक - संज्ञा, पु० (सं०) बच्चा, पशु का बच्चा, सावक (दे० ) ।
शावर - संज्ञा, पु० (सं०) सावर, मंत्र-तंत्र विशेष | " शावर मंत्र - जाल जेहिं मिरजा -रामा० ।
शाश्वत - वि० (सं०) सदा रहने वाला, नित्य, स्थायी, नाश-रहित | संज्ञा, पु० (सं०) ब्रह्म । वि० - शाश्वती - स्थायी, नित्य ।
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