________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
विधासना १५८१
विधेया विधासना* -- १० क्रि० दे० (हि० विधंसना) विधिरानी* ---संज्ञा, स्त्री० दे० यौ० (सं० नष्ट या बरबाद करना।
विधि - रानी हि०) ब्रह्मा की स्त्री, सरस्वती। विधाता-संज्ञा, पु. ( सं० विधातृ ) प्रबंध “महिमा बखानी जाय कापै विधिरानी
या विधान करने वाला उत्पन्न करने या सृष्टि की'... मन्ना। रचने वाला, विरंचि, ब्रह्मा, परमेश्वर, | विधि-पूर्वक--क्रि० वि० यौ० (सं०) यथाबिधाता। स्त्रो० विधात्री । " हमैं जन्म विधि, यथा रीति. सविधान ।। देता जहाँ है विधाता "--मन्नन । विधिवत-क्रि० वि० (सं०) पद्धति या रीति विधान-संज्ञा, पु० (सं०) किसी कार्य की
के अनुसार, उचित रूप ले, यथाविधि, विधि या व्यवस्था अनुष्टान प्रबंध, प्रायोजन, |
जैसा चाहिये वैसा। लिंग थापि विधिवत् इंतज़ाम, परिपाटी, प्रणाली, पद्धति, रीति, करि पूजा"-रामा०। निर्माण, रचना, युक्ति, उपाय, श्राज्ञा-दान, विधंतद--संज्ञा, पु० (सं०) राहु । " प्रकृतिनाटक में किसी वाक्य से सुख-दुख के एक |
एक रस्य विधुतुद दहिका'-नैप० । साथ प्रगट किये जाने का स्थान (नाट्य०)। विधायक - संज्ञा, पु. (सं०) विधान या
विधु-संज्ञा, पु० (सं०) चंद्रमा, शशि, मयंक,
विष्णु, ब्रह्मा । "विधुरतो द्विजराज इति प्रबंध करने वाला, बनाने वाला । स्त्री०
श्रुतिः" - नैप० । किमु विधु ग्रसते स विधायिका ! विधि-संज्ञा, स्त्री. (सं०) ढंग, किसी कार्य
विधु तुदः-नैप० । देखहिं विधु चकोर. की रीति, प्रणाली, तरीका, व्यवस्था, युक्ति,
समुदाई "-रामा० ।। योजना, विधि (दे०) । मुहा०—विधि
विधुदार, विधुदारा- संज्ञा, स्त्री० यौ० बैठना (बैठाना)----टोक मेल या विधान
(सं० विधुदारा) रोहिणी, चंद्र-पत्नी। होना 'मिलाना) अनुकूलता होना (करना), |
विधुबंधु-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) कुमुद अभीष्ट व्यवस्था होना (करना)। विधि
___ का पुष्प । मिलना (मित्ताना )-- पाय-व्यय का
| विधुवदनी-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) चंद्रमुखी हिसाब ठीक होना । शास्त्रादेश, शास्त्रीय
___ या सुरूषा स्त्री। प्राज्ञा या व्यवस्था, शास्त्रोक्त विधान,
विधुबैनी*--संज्ञा, स्त्री० यौ० दे० (सं० क्रिया का वह रूप जिसे आदेश या
विधुवदनी ) सुन्दर स्त्री, मयंक-मुखी । प्राज्ञा का अर्थ प्राट हो (व्या० ) । एक
" विधुबैनी मृग-शावक नैनी"--रामा० । अर्थालंकार जिसमें किसी सिद्ध विषय का
विधुर- संज्ञा, पु. (सं०) घबराया हुआ, विधान फिर से किया जाये, (अ० पी० )
दुखी, विकल, व्याकुल, अशक्त, असमर्थ । प्राचार-व्यवहार, चाल-ढाल । यौ० गति
"विधुर बंधुर वंधुरमैक्षत"-माघ० । विधि-चेष्टा और कार्यवाही । प्रकार, भाँति,
विधुरानना-वि• यौ० (सं०) ग्लानमुखी । तरह, किस्म । " जेहि विधि सुखी होहिं विधुवदनी- संज्ञा, स्त्री० (सं०) सुन्दरी स्त्री पुर-लोगा"-रामा० । संज्ञा, पु० (सं०)
चंद्रमुखी, चन्द्रमा सा मुखवाली। " विधुब्रह्मा, विधाता । “विधि सों कवि सब
वदनी सब भाँति सँवारी"-रामा० । विधि बड़े"- स्फुट ।
विधूत -- वि० (सं०) कंपित, हिलाया गया। विधिना, विधिनः---संज्ञा, पु० (दे०) विधि, विधेया-- वि० (सं०) कर्त्तव्य, जिसका करना
ब्रह्मा । "जेहि विधिना दारुन दुख देहीं" । उचित हो, करणीय, उचितानुष्टान वाला, विधिपुर, विधिलाक --- संज्ञा, पु. यौ० (सं०) जिसका विधान होने वाला हो, जो विधि ब्रह्मलोक।
या नियम से जाना जाये, अधीन, वह शब्द
For Private and Personal Use Only