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शशधर, शशभृत्
१६३३
शस्त्र-शास्त्र
शशधर, शशभृत्-संज्ञा, पु० (सं.) शशिवदना-संज्ञा, स्त्री० (सं.) एक छंद चंद्रमा।
| या वृत्त, चौवंसा, चंडरसा, पादांकुलक शशमाही- संज्ञा, स्त्री० (फा०) छमाही। (पिं०)। वि० स्त्री०-शशिवदनी-चंद्रशशलांछन-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) चंद्रमा। मुखी।
"स्वमुदधौ शश-लांचन चूर्णितः''..नैष । शिशाला-संज्ञा, स्त्री० यौ० दे० (फा० शशभंग, शशकभंग - संज्ञा, पु० यौ० शीशा + सं. शाला ) वह घर जिसमें बहुत (सं०) खरहे का सींग, वैषा ही असंभव कार्य से शीशे लगे हों, शशीमहल । जैसे खरहे के सींग होना, असंभव बात ।। शशिशेखर - संज्ञा, पु. यौ० (सं०) शिव । शशांक-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) चंद्रमा, शशिहीरा--संज्ञा, पु० यौ० (सं० शशि + मगांक।
हीरा हि. चंद्रकांतिमणि, शशिमणि । शशा - संज्ञा, पु० दे० ( सं० शश ) खरहा. शश्वत-साव्य. (सं०) सदा, सर्वदा, खरगोश यौ०-शसुंग!
निरंतर, सनातन । शशि, शशी-संज्ञा, पु. ( सं० शशिन ) शसा* --संज्ञा, पु० दे० (सं० शश) खरहा । इंदु. चंद्रमा चाँद, रगण का द्वितीय भेद । शसि. शस-संज्ञा, पु० दे० ( सं० शशि(Iss), छप्पय का ५४ वाँ भेद (पिं०)। शशिन ) चंद्रमा, ससि, ससी (दे०)। "शरद-ताप निशि शशि अपहरई"- शस्त-संज्ञा, पु. (फ़ा०) लक्ष्य. निशाना । रामा०। "अाकाश है शशी तुम हो सरोज" शस्त्र-संज्ञा, पु० (सं.) किसी के मारने या -म०प्र०।
काटने का उपकरण या साधन, हाथ में शशिकला--संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) चन्द्रमा लेकर मारने के हथियार, जैसे-खड्ग, कार्य
की कला, एक छंद या वृत्त (पि०)। | सिद्धि का उत्तम उपाय । यौ० अस्त्र-शस्त्र । शशिकुल-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) चंद्रवंश। शस्त्रक्रिया--संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) नश्तर शिज-संज्ञा, पु. (सं०) चंद्रात्मज, बुध लगाने या पीड़फाड़ करने की क्रिया, जर्राही नामक ग्रह।
का काम। शशिधर --- संज्ञा, पु० (सं०) शिव, चंद्रमौलि शस्त्रधर, शस्त्रभृत् - संज्ञा, पु. (सं.) शाशपुत्र, शिसुत--संज्ञा, पु० यौ० (सं.) सिपाही, सैनिक, योद्धा, हथियार बाँधने बुध नामक ग्रह, शशितनय ।
वाला, हथियारबंद। शशिभान, शशमूनि, शशिमोलि-संज्ञा, शस्त्रधारी--वि० सं० शस्त्रधारिन्) हथियार पु. यो० (सं०) शिवजी महादेवजी
बाँधने वाला, शस्त्र धारण करने वाला। शशिभूषण-संज्ञा, पु. यौ० (सं०) शिवजी। स्त्री०---शस्त्रधारिणी। शशिभृत - संज्ञा, पु० (सं०) शिव । शत्रविद्या- संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं.) हथियार शशिमंडल-- संज्ञा, पु. यो. (सं.) चालाने की विद्या, शस्त्र-विज्ञान, धनुर्वेद,
चंद्र-मंडल. चन्द्रमा का गोला या घेरा।। ( यजु० उपवेद), शस्त्रास्त्र-सचालन विधि शशिमुख-वि० यो. (सं०) जिसका मुख का विज्ञान चंद्रमा ला सुन्दर हो । स्त्री. शशिमुखी। शस्त्रशाला-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं.) शस्त्राशशिवदन--वि० यौ० (सं०) जिसका मुख गार, हथियारों के रखने का स्थान, सिलहचंद्रमा सा सुन्दर हो । स्त्री० शशिवदनी। खाना, शस्त्रालय । "शीश जटा शशि-वदन सुहावा"-- शस्त्र-शास्त्र - संज्ञा, पु. यौ० (सं०) शस्त्ररामा।
विज्ञान, शस्त्र-विद्या। भा. श. को.-२०१
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