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विधेयाविमर्ष
१५१०
विनाश
या वाक्य जिसके द्वारा किसी के विषय में विनयपिटक-संज्ञा, पु० (सं०) बौद्धों का कुछ कहा जावे (व्या०) वशीभूत, होनहार । एक श्रादि शास्त्र । विधेयाविमर्ष- संज्ञा, पु. यौ० (सं०) एक विनयशील-वि० (सं०) सुशील, शिष्ट,
काम्य दोष, जहाँ प्रधानतया कहने योग्य या विनम्र, बिनैमील (दे०) । “विनयशील कथनीय बात वाक्य-रचना में छिप या दबी करुणा-गुण-सागर"-. रामा० । रहे।
विनयी-- संज्ञा, पु० (सं० विनयिन् ) विनयविध्याभास-संज्ञा, पु० (सं०) एक अर्थालंकार युक्त, सुशील, विनम्र। " सो विनयी विजयी जिसमें किसी महान् अनिष्ट के होने की गुण-सागर"-रामा० । सम्भावना सूचित करते हुये अनिच्छा के दिनयोक्ति-संज्ञा, नो० यौ० (सं०) विनय साथ विवश हो किसी बात की अनुमति दी वाक्य, विनीतवाणी।। जावे (काव्य.)।
| विनशन - संज्ञा, पु. (सं०) विनाश, नाश, विध्वंस -- संज्ञा, पु० (सं०) विनाश, बरबादी, बरबादी, नष्ट होना । वि. विनष्ट, विनश्वर । खराबी। वि.विध्वंसक।
विनश्वर वि० (सं०) अनित्य, नाशवान, विध्वंसी - संज्ञा, पु. (सं० विध्वंसिन् ) सदा या चिरकाल न रहने वाला संज्ञा, नाश करने वाला, बिगाड़ने वाला । स्त्री० स्त्री. विनश्वरता। विध्वंसिनी।
विनट- वि० (सं०) नष्ट, ध्वस्त, नष्ट-भ्रष्ट, विश्वस्त-वि० (सं०) नष्ट किया हुआ। तबाह, बरबाद, खराब, मत पतित, बिगड़ा दिना-सई० दे० (हि. उस ) उस का हुआ । बहु वचन, उन।
विनमना" - अ० कि० दे० ( सं० विनशन ) विनत--वि० (सं०) विनीत, नम्र, शिष्ट, नाश या नष्ट होना, मिटि जाना, खराब या झुका हुआ।
बरबाद होना, बिनसना (दे०)। ९० रूप विनतडी*/- संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० विनमाना, बिनसावना, प्रे० रूप-विन विनत ) विनति, नम्रता, शिष्टता।
सवाना । "उपजै विनसै ज्ञान ज्यों, पाय विनता--संज्ञा, स्त्री० (सं०) कश्यप-पत्नी | सुसंग-कुसंग"-- रामा० । (दक्ष प्रजापति की कन्या ) और गरुड़ की विनसाना स० कि. (दे०) नष्ट करना, माता (अप० संज्ञा,-वैनतेय)। "कद बिगाड़ना, बिनमावना (दे०)। विनतहिं दीन्ह दुख "-- रामा० । विना ... अव्य० (सं०) बिना (दे०) प्रभाव में विनति-संज्ञा, स्त्री० (सं०) नम्रता, शिष्टता, अतिरिक्त, बरौर, सिवा, न रहने या होने
सुशीलता, विनय, मुकाव, विनती, प्रार्थना की दशा में। “बिना बातं बिना वर्ष, विनती-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० विनति ) विद्युत्पतनं बिना''-भा० द०। नम्रता, शिष्टता, विनय, सुशीलता, प्रार्थना, विनाती*-संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० विनति ) झुकाव, बिनती, बिन्ती, (दे०)। "विनती विनय, विनती (सं०) । करि सुरलोक सिधाये" - रामा० । विनाथ-वि० (सं० ) अनाथ । स्त्री० - विनम्र-वि० (सं०) सुशील, विनीत, नम्र, विनायनी।
झुका हुा । संज्ञा, स्त्री. विनन्त्रता। विनायक-संज्ञा, पु० (सं०) गणेशजी । विनय-- संज्ञा, स्त्री० (सं०) नम्रता, प्रार्थना, | "लम्बोदर गजवदन विनायक'' ---तु० । वि. विनती, नीति, विनय, विनै (दे० । वि.- विनायिकी। विनयी।
( विनाश-संज्ञा, पु० (सं०) ध्वंस, लोप,
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