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विद्याधरी
करें किन्नर नाचें ", -मन्ना० | पंडित, विद्वान, एक अस्त्र । यौ० विद्याधरात्र । विद्याधरी - संज्ञा, स्रो० (सं० ) विद्याधर ( देवता ) की स्त्री ।
विद्याधारी - संज्ञा, पु० (सं० विद्याधारिन् ) ४ मगण का एक वर्णिक छंद ( पिं० ) । विद्यारंभ - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) विद्या पढ़ना शुरू करने का एक संस्कार विशेष । विद्यार्थी - संज्ञा, पु० यौ० (सं० विद्यार्थिन् ) छात्र, शिष्य, विद्या पढ़ने वाला | विद्यालय - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पाठशाला | विद्यावान् -- संज्ञा, पु० ( सं० विद्यावत् ) विद्वान् पंडित, ज्ञानी विद्यावन्न । विद्युत् – संज्ञा, स्रो० (सं०) बिजली | विद्युत्मापक, विद्युन्मापक – संज्ञा, पु० यौ० (सं० विद्युत् + मापक ) बिजली नापने का यंत्र, जिससे बिजली की शक्ति और गति जानी जाती है । विद्युन्माला, विद्युन्माला -संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) बिजली का समूह या क्रम दो मगण और दो गुरु ( गुरु वर्णों) का एक वकि छंद (पिं० ) " मो मो गो गो विद्य न्माला " | विद्युत्माली, विद्युन्माली - संज्ञा, पु० ( सं० विद्युत् + मालिन् ) एक राक्षस ( पुरा० ) भ और म ( गण ) और २ गुरु वर्णों का एक वर्णिक छंद (०) | विद्युल्लेखा - संज्ञा, स्त्री० यौ० (सं०) दो मगण (६ गुरु वर्णो ं) का एक वर्णिक छंद (पिं०) शेषराज, बिजली की धारा या रेखा, बिजली । विद्रधि - संज्ञा, पु० स्त्री० (सं०) पेट के भीतर का एक मारक फोड़ा ।
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विद्रावण - संज्ञा, पु० (सं०) भागना, फाड़ना, उड़ाना, पिघलना, नष्ट कत्ती । वि० विद्रावणीय, विद्रावित | विद्रुम - संज्ञा, पु० (सं०) मूँगा, प्रवाल । • तवाधरस्पर्द्धिषु विद्रुमेषु " - रघु० । विद्रोह - संज्ञा, पु० (सं०) द्व ेष, राजद्रोह,
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विधवाश्रम
बलवा, क्रांति, विप्लव, बग़ावत, हुल्लड़, राज्य को नष्ट करने या क्षति पहुँचाने वाला
उपद्रव |
विद्रोही-संज्ञा, पु० ( [सं० विद्रोहिन् ) हेपी, बलवाई, बाग़ी, हुल्लड़ करने वाला, राज-द्रोही । विद्वत्ता-संज्ञा, खो० (सं० ) पांडित्य, डिमाई, विद्वता (दे० ) । विद्वान - संज्ञा, पु० (सं० विद्वस् ) पंडित, ज्ञानी, जिसने बहुत विद्या पढ़ी हो । विद्वेष-संज्ञा, पु० सं० ) द्रोह, बैर, शत्रुता । विद्वेषण संज्ञा, पु० (सं०) द्रोह, बैर. शत्रुता, दो व्यक्तियों में शत्रुता कराने का एक प्रयोग (तंत्र) बैरी, दुष्टता, शन्न । विधंस - संज्ञा, पु० ६० (सं० विध्वंस ) विनाश, विस (दे० ) । वि० विध्वस्तविनः । विना स० कि० दे० ( विव्वसन् )
नष्ट या बरबाद करना ।
विष - राज्ञा, पु० दे० (सं० विधि विधाता, विधि, ब्रह्मा, विधि (दे०) ।
विवना - स० क्रि० दे० (सं० विधि ) प्राप्त करना, ऊपर लेना, साथ लगाना, विधना (दे०) भिदना, बेधा जाना | संज्ञा, स्त्री० - भवितव्यता, होनहार, होनी । संज्ञा, पु०विधि, ब्रह्मा, विधिना (दे० ) । विधरां - क्रि० वि० (दे०) उधर | विधर्म -संज्ञा, पु० (सं०) दूसरे का य पराया धर्म ।
विधम्म-संज्ञा, पु० (सं० विधर्मिमन् ) धर्म च्युत, पर या अन्य धर्मानुयायी, धर्म-भ्रष्ट धर्म के विपरीताचार करने वाला । विधवा संज्ञा, स्त्री० (सं०) पति - विहीन स्त्री, बेवा, राँड़ स्त्री । विधवापन - संज्ञा, पु० दे० (सं० विधवा + पन- - हि० प्रत्य० ) रँड़ापा, वैधव्य । विधवाश्रम -संज्ञा, पु० यौ० (सं०) विधवाओं के पालन-पोषणादि के प्रबंध का स्थान ।
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