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शराबखोरी
शर्मद खाना-फा०) वह स्थान जहाँ शराब बनती या शरीरपात - संज्ञा, पु० यौ० (सं० मरना, बिकती हो।
__ मृत्यु, मौत, पंचत्व-प्राप्ति । शराबखोरी--- संज्ञा, स्त्री. (फ़ा०) मद्य-पान, शरीर-रक्षक-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) देह की
मदिरा पीना । वि० .-शराबरवीर । रक्षा करने वाला, ( राजा आदि के साथ ), शराबी-संज्ञा, पु. (अ. शराब + ई- अंगरक्षक।
प्रत्य० ) मदिरा या शराब पीने वाला। शरीरशास्त्र--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) शरीर शराबोर वि० (फा०) भीगा हुआ, और अंगादि के कार्यादि की विवेचना की तर-बतर, लथपथ, 'पाई, सराबोर, तरा- विद्या, शरीर-विज्ञान, शारीरिक शात्र । बोर (दे०)।
शरीरात--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मरना, शरारत--संज्ञा, स्त्री० (अ.) शैतानी, ! मृत्यु, मौत, देहान्त, देहावसान । बदमाशी, पाजीपन, दुष्टता । वि०- शरीरापण --- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) किसी शरारतो । क्रि० वि०-शरारतन: काम में अपनी देह को भली भाँति लगा शरासन - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) धनुष, देना, शरीर तक दे डालना, दहार्पण धनु. धन्वा, कमान । “शंभु-शरासन | शरीरो-ज्ञा, पु. ( सं० शरीरिन् ) देही, तोरि शठ करसि हमार प्रबोध'- रामा० । देहधारी, जीवधारी, प्राणी, शरीर वाला, शरिष्ठ, गर* --- वि० दे० (सं० श्रेष्ठ ) श्रेष्ठ, श्रात्मा, जीव "ततः शरीरीति विभाविताउत्तम, बढ़कर ।
कृतिम् "---माव०। शरीअत--संज्ञा, स्त्री. (अ.) मुसलमानों का शर्करा--संज्ञा, स्त्री. (सं०) चीनी, शकर, धर्म शास्त्र ।
शक्कर, खड, बालू के कण । “शर्करा गरीक---वि० (अ० सम्मिलित, मिश्रित, दुग्धसम्मिश्रितैः पाचितैः .....लो. रा० । शामिल साझी, मिला हुश्रा । संज्ञा, पु० - शर्करी--संज्ञा, स्त्री० (सं०) १४ वर्गों का साथी, हिस्सेदार यामी, सहायक । वि०- एक वर्णिक छद (पिं०) शरीकी।
शत--- संज्ञा. स्त्रो० अ०) हार-जीत के शरीफ़-संज्ञा. पु. (अ०) कुलीन या सभ्य अनुसार कुछ लेन-देन बाली बाज़ी, बाजी व्यक्ति, भला मानुष, शिष्ट । “शरीफ़ों का लगाना या बदना. बदान, होड़, नियम, अजब कुछ हाल है इस दौर में यारो''...- दाँव, बाजी किसी कार्य की सिद्धि के लिये जौक । वि०--शीकाना।
अपेक्षित या आवश्यक बात या कार्य। शरीफ़ा-संज्ञा, पु० दे० (सं० श्रीफल या शतिया-कि० वि० (अ०) शर्त या बाजी सीताफल ) एक गोल, मीठा हरा फल, इस बदकर, बहुत हो दृढ़ता या निश्चय के फल का वृक्ष, श्रीफल, सीताफल (वृक्ष)। साथ । वि. निश्चित, बिलकुल ठोक । शरोफाना-वि० (फा०) शरीफ़ जैपा। शत-- संज्ञा, पु. (अ.) शक्कर-घुला मीठा शरीर - संज्ञा, पु० (०) तनु, देह, अंग, पानी, शरबत । वि० ... शर्बती । काया, बदन, गात्र, गात, सरीर (दे०) गर्भ---संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) शरम, लज्जा, जिस्म, " श्याम गौर जलजात शरीरा"--- बीड़ा । वि०-शर्मिदा, शत्तिा। रामा० । वि० (अ०) दुष्ट, बदमाश, नटखट, गर्म-संज्ञ', पु० (सं०) श्राराम, सुख, पाजी। संज्ञा, स्त्री० ... शरारत।
आनंद, हर्ष, घर, मकान, गृह । शरीरत्याग- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) मरना, गर्मद- वि० (सं०) सुखदायक, आनंददायी, मृत्यु, मौत. देह छोड़ना, तन-त्याग। हर्ष या पाराम देने वाला । स्त्री० शर्मदा ।
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