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विनाशन
विपत्ति खराबी, बरबादी नाश, बिनास (दे०)। विनु*- अव्य० दे० (सं० विना) बिना वि० विनष्ट, विनाशक । “ विनाश-काले वगैर, अतिरिक्त. सिवा, छोड़कर, बिनु विपरीत बुद्धिः "- हितो।
(दे०)। 'मणि-विनु, फनिक रहै अति विनाशन- संज्ञा, पु. (सं०) नाश या नष्ट दीना"- रामा० । करना, बरबाद या खराब करना, संहार या विनूठा-वि० दे० ( हि० अनूठा) अनूठा, वध करना, लोप या लय करना, बिनासन अनोखा, सुन्दर । (दे०) । वि०विनाशी, विनाश्य, विनाश- दिनेता- संज्ञा, पु० (सं०) शासक, शिक्षक, नीय। “दश सीम विनाशन बीस भुजा" --रामा० ।
विनोक्ति-संज्ञा, स्त्री० (सं०) एक अर्यालंकार विनास--संज्ञा, पु० दे० (सं० विनाश) जिसमें किसी के बिना किसी की श्रेष्ठता या नाश । " मूर्ख रहै जा ठौर पर ताको करै हीनता कही जाती है (अ० पी०)। जैसेविनास"-- । संज्ञा, पु. (दे०) . "बिन धन निर्मल सोह अकासा"-रामा० । नासिका, नकसीर, बिनास (दे०)। विनोद-ज्ञा, पु० (सं०) तमाशा, मनोरंजक, विनासन* -- संज्ञा, पु० दे० ( सं० विनाश) कुतूहल, कौतुक, क्रीड़ा, खेलकूद, हर्षानंद, ध्वंस, नाश, विनासन (दे०) ।
हँसी-दिल्लगी, प्रसन्नता, परिहास, थामादविनासना*-स० कि० दे० (सं० विनाशन)। नष्ट करना, बरबाद करना, संहार या लय विनोदी- वि० ( सं० विनोदिन् ) आनंदी करना, बिगाड़ना, विनासना (दे०)। अ० जीव हँसी-ठट्ठा करने वाला, भामोद-प्रमोद क्रि०-नष्ट या बरबाद होना, बिनसना (दे०)। करने वाल", कौतुकी। स्त्री विनोदिनी । विनिपात - सज्ञा, पु.. (सं०) पतन, विपद्, विन्यस्त-- वि० (सं०) स्थापित, क्रम से अधःपात।
रखा हुआ। विनिमय-संज्ञा, पु० (सं०) बदला करना, विन्यास--संज्ञा, पु० (सं०) स्थापन, रचना, एक वस्तु ले कर बदले में दूसरी देना, परि- । सजाना, धरना, यथास्थान जड़ना, रखना। वर्तन, धोखा, भ्रम । " तेजो वारिमृदा यथा वि० विन्यस्त । यौ० --वाक्य-विन्यास । विनिमयः "- भा० प्र० ।
| विषंची-संज्ञा, स्त्री० (सं०) एक वीणा, खेचविनियोग-संज्ञा, पु. (सं०) अभीष्ट फल के कूद. क्रीड़ा-कौतुक । हेतु किसी वस्तु का प्रयोग, काम में लाना, विपक्ष-- संज्ञा, पु० (सं०) प्रतिद्वंदी, विरोधी, उपयोग. वतना, मत्र प्रयोग (वैदिक कृत्य) पक्ष, खंडन, प्रतिवादी, शत्रु, विरोधी, भेजना, प्रेषण । ' वस्त्र परिधाने विनियोगः" । अपवाद, बाधक नियम (व्या०) । “देने तथा -- वैदिक० ।
रण का निमंत्रण निज विपक्ष विरुद्ध में "--- विनिगत-वि० (सं०) बाहर निकला हुश्रा, | मै० श.। बीता हुआ।
| विपत्ती-संज्ञा, पु. ( सं० विपक्षिन् ) विरुद्ध विनात-- वि० (सं०) विनयी, सुशील, नम्र, पक्षवाला, प्रतिद्वंदी, शत्रु, प्रतिवादी, वैरी, शिष्ट, धार्मिक, नीलानुपार श्राचार-व्यवहार बिना पंख का पक्षी। करने वाला । " अति विनीत मृदु कोमल विपत्ति-संज्ञा, स्त्री० (सं०) विपद, आपत्ति, बानी"- रामा० ।
दुख या शोक की प्राप्ति, संकट-काल, बुरे विनीतात्मा-वि• यौ० (सं०) सुशील, दिन, बिपति, विपत्ति (दे०) । यौ०नम्र, शिष्ट ।
विपत्तिकाल । “प्रायः समापन्न विपत्ति
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