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लोनगमी
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नमकहलाली करना | किसी का लोन निकलना - नमकहरामी का फल मिलना | लोन न मानना -- उपकार न मानना । जले पर लोन लगाना या देनादुख पर दुख देना । ( किसी बात का ) लोन सा लगना-- श्रप्रिय या श्ररुचिकर होना । ( राई ) लोन उतारना -दृष्टिदोष दूर करने को राई - नमक उतारना । सौंदर्य, लावण्य | त्रि० (दे०) नमक, लौन । लोनहरामी | - वि० दे० यौ० (हि० लोन + हरामी फा० ) नमकहरामी. उपकार न मानने वाला, नोनहरामी (दे०) । " जिन तन faar are fata ऐसो लोन हरामी " - तुल० । लोना - वि० दे० ( हि० लोन ) नमकीन, सुन्दर, सलोना | संज्ञा, खो० (दे०) -लांनाई, लुनाई | संज्ञा, पु० ( हि० लोन ) नमकीन मिट्टी, मलांनी ( प्रान्ती० ), जिससे शोरा और नमक बनता है, दीवाल का एक विकार जिससे उसकी मिट्टी झडने लगती और वह निर्बल हो जाती है, लाने से दीवार से गिरी मिट्टी | संज्ञा, स्त्रो० (दे०) एक कल्पित चमारिन जो टोना-जादू में बड़ी प्रवीण मानी जाती है । स० क्रि० दे० ( सं० लवण ) अक्ष की फ़सल काटना, लुनना !
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लोनाई - संज्ञा, स्रो० दे० (सं० लावगय ) सुन्दरता, मनोहरता लुनाई (दे० ) । "हिये सराहत सीय लोनाई ' रामा० । लोनारां-- संज्ञा, पु० दे० ( हि० लोन ) नमक बनने या होने का स्थान । लोनिका - संज्ञा, त्रो" ( दि० लोनी ) लोनी,
एक प्रकार का साग ।
लोनिया - संज्ञा, पु० दे० (हि० लोन) नमक बनाने वाली एक जाति. नांनिया ( ग्रा० ) | लोनी -संज्ञा स्त्री० ३० (हि० लोन) कुलफे जैसा एक साग, लोनिया (दे०), चने के पौधे की खट्टी नमकीन धूलि |
लोभार
लोप - संज्ञा, पु० (सं०) अलक्ष्य, क्षय, नाश, प्रदर्शन, विच्छेद, प्रभाव, छिपना दिखाई न देना, अंतर्धान होना। संज्ञा, पु० लोपन | वि० - लोपनीय, लुप्त, लोपक, लोप्य, लोप्ता । 'लोपः शाकल्यस्य " - सि० कौ० | लोपन - संज्ञा, पु० (सं०) लुप्त या तिरोहित
करना, न करना, अदृश्य करना, गोपन | वि०-लोपनीय | लोपना + - स० क्रि० दे० (सं० लोपन ) छिपाना, लुकाना लुप्त या गुप्त करना, मिटाना | प्र० क्रि० (दे० ) मिटना, वििपना | लोपांजन-संज्ञा, पु० यौ० (सं०) एक कल्पित सिद्धांजन, जिसका लगाने वाला अदृश्य हो जाता है । हो
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लोपामुद्रा, लोपामुद्रा - संज्ञा, स्त्री० : अगस्त्य ऋषि की स्त्री, अगस्त्य लोक या पास उदय होने वाला एक तारा । पंत अद्भुत लोपी - संज्ञा, पु० (सं० लोपिनू ) लोप कर वाला, नाशकर्त्ता, लोपक | .) लोबा, लोवा - संज्ञा स्त्री० ( हि० लोमडी) लोमड़ी । "लोबा पुनि पुनि दरस दिखावा "
रामा०
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लोबान पंज्ञा, पु० (अ०) एक पेड़ का सुगंधित गोंद जो जलाने और औषधि के काम थाता है ।
लोबिया-संज्ञा, पु० दे० ( सं० लोभ्य ) एक लता या बौंड़ा जिसमें बड़ी फालियाँ होती हैं, एक अन्न !
लोभ -- संज्ञा, पु० (सं०) लालच, तृष्णा, लेने की इच्छा । वि० लोभी, लुब्ध । "किहि के लाभ विडंबना, कीन्ह न यहि संसार "
रामा० ।
लोभना लोभाना -- स० क्रि० ( सं० लोन + ना हि० प्रत्य० ) मोहित या मुग्ध करना, लुमना । अ० क्रि० (दे०) मोहित या मुग्ध होना ।
लांभार - वि० दे० ( हि० लोभ ) लाभ करने या लुमाने वाला, लालची, लोभी ।
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