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लाखना
लाजवर्द लाखना---० क्रि० दे० (हि० लाख+ना- हेतु, वास्ते, लागि । सा० भू० अ० क्रि० (हि. प्रत्य० ) लाह लगा कर छेद बंद करना ।। लगना ) लगे। *-स० क्रि० दे० ( सं० लक्षण ) जानना। लाघव-संज्ञा, पु० (सं०) लघुता, छोटाई, लाखागृह-संज्ञा, पु० दे० यौ० ( सं० हलकाई, अल्पता, कमी, फुर्ती, शीघ्रता लाक्षागृह ) लाक्षागृह, लाह का घर। हाथ की सफाई, तंदुरुस्ती, आरोग्य । यौ। लाखी- वि० दे० (हि० लाख+ ई-प्रत्य. ) हस्त-लाघव, “ पर्यायवाची शब्दानाम् लाख के रंग का, मटमैला लाल । संज्ञा, लाधवगुरुता नाद्रियामः"-पा०शि० व० । पु०-लाख के रंग का घोड़ा।
अव्य. (सं०) शीघ्रता से, सहज में । लाग-संज्ञा, स्त्री. ( हि० लगना ) लगाव, "राघव-समान हस्त-लाघव बिलोकि तासु" लगन, संबंध, संपर्क, प्रीति, प्रेम, युक्ति, - ० व०। मन की तत्परता, उपाय, कौशल-पूर्ण स्वाँग, लाघवी -संज्ञा, स्त्री. ( सं० लाघव+ ईचढ़ा-उपरी, प्रतियोगिता, बैर, शत्रुता, टेना, प्रत्य० ) शीघ्रता, फुर्ती, तेज़ी। मंत्र, शुभ अवसरों पर जादू , ब्राह्मणादिकों लाचार-वि० ( फा०) विवश, मजबूर । को बाँटने का नियत धन, लगान, भूमि-कर, क्रि० वि० (दे०) विवश या मजबूर होकर । एक प्रकार का नाच । कि० वि० दे० ( हि० लाचारी-संज्ञा, स्त्री. (फा०) विवशता, लौं) तक, पर्यंत, लगि (व०)
मजबूरी, बेबसी (द०)। लागडाँट-संज्ञा, स्त्री. यौ० दे० (हि. लाची-संज्ञा, स्त्री० (दे०) इलायची। लग= वैर+डांट ) बैर, शत्रुता, प्रति- लाचीदाना-संज्ञा, पु. दे. यौ० (हि. योगिता। संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० लग्नदंड) लाची-दाना) एक प्रकार की मिठाई। नाच की एक क्रिया।
लाछन*- संज्ञा, पु० दे० (सं० लांछन ) लागत--संज्ञा, स्त्री. ६० (हि. लगना ) लांछन, कलंक, दोष, अपराध, चिन्ह । पूँजी, किसी वस्तु के बनाने या तैय्यारी में लाज-संज्ञा, सो० दे० (सं० लज्जा ) लजा. व्यय हुआ धन, लग्गत (दे०)।
शर्म, इज्जत, पर्दा, पति, मान-मर्यादा । लागना* -- क्रि० दे० (हि. लगना) संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० लाजा ) धान का लगना।
लावा, खील । लागि-लागी-अव्य० दे० (हि० लगना) लोजक-संज्ञा, पु. (सं० लाजा ) धान द्वारा, हेतु, कारण, लिये, वास्ते, निमित्त ।। का लावा। "बार बार मोहि लागि बुलावा"-रामा० लाजना*~-अ० क्रि० दे० (हि. लाज-ना"मोर जन्म रघुबर बन-लागो'-रामा० । प्रत्य० ) लज्जिन होना, शर्माना, लजना, लिये, द्वारा । क्रि० वि० दे० ( हि० लौं) लजाना (दे०)। २० रूप-लजवाना। तक, पयंत, लगि (दे०)।
लाजवंत --- वि० दे० (हि० लाज-वंतलागी-संज्ञा, स्त्री. अध्य० (दे०) लिये, प्रत्य०) लजावाला, लजा-युक्त, शर्मदार, द्वारा, स्नेह, प्रेम । संज्ञा, पु०-द्वेषी, शत्रु, शर्मिदा । स्त्री० लाजवंती।। विरोधी।
लाजवंती-संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० लजालू ) लागा-वि० दे० (हि. लगना ) प्रयुक्त या लजालू. छुईमुई, लजाधुर (ग्रा०)। चरितार्थ होने वाला, लगने-योग्य, लगाने (सं० लज्जावती)। था घटित होने वाला।
लाजवर्द-संज्ञा. पु. (फा० ) एक रत्न, लागे-भव्य० दे० (हि. लगना) लिये, एक बहुमूल्य पत्थर, राजवर्तक (सं.)।
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