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लादी
लाजवर्दी
१५३२ लाजवर्दी-वि० ( फा० ) लाजवर्द के रंग बहुत हैं सदा राखिये संग"-गिर० । मुहा० का, हलकं नीले रंग का। " श्री सिर पै --लाठी चलना (चलाना)-लाठियों लाजवर्दी का सायवाँ बनाया"-म० इ० से मार-पीट होना ( करना )। लाठी सा लाजवाब-वि० ( फा० ) निरुत्तर, अनुपम, मारना--कटु तथा कठोर बात करना। बेजोड़, अद्वितीय, चुप, मौन, मूक । लाड़-संज्ञा, पु. (सं० लालना ) बच्चों का लाजा-संज्ञा, स्त्री० (सं०) धान का लावा, लालन, प्यार, दुलार । " लाइने बहवो चावल, लाई, खील । "अवाकिरन बाललता दोषाः ताड़ने बहवो गुणाः "--नीतिः । प्रसूनैराचार लाजौरिव पौर कन्या"- रघु० । लाइन -- संज्ञा, पु. ( सं० ) दुलार, प्यार, संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० लजा) लजा । " मोहिं । लाड़, चाल-स्नेह न कछु बाँधे कर लाजा"--रामा । लाइना-य० कि. (दे०) दुलराना, लाड़लाजावत-संज्ञा, पु. (सं०) एक मणि या प्यार करना । "लाइन मैं बहु दोष हैं' । रत्न विशेष, रावटी, लावद (दे०)। लाइ लता-वि० दे० यौ० (हि० लाड़ला) लाजिम-वि० (अ.) उचित, योग्य, । __ लाइला, बहुत दुलारा या प्यारा । स्त्री० कर्त्तव्य, मुनासिब, वाजिब, समीचीन, नाइलड़ती। उपयुक्त।
लाडला, लाडिला-वि० दे० (हि० लाड़) लाज़िमी - वि० ( अ० ला ज़िम ) श्रावश्यक, | अति दुलारा या प्यारा । स्त्री० लाड़ली । ज़रूरी, उचित ।
" लाड़ला बेटा था एक माँ बाप का" लाट-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि. लट्ठ) ऊँचा -हाली।
और मोटा खम्भा, मीनार । संज्ञा, पु० (सं०) लाउन डेनी-ताइनी---संज्ञा, स्त्री० (दे०) वर्तमान अहमदाबाद के समीप का एक बहुत दुलारी या प्यारी बेटी या स्त्रो। प्राचीन देश, वहाँ के निवासी, लाटानुप्रास लाल -- संज्ञा, खी० (दे०) पाद, पाँव, पैर, (काव्य०)। संज्ञा, पु. द. (अ० लार्ड) पद. पादाघात, पादप्रहार । " तात लात मालिक, स्वामी । स्त्री० लामी।
रावण मोहिं मारा"-रामा० । “लात लाटानुप्रास-संज्ञा, पु. चौ० (सं०) एक खाय पुच कारिये, होय दुधारू धेनु'.--वृं० । शब्दालङ्कार जिसमें अन्वयान्तर से तात्पर्या- मुहा०- लातखाना-पादाघात सहना, न्तर-पूर्ण वाक्य या शब्द की श्रावृत्ति हो पैर की टोकर या अपमान सहना । लात (५० पी०)।
मारना तुच्छ समझ कर छोड़ देना या लाटिका-संज्ञा, स्त्री० (सं०) काव्य में ! त्यागना । स्वल्प समासों या पदोंवाली एक रचना- लाद-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० लादना) लादने रीति ( काव्य०)।
का कार्य, बोझ, भार, पेट की आँत, पेट । लाटी-संज्ञा, स्त्री० ( अनु. लटलट --- गाढ़ लादना-स० क्रि० दे० ( सं० लब्ध ) गाड़ी या चिपचिपा होना ) मनुष्य के होंठों और प्रादि पर ढोने या ले जाने के लिये चीजें मुँह के थूक के सुख जाने की दशा। संज्ञा, । या वस्तुयें भरना चा रखना, भरना, चढ़ाना, स्त्री. (सं०) लाटिका रीति ।
किसी बात का भार रखना। लाठ-संज्ञा, स्त्री० दे० (हिं० लाट) लाट, लादिया--संज्ञा, पु० दे० ( हि० लादना ) लार्ड।
लादने वाला! लाठी-संज्ञा, स्त्री० दे० (मं० यष्टि) मोटा लादी--संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० लादना) वह और बड़ा डंडा, लकड़ी। " लाठी मैं गुन गठरी जो गधे श्रादि पर लादी जाती है।
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