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शर्मा
शशकलंक शा ---संज्ञा, पु. ( सं० शर्मन ) ब्राह्मणों | शल्य-----संज्ञा, पु. (सं०) मद देशाधिपति, की उपाधि या पदवी।
| जो कर्ण के सारथी बने थे, और द्रौपदी के शर्माऊ -- वि० (दे०) शर्मीला, लज्जाशील, स्वयंवर में भीम से मल्ल युद्ध में पराजित लज्जालु लजोला ।
हुए थे (महा.), अस्त्र-चिकित्मा, अस्थि, शर्मिदा- वि० (फ़ा०) शमांऊ, शर्मीला, | हड्डी, साँग नाम का एक अत्र, वाण, तीर,
लज्जित, लज्जालु । सज्ञा, स्त्री०-शर्मिदगो।। छप्पय का ५६ वाँ भेद (पि. ), दुर्वाक्य, शभिष्टा-~-सज्ञा, स्त्री० स०) देवयानी की शलाका। सहेली जो दैत्यराज वृषपर्वा की कन्या थी शल्य की --संज्ञा, स्त्री० द० (सं० शल्लकी ) (पुरा०)।
साही या स्पाही नामक वन जंतु । शर्माला-वि० (दे०) शरमीला. शर्माऊ, शल्यक्रिया-सज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) शस्त्रलज्जाशील, लज्जालु।
क्रिया, चीर-फाइ की चिकिल्ला । शय्यणावत्--- सज्ञा, पु० (२०) एक सरोवर | शलाशास्त्र-- सज्ञा, पु० यौ० (सं०) शस्त्रास्त्रजो शर्यण जानपद के समीप था (प्राचीन) ।
विज्ञान। शर्व-सज्ञा, ५० स०) शिव विष्णु। "शर्व | शल्य-संज्ञा, पु० द० (स० शाल्व) सौभराज मगला समेत सव पर्वत उठाय गति |
के एक राजा जिन्हें कृष्ण ने मारा था, कीन्हीं है कमल की "-रामः ।
एक पुराना देश, शाल्व । शर्वरो ... संज्ञा, स्त्री. (स) रजनी, रात्रि,
शव ---सज्ञा, पु. (सं०) मृत देह लाश । रात, निशा, सध्या, स्त्री । " प्रभात कल्पा
" के शवं पतित दृष्ट्वा द्रोणो हर्षमुपागतः" शशिनेव शवरी''--रघु०। शल-सज्ञा, पु. (स०) कर का एक मल्ल
शवदाह-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) मनुष्य के
मृत शरीर के जलाने की क्रिया, मुर्दा या पहलवान, भाला, ब्रह्म।
जलाना, मृतक-संस्कार करना । शलगम, कालजम-संज्ञा, पु० (फ़ा०) गाजर !
। शवभस्म--सज्ञा, पु. यौ० (सं०) मुर्दे की जैला एक कंद जिपको तरकारी बनती है।
खाक, चिता की राख । शलभ, शरभ-सज्ञा, पु० सं०) टीड़ी, टिड्डी,
शवयान, शवरश- संज्ञा, पु० यौ० (सं० हाथी का बच्चा, पतंग, फतिंगा, सलभ,
अर्थी, टिकटी, मुर्दे को ले जाने की। सल्लभ (दे०), छप्पय का ३१ वाँ भेद ।
शवर --- संज्ञा, पु० (सं०) एक जंगली जाति । "होई सकल शलभ कुल तोरा"-रामा० ।
शवरी--- सज्ञा, स्त्री० (सं०) श्रमणानाम्नी एक शलाका- संज्ञा, स्त्री० (सं० ) लोहे या पीतल
तपस्विनी जो शवर जाति की थो, सवरी श्रादि की लंबी सलाई सीख, सलाख,
(दे०) । " शबरी देखि राम गृह श्राये" वाण, शर, जूमा खेलने का पाँसा, सलाका
--रामा० । शवर जाति की स्त्री। (दे०)।
शश, शशक - सज्ञा, पु० (स०) खरगोश, शलातुर-- संज्ञा, पु. (सं०) पाणिनि मुनि
खरहा । “जिमि शश चहहि नागरि का निवास स्थान, एक जनपद (प्राचीन)। भागू ....-रामा " सिंह-बधुहि जिमि शलीता--संज्ञा, पु० (दे०) थैला, बोरा, | शशक, सियारा" रामा०। चंद्र-लांछन एक मोटा कपड़ा, सलीता।
या कलंक, मनुष्य के ४ भेदों में से एक शलूका--संज्ञा, पु० (फ़ा०) आधी और पूरी (काम) । बाँह की एक प्रकार की कुरती, सलूका शशकलंक-संज्ञा, पु. (सं०) चंद्रमा । (दे०)।
। 'शशकलंक भयंकर यादृशां ''--नैप० ।
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