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वेतनभोगी
वेधशाला वेतनभोगो~-संज्ञा, पुन्यौ० (सं० वेतनभोगिन् ) | प्रमाणिक बात जिसका खंडन किसी प्रकार
तनख़्वाह लेकर कार्य करने वाला, नौकर। न हो सकता हो, स्वभाव-सिद्ध, ईश्वरवेतस --संज्ञा, पु० सं०) बडवानल, बेंत । वाक्य, वेद-वाणी। वेनाल-संज्ञा, पु० (सं०) संतरी, द्वारपाल. वेदव्यास--संज्ञा, पु. यौ० (सं०) कृष्ण शिवजी का एक गणाधिप एक भूतयोनि द्वैपायन, व्यासजी। ( पुरा० ), भूत ग्रहीत मुर्दा, वेताल (दे०) वेदांग संज्ञा, पु० यौ० (सं० ) वेदों के ६ छप्पय का ६ वाँ भेद । पिं० ) । भूत,
अंग :--छः शात्र, शिहा, कल्प, व्याकरण, पिशाच, प्रेत, वेताला"..- रामा० ।
छंद, निरुक्त, ज्योतिष, षडंग। यौ०-वेदवेत्ता --- वि० सं०) ज्ञाता, जानने वाला ।
वेदांग । वेत्र-संज्ञा, पु० (सं०) बत, त (दे०)।
वेदांत-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) श्रारण्यक वेत्रधर--संज्ञा, पु. (सा०) द्वारपाल ।
उपनिषदादि वेद के अंतिम भाग जिनमें वेत्रवती - संज्ञा, स्त्री० (सं०) बेतवा नदी
जगत, श्रात्मा और ब्रह्म का निरूपण है :"छिपा वेत्रवती मह सुरगदी ख्याता तथा
ब्रह्मविद्या, वेदों का अंतिम भाग, ज्ञानकांड, गंडकी"--- स्फु०।
अध्यात्म विद्या, वह दर्शनों (शास्त्रों) में से वेत्रासुर-संज्ञा, पु. (सं०) प्राग्ज्योतिष नगर
एक प्रमुख दर्शन शास्त्र जिसमें चैतन्य ब्रह्म का राजा, एक दैत्य (पुरा० ।
की एक मात्र पारमार्थिक सत्ता मानी गई है वेत्री-संज्ञा, पु. ( सं० वेत्रित् ) द्वारपाल ।
( अद्वैतवाद ) उत्तर मीमांसा । यौ० ---- वेद----संज्ञा, पु० (सं०) प्राध्यात्मिक या धार्मिक
वेदान्लवाद । विषय का ठीक ज्ञान, अति, अाम्नाय. भारत |
वेदातसूत्र--संज्ञा, पु० यौ० (सं०) महर्षि के श्रार्यों के सर्व मान्य प्रमुख धार्मिक !
वादरायण या व्यास प्रणीत उतर मीमांसा
के मूल सूत्र। ग्रंथ, वेद चार हैं : . ऋग्वेद, यजुर्वेद, वेदांती-- संज्ञा, पु. ( सं० वेदांतिन् ) वेदांतसामवेद (प्रथम के मूल ३ वेद) अथर्वणवेद ज्ञानी, वेदांत का ज्ञाता, वेदांतवादी, (पश्चात्काल में यज्ञांग, वित्त, वृत । ब्रह्मवादी, अद्वैतवादी. वेदान्तवादी।
" वेद-विहित संमत सबही का".-- रामा० ! | वेदिका-संज्ञा, स्त्री० (सं०) यज्ञादि के हेतु वेदज्ञ-संज्ञा, पु० (सं०) वेदों का ज्ञाता, बनाई हुई ऊँची भूमि । "वट-छाया वेदिका ब्रह्मज्ञानी, वेद वित् वेद-वक्ता !
सुहाई "----ामा० । वेदन--संज्ञा, पु० (सं०) पीड़ा।
वेदित -- वि० (सं०) बतलाया हुश्रा । वेदना-संज्ञा, स्त्री. (सं०) व्यथा, पीड़ा, दर्द। वेदी-संज्ञा, स्त्री. (सं.) शुभ या धर्म
"वेदनायाञ्च निग्रहः "..-मा० प्र० कार्य के हेतु बनी हुई ऊँची भूमि । वेदनिंदक ---संज्ञा, पु० यौ० (सं०) वेदों की वेध-संज्ञा, पु० (सं०) वेधना, छेदना यंत्रादि बुराई करने वाला, नास्तिक । “ नास्तिकः से ग्रह-तारा नक्षत्रादि का देवना, एक ग्रह वेदनिंदकः" मनु०।
का दूसरे ग्रह के प्रभाव को रोकना (ज्यो०)। वेदमंत्र .. संज्ञा, पु० यौ० (सं०) वेदों के छंद । वेधना-स० कि० दे० ( सं० वेध ) छेदना,
वेद-मंत्र तव द्विजन उचारे"-रामा० ।। __ छेद करना, विद्ध करना, बेधना (दे०) । वेदमाता-संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं० वेदमातृ) “सिरस सुमन किमि वेधिय हीरा०"गायत्री, सावित्री, सरस्वती, दुर्गा । " गायत्री रामा०। वेदमाता स्यात् "..--स्फु० ।।
वेधशाला-संज्ञा, पु. (सं०) वह भवन जहाँ वेदवाक्य-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) ऐसी ग्रह-नक्षत्रादि के देखने को यंत्रादि रखे हों।
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