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शप्या
१६२८
शम
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REAMEDABERamoumimom
कसम, कौल, करार, वचन, प्रतिज्ञा । श्रार्ष का कथन जो प्रमाण माना जाता महा०-शपथ खाना (करना)--कसम है (व्या०), केवल कथन प्रमाण, शाब्द । खाना । " शपथ खाय बोले सदा" - ०। शहब्रम-हांज्ञा, पु. यौ० (सं.) वेद शब्द शप्या-संज्ञा, पु० (सं०) चंद्रमा, बोझा। ही ब्रह्म है-यह सिद्धांत । " शब्दब्रह्मणिशफ़तालू -- संज्ञा, पु. (फा०) एक प्रकार का स्नातः ''-- स्फु० । भालू. रतालू. सतालू शेवड़ा श्राई। शब्दभेदी-संज्ञा, पु० दे० यौ० (सं० शरूरी-संज्ञा, पु. (सं०) छोटी मछली शब्दवेधी ) केवल शब्द के श्राधार पर दिशा सारी (दे०) । “मनोऽस्य जहु : शारी जानकर किनी को व ण से बिना देखे वेध विवृत्तयः ----किरातः ।।
देना दशरथ. अर्जुन । शफ़ा --- संज्ञा, स्त्री० (अ०) आरोग्यता
|श दवेधी संज्ञा, पु० यौ० (सं० शब्द वेधिन) तंदुरुस्ती, स्वास्थ्य ।
बिना देखे हुये केवल शब्द के हो आधार शफाखाना-संज्ञा, पु. (अ. शफ़ा + खाना पर किसी को वाण से वेध देना, दशरथ, फा०) चिकित्सालय, अस्पताल (दे०) (अं०) ।
अर्जुन, पृथ्वीराज । हास्पिटल. दवाखाना ।
शब्दशक्ति संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) शब्द की शब-संज्ञा, स्त्री. ( फ़ा० ) रात्रि, रात। वह शक्ति जिपसे उसका कोई विशेष भाव
" शब कटती है एंड़ियाँ रगड़ते"-हाली। ज्ञात होता है, इसके तीन भेद है, अभिधा, शबद, सबद-संज्ञा, पु. (दे०) शब्द, लक्षणा, व्यजना (काव्य शा०)। सब्द (दे०)।
शब्दशास्त्र- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) शब्दादि शबनम-संज्ञा, स्त्री० (फ़ा०) तुषार, श्रोस, की विवेचना का विज्ञान, व्याकरण । एक तरह का महीन कपड़ा । संज्ञा, स्त्री० "शब्दशास्त्रमनिधीय यः पुमान् वक्तुमिच्छति वि० शबनमी-मसहरी, शामियाना। सतां सभांतरे" - स्फु० । शब्द-वारिधि । शबर-वि० (अ०) कई रंगों का । संज्ञा, पु. . " इन्द्रादयोऽपि यस्यान्तं न ययुः शब्द एक वृक्ष. एक नीच जाति ।
वारिधेः। शबाब-संज्ञा, पु. (अ०) जवानी, युवावस्था, शब्दसाधन-पंज्ञ', पु० यौ० (०) व्याकरण
अति संदरता। यौ०-शबाब का पालम। का वह खंड जिनमें शब्दों की व्युत्पत्ति, शबी, सबी-संज्ञा, स्त्री० दे. ( अ० शवोह ) भेद, व्यवस्था या रूपान्तर आदि का तसवीर. चित्र “लिखन बैठ जाकी सबी, विवेचन होता है। गहि गहि गरब गरूर"- वि०।
शब्दाडंबर-- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) भाव हीन, शबील-संज्ञा, स्त्री. (फ़ा०) पौपला, प्याऊ। या अल्प भाव वाले, बड़े बड़े शब्दों का शबीह-संज्ञा, स्त्री० (फ़ा० तसवीर चित्र प्रयोग. शब्दजाल । शब्द-संज्ञा, पु. (सं.) किसी पदार्थ या ' शब्दानशासन - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) भावादि-बोधक सार्थक ध्वनि, धावाज़ व्याकरण । लफ़्ज. किमी महत्मा या साधु के बनाये पद शब्दालंकार---संज्ञा, पु० यौ० (सं०) एक (जैपे कबीर के शब्द) सबन, शबद (दे०) : अलंकार जिपमें वर्णों या शब्दों के विन्यास शब्दचित्र-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) अनुप्रास के द्वारा ही चर चमत्कार या लालित्य नामक एक शब्दालक र (अ० पी०)। प्रगट किया जावे, जैसे-अनुप्रासादि। शब्दप्रमाण -- संज्ञा, पु० यौ० (सं०) किसी शम----संज्ञा, पु० (१०) मोक्ष, मुक्ति, शांति,
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