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लोचना
१५४६
लोन, लोन
लोचना - स० कि० दे० (हि० लोचन - सिलना, बटनहाँ (ग्रा.), पत्थर का ना-प्रत्य०) देखना, रुचि या अभिलापा टुकड़ा जिससे सिल पर कोई वस्तु पीसी करना, प्रकाशित करना, प्रकाश करना। जाती है । स्त्री० अल्पा० लोढ़िया। मुहा० अ० क्रि० (दे०) शोभित होना। अ० कि.. ..लोनाडालना-बराबर करना लोहाअभिलाषा या कामना करना, तरसना, ढाल-चौपट, सत्यानाश, विनाश | लोभ या लालच करना, ललचना। लोदिया. लुढ़िया--संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. नाचुन लोचून--संज्ञा, पु० दे० यौ० ( सं० लोढ़ा ) छोटा लोढ़ा। लोहा ) लोहे का चूर्ण ।
लोदी- संज्ञा, स्त्री० दे० ( हि० लोढ़ा ) छोटा लाद-संज्ञा, स्त्री० (हि. लोटना) लोटने लोढ़ा, लोहिया । का भाव, लुढ़कना । संज्ञा, पु० (हि. लोटना) लोथ. नाथि--संज्ञा, मो० दे० ( सं० लोष्ट ) उतार, त्रिवली, घाट । यो० ---लोट पोट : मुरदा, वृत शरीर लाश, शव महा
(होना)-प्रति हँगी गा हर्ष से लोट जाना। लोगों की भीन उटाना.... अनेक मनुष्यों - लोटन--संज्ञा, पु० ( हि० लोटना ) एक तरह को मारना। " लोथनि पैलानि की भीति
५ का बाबृतर, रास्ने के छोटे छोटे कंकड़ । उठि जायगी"-रत्ना । लोथ गिरना लोदा-ना-अ० क्रि० दे० ( सं० लठन ) लुढ़- | -~-मार जाना : लोथ डालना (गिराना) गीली करवट बदलाना, तड़पना । मुहा०- -~-हत्या करना, मार डालना।। लोइ, लेजाना-बेसुध या बेहोश हो जाना, लोथडा -- संज्ञा. पु० दे० (हि. लोथ ) लोर जाना । विश्राम करना. लेटना, सुग्ध या मांस का पिंड: स्त्री. अल्पा. - लोथड़ी। चकित होना।
लाथा- संज्ञा, पु० (दे०) धैला, बोरा । लोगटा। संज्ञा, पु. यौ० दे० (हि. लोटना लो - संज्ञा, स्त्री. (दे०) गठीली लाठी,
+पाट ) विवाह के समय पाटा या स्थान लहा। बदलने की रीति, लोटपटा (दे०) । दाँव लोदी-संज्ञा, पु. (दे०) पठानों की एक का उलट-फेर ।
जाति। लोटपोट- वि० यौ० (दे०) तलफन, पटकना, लोध--. पंज्ञा, पु० दे० (सं० लोत्रा) एक पेड़,
अति हर्प या हास से लोट जाना। __इसकी छाल और लकड़ी औषधि के काम लोटा-संज्ञा, पु. द० ( हि० लाटना ) धातु पाती है, एक नीच जाति । का एक गोल बरतन जिससे लोग पानी लोधिया, लोधीसंज्ञा, पु० दे० (हि. पीते हैं । स्त्री० अात्पा० लोटिया, लदिया। लोध ) एक जाति विशेष, लोध। लोटिया, लोटी--संज्ञा. स्त्री० ( हि० लोटा) लोध्र-पंज्ञा, पु. (सं०) एक पेड़, लोध । छोटा लोटा। मुहा० -लोटिया इवना "अधि प्रकाशमिव धातुमरयाम् लोभ्रमं (दुबोना)- नष्ट करना : "तो दी उसने गनुमत प्रफुल्लम् -- रघु० । बिलकुल ही लोटिया डुबो''.-म० इ० लोप्रतितक-संज्ञा, पु. (सं० ) उपमा, लोडना-स० क्रि० दे० (पं० लोड़ --- जरूरत) अलंकार का एक भेद (काव्य०)। श्रावश्यकता या जरूरत होना, दरकार या लोन, लोन -संज्ञा, पु० दे० (सं० लवण) चाह होना।
नमक लवण । “ मनहु जरे पर लोन लोढ़ना--स० कि० दे० (सं० लचन) लगावनि "---रामा० । मुहा० (किसी चुनना, श्रोटना, तोड़ना ।
का) तीन खाना--अन्न खाना, पाला लोढ़ा संज्ञा, पु० दे० (सं० लोष्ट । बट्टा, जाना । लोन चुकाना ( उतारना )
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