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लहु
१५३०
लहु
लहना )
- अव्य० दे० (हि० लौं ) लौं, तक, पय्यंत । स० क्रि० दे० ( हि० पाश्री, लहो । लहुरा - वि० दे० (सं० लघु) छोटा । लाँकित - वि० स्त्री० लहुरी । लाँछन-युक्त |
|
लहुरी - संज्ञा, त्रो० (दे०) छोटे भाई की स्त्री । वि० (दे०) आयु में छोटी, कम उम्र की । लहू - संज्ञा, पु० दे० ( सं० लोहित) लोहू, रक्त। मुहा० - लहूलहान या लहूलुहान होना- रक्त से सराबोर होना या भर जाना, बहुत रक्त बहना । लहेरा - संज्ञा, पु० दे० ( हि० लाह = लाख + एरा - प्रत्य० ) लाइक, पक्का रंग रँगने
वाला ।
लाँक -संज्ञा, त्री० दे० ( सं० लंक = कटि ) कटि, कमर, खेत से काटे गये धन के पौधे, उनकी राशि ( प्रान्ती० ) । लाँग - संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० लाँगूल = पूछ ) काँछ, धोती का छोर जो पीठ पीछे खोंसा जाता है ।
लाँगल - संज्ञा, पु० (सं०) जोतने का हल | लाँगली-संज्ञा, पु० (सं० लॉगलिन् ) बलराम, साँप, नारियल | संज्ञा, स्त्री० (सं०) एक नदी ( पुरा० ) । कलिहारी, मजीठ ( औौष ० ) !
लाँगुली, लाँगूली - संज्ञा, पु० (सं० लॉगूलिन् ) बानर, बंदर | लाँघ -संज्ञा, पु० दे० (हि० लाँघना) फलाँग, कूद, कुदान, उछाल, कुलाँच | लाँघना – स० क्रि० दे० (सं० लँघन ) नाँघना ( ग्रा० ) फाँदना, डाँकना, कूद जाना । स० रूप-लँघाना, प्रे० रूप-लघवाना । "जो लाँघे सत जोजन सागर " रामा० । लाँच - संज्ञा, स्त्री० (दे०) घूस, रिशवत । लांछन- संज्ञा, पु० (सं०) चिन्ह, दाग़, कलंक, दोष, ऐब । वि० - - लांछनीय | लाँइना - संज्ञा, स्त्री० (सं०) निन्दा, तिरस्कार अपमान, बुराई, कलंक ।
लाख
लाँछनित - वि० (सं०) लाँछन-युक्त, लाँछित, कलंक -युक्त, कलंकी, दोषी, तिरस्कृत, अपमानित |
(सं०) तिरस्कृत, निंदित,
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लाँबा - वि० दे० ( हि० लंबा ) लम्बा | स्त्री० लॉबी ।
लाइ- संज्ञा, स्रो० दे० (सं० अलात = लुक ) अग्नि, लव । पू० क्रि० (०) लाकर | लाइक – वि० दे० ( अ० लायक़ ) लायक, योग्य |
लाई| संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० लाजा ) धान का लावा या खील, उबाले चावलों का लावा | संज्ञा, स्त्री० दे० (हि० लगाना ) चुग़ली, निन्दा | स० क्रि० स्त्री० सा० भू० (दे०) ले आई । यौ० - लाई लुतरीचुगुली, शिकायत, चुगलखोर (स्त्री) । लाकड़ी - संज्ञा, त्रो० दे० ( हि० लकड़ी )
लकड़ी, काष्ठ, काठ, लाकरी (प्रा० ) । लाक्षणिक - वि० (सं०) लक्षण संबंधी, लक्षण - सूचक संज्ञा, पु० (सं०) ३२ मात्रानों का मात्रिक छंद (पिं०), लक्षणज्ञाता, लक्षणा शक्ति-सम्बंधी ( शब्दार्थ) । लाक्षा - संज्ञा, स्रो० (सं०) लाह, लाख | लाक्षागृह - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) पांडवों के जलाने को दुर्योधन का बनवाया हुआ लाह का घर, लाक्षालय, लाक्षावास । लाक्षारस - संज्ञा, पु० यौ० (सं०) महावर । लाक्षिक - वि० (सं०) लाह या लाख संबंधी । लाख - वि० दे० (सं० लक्ष ) सौ हजार, afa अधिक | संज्ञा, पु० सौ हजार की संख्या, १०००००। क्रि० वि० – अधिक, बहुत । मुद्दा० -- लाख से लोख होना - सब कुछ होने पर भी पीछे कुछ न रहना | संज्ञा, स्त्री० दे० (सं० लाता) लाह, लाही, एक तरह के छोटे लाल कीड़े जो लाह बनाते हैं, इन कीड़ों से अनेक वृक्षों पर बना एक लाल पदार्थ ।
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