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वैचित्र्य
वैधेय वैचित्र्य-संज्ञा, पु. ( सं०) विचित्रता, समेतः, वैदर्भमागन्तुमजं गृहेशम् "विलक्षणता।
रघु० । वि.--विदर्भ प्रान्त का। वैजयंत-संज्ञा, पु० (सं०) इन्द्र, इन्द्रपुी। वैदी-संज्ञा, स्त्री० (सं.) रुक्मिणी, वैजयंती-- संज्ञा, स्त्री. (सं०) पताका, झंडी, दमयंती, भैमी, मधुर वर्णों द्वारा मधुर पाँच प्रकार के मोतियों की माला । . धुपे रचना की एक काव्य-शैली व रीति । समुत्सर्पति वैजयंतीः" रघु० ।
"वैदर्भी केलिशैले मरकत शिखरादुत्थि तैरंशु
दर्भः ” नैष । वैज्ञानिक--संज्ञा, पु० (सं०) विज्ञान शास्त्र ।
वैदिक-संज्ञा, पु० (सं०) वेदविहित कृत्य का पूर्णज्ञाता, निपुण, प्रवीण दक्ष, चतुर। करने वाला, वेदों का पूर्ण ज्ञाता। वि०वि०-विज्ञान का, विज्ञान-संबंधी।
| वेद का, वेद सबंधी. बेदिक (दे०)। "लौकिक वैतनिक-- संज्ञा, पु० (२०) वेतन या तनख्वाह
| वैदिक करि सब रीती'.-- रामा० । पर काम करने वाला, नौकर, सेवक ।
वैदूर्य-संज्ञः, पु० (सं०) एक मणि विशेष, वैतरणी--संज्ञा, स्रो० सं० यम द्वार या लहसुनियों (दे०)। यमपुर की नदी (पुरा०), वैतरनी (दे०)। वैदेशिक-वि० सं० विदेश-संबंधी, विदेश 'तिन कहँ विवुध नदी वैतरणी"- राम०। का, विदेशीर, विदेसी (दे०)। वैताल-संज्ञा, पु० (सं० पिशाच, भूतयोनि वैदेही - मज्ञा, स्त्री० (सं०) सीता, जानकी, विशेप, भाट, बंदोजन । ' वैताल कहै । विदेह राजा की कन्या, बैदेही (दे०)। विक्रम सुनो जीभ संभारे बोलिये"--वैता०। “वैदेही मुख पटतर दीन्हे" - रामा० । वैतालिक ---संज्ञा, पु० (सं०) राजाओं को वद्य-संज्ञा, पु.० (सं०) पडित, विद्वान, जगाने वाला स्तुति पाठक । “पैतालिक भिषक, चिकित्सक, आयुर्वेद या चिकित्सायश गान कियो जब धर्मराज तब जागे' शास्त्र के अनुसार रोगियों की दवा करने ---शिव. बा. रा.।
वाला। "यौपचं मूढ़ वैद्यस्य त्यजन्तु ज्वरवैतालीय -- संज्ञा, पु० सं०) एक वर्णिक पीडिताः'-लो. रा० । यौ०-वैद्य-विद्या, छंद पि०) । वि०-वैताल का, वैतालसंबंधी।
वैद्यक - संज्ञा, पु० (सं.) श्रायुर्वेद, चिकिरला. वैद--संज्ञा, पु० दे० ( सं० वैद्य ) चिकित्सक,
शास्त्र, रोगों के निदान एवं चिकित्सादि की वैद्य, हकीम, डाक्टर, बैद । “ नारी को न
विवेचना का शास्त्र, वैद्य-विद्या । जानै वैद निपट अनारी है" सूर० ।
वैद्युत -- वि० सं०) विजली का, बिजली
संबंधी। वैदक - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० वैद्यक )
वैधा-वि० (6) रीति-नीति के अनुकूल, आयुर्वेद, चिकित्साशास्त्र, वेदक (दे०)।
विधि के अनुसार, उपयुक्त, ठीक ... वैदकी-संज्ञा, स्त्री० (दे०) वैद्य का काम |
वैधर्म्य-संज्ञा, पु. (सं) नास्तिकता, विधर्मी या पेशा, वैदिकी, वैदी, चदाई । दे०)। होने का भाव, निन्नता, पृथकता । विलो०वैदग्ध्य -- संज्ञा, पु० (सं०) धातुर्य, नैपुण्य । साधर्म्य । "वेदग्ध मुग्ध वचसा सु विलासिनीनाम् ' वैधव्य-संज्ञा, पु० (सं.) रँडापा, विधवा - लो ।
होने का भाव । " नक्षत्रांतेषु वैधव्यं -- वैदर्भ-संज्ञा, पु. (सं० विदर्भ देश का
शीघ्र। राजा, दमयंती के पिता भीमसेन, रुक्मिणी वैधेय-वि० (सं०) ब्रह्मा या विधि का, के पिता भीष्मक। " मेने यथा तत्र जनः । विधि-संबंधी, वैध्य, विधि का ।
वैद्यराज।
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