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१५३३
लादू
लाडू - वि० दे० ( हि० लादना ) लादने योग्य | वि० लढत – जिस पर सदा बोझ
लादा जाय ।
लाघना*- -स० कि० दे० (सं० लब्ध ) पाना, प्राप्त करना ।
लानत - संज्ञा, स्त्री० दे० (अ०लयनत) भर्त्सना, धिक्कार, फटकार । सौ० लानन-सलामत | लाना - स० क्रि० दे० ( हि० लेना + आना ) कोई वस्तु उठाकर ले थाना, साथ लेकर थाना, सामने रखना, उपस्थित करना । स० क्रि० दे० ( हि० लाय = आग ) आग लगाना, जला देना, नष्ट कर देना (ग्रा० ) । * स० क्रि० (६० लगाना ) लगाना । लाने - अव्य० दे० ( हि० लाना ) वास्ते,
लिये, हेतु, कारण । लापक-संज्ञा, पु० ( सं० ) गीदड़, सियार । लापता - - वि० ( फा० ) जिसका पता न लगता हो, गुप्त, दिपा । लापरवा· लापरवाह - वि० ( ० ला + परवाह - फा० ) बेफ़िक, बेखटका, असावधान, निश्चिंत बेपरवाह । चाह घटी, चिंता गयी, मन भा लापरवाह" -- कबी० । लापरवाही - संज्ञा स्त्री० (अ० ला + परवाह फा० + ई-प्रत्य० ) वे फिकी, सावधानी । लापसी संज्ञा स्त्री० दे० ( हि० लपसी )
लपसी, थोड़े घी का पतला हलुवा । लाफना - प्र० क्रि० (३०) लहना (ग्रा० ) कूदना, फाँदना, बदना, हाँफना, लेने को ऊपर उठना या उचकना चौंकना (प्रांती०) | स० रूप- लाना ।
लावर वि० ० | हि० लबार ) लबार बरा (ग्रा० ) श्रयवादी, मूठा, मिथ्यावादी, धूर्त ।
लाभ - संज्ञा, पु० (सं०) प्राप्ति, लब्धि, मिलना, नफा, मुनाफ़ा, उपकार, भलाई, फायदा, लाहु ( ब०, ब० ) । • जिमि प्रति लाभ लोभ अधिकाई " - रामा० । लाभकारक लाभकारी - वि० (सं० लाभ
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लार
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करिन् ) लाभदायक, गुणकारी, गुणदायक, फ़ायदेमंद | खो० लाभकरी । लाभदायका - लाभदायक -- वि० (सं०) लाभकारक, लाभकर, लाभकारी लाभदायी । लाभप्रद - वि० (सं०) लाभकारी । लाय
संज्ञ, पु० दे० ( फ़ा० लार्म ) फ़ौज, सेना, जनसमूह |
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लामज- - रुज्ञा, पु० दे० (सं० लामज्जक) खस जैसी एक पास, पोलाचाला ( प्रान्ती० ) । लामा - संश, पु० ( हि० ) तिब्बत और मंगोलिया के बौद्धों का धर्माचार्य । वि० (दे०) लम्बा, ताँबा, (दे० ) । लामे:- क्रि० वि० दे० ( हि० लाम : लंबा ) लम्बे, दूर, अंतर पर | वि० (दे०) लांब | वाय* -- संज्ञा, खो० दे० (सं० मलात ) लाइ (०) लपट ज्वाला, अग्नि, श्राग । पू० का० कि० अ० ( हि० लाना ) लाकर, ल्याइ ( ब० लायक - वि० ( ० ) समीचीन योग्य, ठीक उचित मुनासिब वाजिब, उपयुक्त, लायक (दे०) । लायक ही सों कीजिये, व्याह, बैर अरु प्रीति - ( ० । सुयोग्य, समर्थ, गुणवान, सामर्थ्यवान् । संज्ञा, पु० दे० ( सं० लाज ) धान का दावा । " जानवंत कह तुम सब लायक --रामा० । लायकी - ज्ञा स्त्री० दे० ( ० लायक ) योग्यता लियाकत, सामर्थ्य | "जामें देखौ लायकी, लायक जानो सोय" - वा० दे० । लायची- संज्ञा, खो० दे० (सं० एला )
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इलायची याची (प्रा० ) ।
लार- संज्ञा, स्त्री० दे० ( सं० लाला ) तार के समान पतला और लसदार थूक जो कभी कभी मुख से निकलता है, राल (दे० ) । मुह० - मुँह से लार शुकना किसी पदार्थ को देखकर उसके पाने की प्रति अभिलाषा होना, मुँह में पानी भर आना । (किसी के मुंह से ) लारचुना -- बालपन होना । कतार, पाँति, पंक्ति, लुआब,
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